How to Get a Patent for Your Invention in Hindi

वैसे, पेटेंट के बारे में आपने शायद बहुत बार पढ़ा हो या सुना हो, लेकिन क्या आप जानते हैं कि Patent एक ऐसी Intellectual Property होती है, जिस पर एक फिक्स्ड टाइम के लिए पेटेंट होल्डर का हक होता है। ये टाइम जनरली 20 का साल होता है। अगर आप एक पेटेंट होल्डर हैं, तो इस पेटेंट का इस्तेमाल बिजनेस बिल्ड करने में कर सकते हैं। इसे रेंट पर दे सकते हैं। इसे किसी दूसरी कंपनी को सेल्ल भी कर सकते हैं। आपके पेटेंट को कोई भी आपकी परमिशन के बिना बेंच नही सकता, यूज नही कर सकता और आपकी कंट्री में इम्पोर्ट भी नही कर सकता। आप चाहें तो अपने पेटेंट को रेनू भी करा सकते हैं।

ऐसे में चाहे स्टूडेंट हो, बिजनेसमैन हो, साइंटिस्ट हों या फिर कोई पीएचडी होल्डर। सभी अपने Invention को सिक्योर रखना चाहते हैं और इसके लिए Patent कराया जाता है। इसीलिए आपको भी अपने इन्वेंशन को पेटेंट कराने का प्रोसेस पक्के से जान लेना चाहिए। तो आज इस आर्टिकल में हम आपको अपने इन्वेंशन को पेटेंट करवाने का तरीका स्टेप बाई स्टेप बताने वाले हैं। इसलिए इस आर्टिकल को लास्ट तक जरूर पढ़ें..तो चलिए शुरू करते हैं।

#1. अपने Invention का Patent कैसे कराएं?

दोस्तों, नीचे हम आपको अपने Invention को Patent कराने तरीका स्टेप बाय स्टेप बता रहे हैं..

स्टेप: 1. अपने इन्वेंशन के बारे में मैक्सिमम डिटेल को लिख लें,

आपका Invention कोई आईडिया, कांसेप्ट या प्रोडक्ट हो सकता है। इसलिए सबसे पहले आप अपने Invention के बारे में मैक्सिमम डिटेल को लिख लीजिए, जिसमे इन सवालों के जवाब भी मालूम हों कि आपका आईडिया या इन्वेंशन क्या है? ये कैसे काम करता है? इस आईडिया से कौन सी प्रॉब्लम सॉल्व होगी? इस इन्वेंशन का फील्ड कौन सा है? इसके कंपोनेंट्स क्या हैं? इसके फायदे क्या है? ऐसे सभी सवालों के जवाबों के साथ तैयार की गई इस डिटेल का एक लैब रिकॉर्ड आपके पास होना चाहिए, जिसमे आपकी अथॉरिटी के लिए आपकी साइन और डेट हो।

स्टेप: 2. अपने इन्वेंशन को एक्सप्लेन करने के लिए ड्रॉइंग्स, डायग्राम्स या स्कैचेस बनायें,

अपने इन्वेंशन को एक्सप्लेन करने के लिए ड्रॉइंग्स, डायग्राम्स या स्कैचेस बनायें, ताकि आपके इन्वेंशन की वर्किंग को विजुअल इलस्ट्रेशन के जरिये समझा जा सके।

स्टेप: 3. आपके इन्वेंशन को Patent कराया जा भी सकता है या नहीं? इसका पता लगाइए,

ऐसा इन्वेंशन जो नेचुरल लॉज के अगेंस्ट हों, ह्यूमन, एनिमल्स, प्लांट्स और एनवायरनमेंट के लिए हार्मफुल हो, उन्हें इंडिया में Patent नही कराया जा सकता। ऐसे बहुत से इन्वेंशंस हैं, जिन्हें पेटेंट नही कराया जा सकता। उसकी डिटेल आपको आसानी से मिल जाएगी।

स्टेप: 4. Patent एबिलिटी सर्च,

ये एक ऑप्शनल स्टेप होता है, लेकिन इसके जरिये आप ये जान सकते हैं कि आपका इन्वेंशन पेटेंट क्राइटेरिया पर खरा उतरता है या नही? इसमें पेटेंट एजेंट आपकी हेल्प करता है। उसके लिए आपको एक फीस देनी होगी, जो 12 से 15 हजार रूपये तक हो सकती है। इस प्रोसेस में 5 से 7 दिन का टाइम भी लगेगा।

स्टेप: 5. पेटेंट ड्राफ्टिंग,

पेटेंट ड्राफ्टिंग या पेटेंट राइटिंग एक स्पेशलाइज्ड जॉब है क्योंकि एक अच्छी पेटेंट एप्लीकेशन तैयार करने के लिए एक्सपीरियंस की जरुरत होती है। पेटेंट टेक्नो एक लीगल डाक्यूमेंट होता है। इसीलिए आप अपने डोमेन के पेटेंट्स को रीड करके इसका आईडिया ले सकते हैं और इसे तैयार करके पेटेंट ऑफिस में सबमिट करना होता है। इसे तैयार करते टाइम आप से मिस्टेक नही होनी चाहिए। इसीलिए आप इसे पेटेंट एजेंट या अटोर्नी से तैयार करवा सकते हैं। इसमें 8 से 15 दिन का टाइम लग सकता है और पेटेंट एप्लीकेशन तैयार करने के लिए एक पेटेंट अटोर्नी की फीस 25 से 40 हजार रूपये तक हो सकती है। पेटेंट ड्राफ्ट होने के बाद इसे गवर्नमेंट पेटेंट ऑफिस में फिल किया जायेगा, जिसकी आपको रसीद मिलेगी। इसके लिए आपको फीस देनी होगी, जो इंडिविजुअल के लिए स्माल एंटिटी के लिए और दूसरी कैटेगरीज के लिए डिफरेंट होगी।

स्टेप: 6. पब्लिकेशन,

पेटेंट एप्लीकेशन फिल करने के 18 महीने बाद एप्लीकेशन पब्लिश किया जाता है। इसमें किसी फीस की जरुरत नही पड़ती है, लेकिन अगर आप 18 महीने इन्तेजार करने के बजाय अर्ली पब्लिकेशन चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अर्ली पब्लिकेशन रिक्वेस्ट और फीस सबमिट करनी होगी। इस रिक्वेस्ट के बाद जनरली 1 महीने के अन्दर पेटेंट एप्लीकेशन पब्लिश कर दी जाती है।

स्टेप: 7. रिक्वेस्ट फॉर एग्जामिनेशन,

पेटेंट एप्लीकेशन को तभी एग्जामिन किया जाता है, जब इसके लिए रिक्वेस्ट आती है। इसे शार्ट में RFE कहा जाता है। आपकी रिक्वेस्ट के बाद कंट्रोलर एक पेटेंट एग्जामिनर अलॉट करता है, जो आपकी पेटेंट एप्लीकेशन को डिफरेंट पेटेंट एबिलिटी क्राइटेरियाज पर एग्जामिन करता है जैसे कि क्या आपका इन्वेंशन Patentable है? क्या इसमें नोवेल्टी है? क्या ये इंडस्ट्रियल एरिया के लिए कैपेबल है? इसके बाद एग्जामिनर फर्स्ट एग्जामिनेशन रिपोर्ट तैयार करता है, जिसे शार्ट में FER कहा जाता है। ये रिपोर्ट कंट्रोलर को सबमिट की जाती है।

स्टेप: 8. रिस्पॉन्स टु ओब्जेक्शन्स,

बहुत से पेटेंट एप्लीकेशन को ओब्जेक्शन्स भी मिलते हैं, जिन्हे एग्जामिनेशन रिपोर्ट में मेंशन किया जाता है। इन ओब्जेक्शन्स का एनालिसिस करने के लिए आपको पेटेंट एजेंट की हेल्प लेनी पड़ सकती है और इन ओब्जेक्शन्स पर रिटर्न रिस्पॉन्स देना होता है, जिसमे ये बताया जाय कि आपका Invention सभी Patentability Criteria’s को सैटिस्फाई करता है।

स्टेप: 9. ओब्जेक्शन्स क्लियर करना,

अगर आपका रिस्पॉन्स सारे ओब्जेक्शन्स को क्लियर नही कर पाए, तो एक हियरिंग रिक्वेस्ट की जा सकती है। जिसमे आप अपने Patent Agent के साथ मिलकर एग्जामिनर से ओब्जेक्शन्स को री-सॉल्व करने या पेटेंट एप्लीकेशन में चेंजेस को लेकर डिस्कसन कर सकते हैं।

स्टेप: 10. Patent मिलना,

अगर इन्वेंटर यानी आपकी पेटेंट एप्लीकेशन सारे Patentability Criteria’s पर खरी उतरेगी और सारे ओब्जेक्शन्स भी री-सॉल्व हो जायेंगे, तो आपको पेटेंट ‘ग्रांट’ हो जायेगा। जिसे पेटेंट जनरल में नोटिफाई भी किया जायेगा और इस तरह आपको अपने इन्वेंशन के लिए पेटेंट मिल जायेगा।

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#2. निष्कर्ष (Conclusion)

दोस्तों, इस आर्टिकल में बताये गए बताये गए 10 स्टेप्स के जरिये अब आप समझ गए होंगे कि इंडिया में अपने Innovation को Patent करवाने का प्रोसीजर कैसा होता है? अलीबाबा को उम्मीद है कि ये आर्टिकल आपके लिए हेल्पफुल और इंफॉर्मेटिव रहा होगा। इस आर्टिकल के बारे में आपकी क्या राय है? कमेंट बॉक्स में लिखकर हमे जरूर बताये, शुक्रिया। Google

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