Floor Test Kya Hota Hai?

दरअसल Floor Test विधान सभा की ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमे इस बात पर फैसला लिया जाता है कि वर्तमान समय में मौजूद सरकार या मुख्यमंत्री के पास प्रयाप्त मात्रा में बहुमत है कि नहीं? यह सदन में होने वाली एक पारदर्शी प्रक्रिया है जिसमे राज्यपाल किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं कर सकता। फ्लोर टेस्ट सत्ता धारी पार्टी के लिए काफी ज्यादा मायने रखता है क्योंकि इस टेस्ट में पार्टी को अपने पास बहुमत है कि नहीं? उसे साबित करना होता है। ऐसे में अगर आपको फ्लोर टेस्ट के बारे में अधिक जानकारी नहीं है और आप इसके बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं, तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें। इस पोस्ट में हम आपको Floor Test Kya Hota Hai? के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

#1. Floor Test Kya Hai?

वर्तमान समय में मौजूदा सरकार के द्वारा विधानसभा में मौजूद सभी लोगों के सामने अपना बहुमत साबित करने की प्रक्रिया को Floor Test कहा जाता है। फ्लोर टेस्ट में सभी विधायक को स्पीकर के सामने अपना कीमती वोट देना होता है। यदि किसी राज्य में एक से अधिक पार्टी सरकार बनाने के लिए कहती है, लेकिन उन पार्टियों के पास प्रयाप्त मात्रा में बहुमत न होने के कारण किसी एक पार्टी को फ्लोर टेस्ट के माध्यम से राज्यपाल के द्वारा अपना बहुमत साबित करने को कहा जा सकता है कि किस पार्टी को बहुमत प्राप्त है? यह बहुमत सदन में विधायकों की उपस्थिति के आधार पर कराया जाता है। इस Floor Test में सभी विधायक वोट डाले ऐसा जरुरी नहीं है।

इसके साथ ही अगर सभी पार्टी में बराबर मात्रा में मतदान हो रहे हैं, तो इसमें फ्लोर टेस्ट का एक संवैधानिक प्रावधान होता है जिसमे सरकार के द्वारा विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव रखा जाता है, जिसके लिए सदन में मतदान होता है।

जब एक से अधिक पार्टी अपनी सरकार बनाने को लेकर दावा पेश करती है, लेकिन बहुमत का सही से पता नहीं चल पाता, तो राज्यपाल विशेष सत्र बुलाकर इन पार्टियों को अपना बहुमत साबित करने को कह सकते हैं कि अधिक बहुमत किसके पास है?

#2. Floor Test का मतलब क्या है?

फ्लोर टेस्ट में सभी विधायक स्पीकर, ईवीएम या बैलेट पेपर के माध्यम से अपना कीमती वोट करते हैं। इस Floor Test में यदि बहुमत सही से साबित नहीं हो पाता, तो इसका सीधा मतलब निकलता है कि सदन को सरकार के ऊपर भरोसा नहीं रह गया है। इसी कारण बहुमत नहीं मिलने पर मुख्यमंत्री के साथ-साथ पूरे कैबिनेट को अपना स्तीफा देना पड़ जाता है। वहीं कई बार सरकार अपने पास विधयाकों की कमी को देखते हुए विश्वास मत के पहले ही खुद स्तीफा दे देते हैं। फ्लोर टेस्ट के बाद जब किसी पार्टी को प्रयाप्त मात्रा में बहुमत मिल जाता है, तो राज्यपाल उस पार्टी के नेता को CM पद के लिए शपथ ग्रहण करवाने का कार्य करते हैं।

#3. फ्लोर टेस्ट कितने प्रकार से होता है?

Floor Test मुख्यरूप से 3 प्रकार से होता है –

1. ध्वनिमत

2. संख्याबल

3. हस्ताक्षर के माध्यम से

#4. Floor Test का प्रयोग

सदन में मौजूद सभी विधायकों के वोटिंग के बाद बहुमत तय होता है। इसमें विधायक अपने हिसाब से मतदान करते हैं। यदि उनको वोट देने का मन नहीं है, तो उनके साथ किसी भी प्रकार की जबरदस्ती नहीं की जा सकती। वहीं वोट का आंकड़ा बराबर होने पर विधानसभा के अध्यक्ष भी अपना कीमती मत दे सकते हैं। Floor Test के जरिये इस बात का निर्णय लिया जाता है कि वर्तमान समय में मौजूदा सरकार या मुख्यमंत्री के पास प्रयाप्त बहुमत है या नहीं?

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#5. निष्कर्ष (Conclusion)

इस पोस्ट में हमने आपको Floor Test Kya Hota Hai? के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। अब आप अच्छे से फ्लोर टेस्ट के बारे में समझ गए होंगे। मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। यह जानकारी आपको कैसी लगी? कमेंट बॉक्स में लिखकर हमे जरूर बताएं।

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