आप सभी अच्छे से जानते है कि हिन्दू धर्म में कुंडली कितना ज्यादा महत्त्व रखती है। जैसे ही किसी के घर में संतान का जन्म होता है, तुरंत उस संतान की कुंडली तैयार की जाती है। यह कुंडली कुंडली उसके जीवन के लिए काफी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार किसी भी व्यक्ति का भाग्य उसके जन्म के पहले से ही निर्धारित होता है और जन्म के बाद भाग्य कुंडली के रूप में व्यक्ति की जन्मपत्री के साथ संयोग हो जाता है। इसलिए ज्यादातर लोग अपने बच्चे के जन्म होने के तुरंत बाद ही किसी ज्योतिषी के पास जाकर Janam Kundali बनवा लेते हैं। लेकिन, यहाँ एक समस्या लगभग सभी लोगों में होती है कि उन्हें कुंडली देखना नहीं आता है जिसके कारण लोग ज्योतिषी के पास जाकर कुंडली दिखवाते हैं।
यदि आप भी कुंडली को स्वयं देखना चाहते हैं, तो आप इस पोस्ट पर बने रहे। इस पोस्ट में हम आपको Janam Kundali Kaise Dekhe? और इसे देखने का सही तरीका क्या है? उसके बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।
#1. Janam Kundali क्या है?
जन्म कुंडली एक तरह की पत्री होती जिसमे व्यक्ति के जन्म के समय आकाश मंडल के ग्रह, नक्षत्र व राशियों की स्तिथि को दर्शाया जाता है। Janam Kundali में 12 खाने होते हैं। इन खानो में अलग-अलग राशि व ग्रह बैठे होते हैं जिसके जरिये व्यक्ति के भाग्य के बारे में जानकारी मिलती है। जन्म कुंडली की सहायता से व्यक्ति के भविष्य, वर्तमान और भूतकाल के बारे में जाना जा सकता है। साथ ही साथ कुंडली के द्वारा सूर्य, चन्द्रमा, नक्षत्रो और अन्य ग्रहों की स्तिथि के बारे में जानकारी मिलती है।
#2. कुंडली में भाव क्या होता है?
आपने कुंडली में देखा होगा उसमे 12 खाने होते हैं। इन्ही खानों को भाव तथा घर भी कहा जाता है। कुंडली के 12 खाने या भाव व्यक्ति के पूरे जीवन की व्याख्या करते हैं।
कुंडली के भाव –
1. प्रथम भाव – चरित्र, स्वाभाव, रंग-रूप
2. द्वितीय भाव – धन, वाणी, प्रारंभिक शिक्षा
3. तृतीय भाव – साहस, पराक्रम
4. चतुर्थ भाव – सुख भाव (इसमें वाहन, संपत्ति आदि को देखा जाता है)
5. पंचम भाव – उच्च शिक्षा, प्रेम, बच्चे
6. पुष्प भाव – शत्रु, रोग, कम्पटीशन
7. सप्तम भाव – विवाह साथी (इसमें आपके जीवन में आने वाले जीवन साथी को देखा जाता है)
8. अष्टम भाव – इसमें जीवन में आने वाली अचानक घटना का बोध होता है।
9. नवम भाव – धर्म, गुरु और भाग्य, लम्बी दूरी
10. दशम भाव – कर्म
11. एकादश भाव – लाभ
12. द्वादश भाव – हानि
#3. राशि की पहचान कैसे की जाती है?
1. मेष राशि (नाम अक्षर: चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,अ)
2. वृष राशि (नाम अक्षर: ई,उ,ए,ओ,वा,वी,वू,वे,वो)
3. मिथुन राशि (नाम अक्षर: क,की,कु,घ,ड,छ,के,को,ह)
4. कर्क राशि (नाम अक्षर: हि,हु,हे,हो,डा,डी,डू,डे,डो)
5. सिंह राशि (नाम अक्षर: मा,मी,मू,में,मो,टा,टी,टू,टे)
6. कन्या राशि (नाम अक्षर: टो,पा,पी,पू,ष,ण,ठ,पे,पो)
7. तुला राशि (नाम अक्षर: रा,री,रु,रे,रो,ता,ती,तू,ते)
8. वृश्चिक (नाम अक्षर: तो, न, नी, नू, ने, नो, या, यि, यू)
9. धनु राशि (नाम अक्षर: ये,यो,भा,भी,भू,धा,फ,ढ,भे)
10. मकर राशि (नाम अक्षर: भो,ज,जा,जी,जे,जो,खा,खी,खु,खे,खो,गा,गी,ज्ञ)
11. कुम्भ राशि (नाम अक्षर: गु,गे,गो,सा,सी,सु,से,सो,दा)
12. मीन राशि (नाम अक्षर: दी,दू,थ,झ,दे,दो,चा,चि)
#4. राशियों के स्वामी के नाम
1. मेष राशि का स्वामी = मंगल
2. वृष राशि का स्वामी = शुक्र
3. मिथुन राशि का स्वामी = बुध
4. कर्क राशि का स्वामी = चन्द्रमा
5. सिंह राशि का स्वामी = सूर्य
6. कन्या राशि का स्वामी = बुध
7. तुला राशि का स्वामी = शुक्र
8. वृश्चिक राशि का स्वामी = मंगल
9. धनु राशि का स्वामी = गुरु
10. मकर राशि का स्वामी = शनि
11. कुम्भ राशि का स्वामी = शनि
12. मीन राशि का स्वामी = गुरु
#5. कुंडली में ग्रहों के प्रकार
1. सूर्य गृह
2. चंद्र ग्रह
3. मंगल ग्रह
4. बुध ग्रह
5. बृहस्पति ग्रह
6. शुक्र ग्रह
7. शनि ग्रह
8. राहु ग्रह
9. केतु ग्रह
#6. Janam Kundali Kaise Dekhe?
1. कुंडली देखने के आपके सबसे पहले एक वेबसाइट पर जाना होगा जिसका नाम www.freekundli.com है।
2. इसके बाद आपके सामने एक फॉर्म खुल जायेगा।
3. इस फॉर्म में आपको अपना नाम, जन्मतिथि, जन्म समय आदि सभी प्रकार की जानकारी को भरकर सबमिट करना होगा।
4. इसके बाद आपकी Janam Kundali खुलकर आ जाएगी। आप अपनी कुंडली का प्रिंटआउट भी निकाल सकते हैं।
अन्य जानकारी
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#7. निष्कर्ष (Conclusion)
इस पोस्ट में हमने आपको “कुंडली क्या होती है?, कुंडली में कितने भाव होते हैं?, Janam Kundali Kaise Dekhe?” के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। यह जानकारी आपको कैसी लगी? कमेंट बॉक्स में लिखकर हमे जरूर बताएं। धन्यवाद!!!!!