Nikola Tesla कौन था?

क्रोएशिया के एक गांव के करीब एक छोटे से डैम के किनारे पर एक बच्चा खड़ा था। उसने पानी में गोता लगाया और अपने दोस्तों से पहले डैम के दूसरी तरफ निकल जाने की कोशिश की, लेकिन जब उसने गोते से सांस लेने के लिए एक बार सर उठाया, तो उसका सर बजाय खुले पानी में आने के लकड़ी की एक छत से टकरा गया। वो डैम के उस हिस्से में फंस चुका था, जिसके नीचे से पानी गुजरता था और ऊपर लकड़ी की एक मजबूत छत थी। सांस लेने के लिए एक इंच की जगह भी ना थी। यहाँ अत्यधिक घुप्प अंधेरा था।

नव उम्र लड़का समझ ही नहीं पा रहा था कि उसे किस दिशा में तैरना चाहिए जिससे कि वो बाहर निकल सके। वो पानी के नीचे ही नीचे कुछ मीटर तैरता और फिर किसी लकड़ी के पिलर या छत से टकरा जाता। कुछ ही देर बाद जब वो बेदम हो चुका था और सांस की डोरी टूटने ही वाली थी, तभी उसकी आँखों से एक रौशनी टकराई। उसने रौशनी की सीध ऊपर उठना शुरू किया, तो यह रौशनी ऊपर तख्ते में चंद इंच की दराज से अंदर आ रही थी। इस दराज से उसने अपना चेहरा थोड़ा सा ऊपर करके सांस बहाल किया।

अब इस छोटी सी दराज से वो बाहर तो निकल नहीं सकता था। इसलिए एक बार फिर उसने रास्ता तलाश करने के लिए नीचे पानी में गोता लगा गया। रास्ता तलाश करते, जब उसकी सांस टूटने लगती, तो वो इसी दराज के पास आकर सांस बहाल कर लेता। ऐसा कई बार करने के बाद आखिर एक सीधा रास्ता उसे मिल ही गया। वो लकड़ी की छत से बाहर खुले पानी में निकल आया।

यह नव उम्र लड़का अगर उस दिन मर जाता तो शायद आपके हाँथ में आज ना तो रिमोट कंट्रोल होता, ना दुनिया के हर देश में सस्ती बिजली पहुँच रही होती, ना एक्सरे मशीन होती और ना हम सोलर पैनल से बिजली बना रहे होते। इस नन्हें लड़के को आज दुनिया Nikola Tesla (निकोला टेस्ला) के नाम से जानती है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको साइंस की दुनिया के इसी जीनियस की बायोग्राफी बता रहे हैं।

Nikola Tesla Biography In Hindi | निकोला टेस्ला का शानदार जीवन परिचय 

नाम निकोला टेस्ला (Nikola Tesla)
पिता मिलउटिन टेस्ला (Milutin Tesla)
माता डुका टेस्ला (Đuka Tesla)
जन्म 10 जुलाई 1856
स्मिलजैनऑस्ट्रियाई साम्राज्य (वर्तमान क्रोशिया)
मृत्यु 7 जनवरी 1943 (उम्र 86)
न्यू यॉर्क सिटीन्यू यॉर्कसंयुक्त राज्य
मृत्यु का कारण कोरोनरी थ्रॉम्बॉयसिस
स्मारक समाधि निकोला टेस्ला संग्रहालयबेलग्रेदसर्बिया
नागरिकता ऑस्ट्रियाई (1856–1891)
अमेरिकी (1891–मृत्यु)
शिक्षा ग्रेज़ यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी (परित्यक्त)
अंतिम स्थान निकोला टेस्ला संग्रहालयबेलग्रेदसर्बिया

यह 09 जुलाई 1856 की रात थी। जहाँ आज यूरोपीय देश क्रोएशिया है। इसके एक गांव समीनिया नीका में तूफान आया हुआ था। रात के 12 बजे थे। कड़कती बिजली और तूफान से गांव के करीब जंगल में सीटियां बज रही थीं। जंगल के किनारे एक लकड़ी के मकान में तूफान के अलावा, एक बच्चे के रोने का शोर भी उठ रहा था। यह एक ऐसे बच्चे की आवाज थी, जो अभी-अभी दुनिया में आया था।

इसकी बीमार माँ अभी अपने बच्चे का मुँह देख ही रही थी कि पास खड़ी नर्स ने कहा यह तूफानों का बच्चा है। ना जाने कैसी किस्मत लाया है? माँ ने कहाँ नहीं मेरा बेटा रौशनियों का जना (पैदा किया) है और कुदरत का सितम देखिये कि दोनों बातें सच निकली। वो रौशनियों से खेलता रहा और तूफानों से लड़ता रहा। मुहावरे में नहीं, असल में भी। यही बच्चा 700 अविष्कार करने वाला Nikola Tesla था। जिसे घर में सब प्यार से निक्की कहते थे।

निक्की के नाना और परनाना दोनों इन्वेंटर थे। वो छोटे-छोटे अविष्कार करके उन्हें रजिस्टर्ड करवाते रहते थे। निक्की की माँ भी अपने पिता से बहुत प्रभावित थी। वो भी घर में अपने परिवार की मदद के लिए छोटी-छोटी चीजें डिजाइन और तैयार कर लेती थी।

वो अपने 4 बच्चों के लिए अंडे बनाने लगती तो उसे अंडे फेंटने में काफी वक्त लगता। इसलिए उसने 2 फोर्स 2 कांटे साथ जोड़कर पीछे एक गोल लकड़ी लगा ली और दोनों हाँथो से मसलकर उसे चलाने लगी। अब वो कम वक्त में अंडे फेंट लेती थी, लेकिन ये करते हुए उसके हाँथ दुखने लगते थे।

निक्की अपनी माँ का लाडला था, फिर बड़े बेटे के एक हादसे में मर जाने के बाद निक्की ही सबसे बड़ा भी था। वो अपनी माँ का बहुत ध्यान रखता था और माँ को देखता रहता था। जब उसने देखा कि उसकी माँ के हाँथ थक जाते हैं, तो वो सोचने लगा कि क्या करना चाहिए? कि माँ की मदद हो सके।

अभी वो सोच ही रहा था कि उसकी माँ ने कहा काश मै इतनी वैज्ञानिक होती कि एक छोटी सी मोटर बना लेती जो इस अंडे फेंटने वाली को खुद-बा-खुद चलाती, तो मेरे हाँथ ना दुखते।

Nikola Tesla, नन्हा निक्की 10 साल से भी छोटा था। उसने दिल में सोचा कि मै अपनी माँ के लिए ऐसी मोटर जरूर बनाऊँगा। निक्की की इमैजिनेशन बहुत स्ट्रांग थी। वो सोचते हुए कल्पना में ऐसी चीजें बनाने लगा, जो उसके ख्याल में उसे बड़ा साइंटिस्ट बना सकती थीं।

उसे अपने घर के काठ-कबाड़ में एक लकड़ी की खपची मिली। उसने खपची को किसी तरह काट-छांट कर एक एक तरफ से तेज किया और अपने तौर पर तलवार का अविष्कार कर डाला।

अब एक साइंटिस्ट की तरह उसने अपने अविष्कार का टेस्ट करने के लिए खेतों की तरफ बढ़ा। मकई की फसल तैयार खड़ी थी। उसने खुद को एक जंगजू (लड़ाकू) मानते हुए तलवार निकाली और मकई की फसल के एक-एक पौधे को दुश्मन समझकर काटने लगा। वो कहता है मै फसल काटते हुए लड़ाकू किस्म की आवाजें भी हा-हु-हा करके निकाल रहा था।

अपने पहले अविष्कार को काम करते देखकर वो इतना पुरजोश (जोशीला) हुआ कि जब-तक थक नहीं गया तब-तक दुश्मन की गर्दन कटती रही। शाम तक वो अनगिनत दुश्मनों को धूल चटाकर विजई अंदाज (फ़ातिहाना) घर में दाखिल हुआ और पुकारा अम्मा देखों मैंने क्या बनाया? देखों मै एक इन्वेंटर बना गया हूँ।

माँ ने उसके हाँथ में तलवार और उसके कपड़ों को देखा तो भागकर खिड़की से बाहर देखने लगी। चंद ही लम्हों में वो समझ गई तलवार का बनना और 1 साल की फसल बर्बाद हो चुकी है। फिर माँ ने अपने प्यारे बेटे की ऐसी धुलाई की कि उसे दिन में तारे नजर आ गए।

फिर यूँ हुआ कि कई रोज तक उसका तेज दिमाग एक और मसला हल ना कर सका। वो यह कि आखिर उसके घर में आने वाले लोग उसके अविष्कार पर बातें करने के बजाय, फसल की तबाही का अफसोस क्यों कर रहे हैं?

इस बात से उसे यह तो समझ लग गई थी कि ऐसे अविष्कार का कोई फायदा नहीं, जिसकी कोई तारीफ ही ना करे या वो किसी के काम ही ना आ सके। इसलिए अब वो प्रैक्टिकल इन्वेशंस के बारे बारे में सोचने लगा।

वो घर के बाहर खेतों के पास बैठा ऐसी ही बातें सोचता रहता था कि एक दिन उसने गौर किया कि उसका कोई दोस्त भी गांव में मौजूद नहीं है। सब के सब एक ऐसे लड़के के साथ मेढक पकड़ने चले गए थे, जिसके पास एक नई फिशिंग रॉड थी।

निक्की ईर्ष्या और गुस्से में जल-भुन गया। उसे लगा कि उसे तनहा छोड़कर उसके दोस्तों ने बहुत बड़ी ज्यादती की है। उसने अपने दोस्त की फिशिंग रॉड नहीं देखी थी, लेकिन उसे एक ऐसी जगह का ज्ञान था। जहाँ मेढक बहुत ज्यादा तादात में होते हैं।

उसने अब अपने दूसरे अविष्कार पर काम किया। उसने लोहे का एक तार लिया और उसे हुक की शक्ल दी। उसके पीछे एक डोरी बाँधी और इसे एक रॉड से जकड़ कर उस जगह चला गया। जहाँ मेढक बहुत थे। उसने रॉड के आगे चारा लगाया और बहार बैठे एक मेढक के आगे फेक दिया। मेढक झट से उस पर झपटा और पकड़ा गया।

Nikola Tesla ने कुछ मेहनत के बाद अपने अविष्कार को और भी बेहतर किया और शाम तक ढेर सारे मेढक पकड़ कर जब वो गांव वापस आया, तो उसने देखा कि उसके दोस्त तो खाली हाँथ आये थे।

यह बात नन्हे Nikola Tesla के लिए, नन्हे निक्की के लिए बहुत गर्व की बात थी। उसके दोस्त हैरान रह गए कि Nikola Tesla ने बगैर फिशिंग रॉड के इतने सारे मेढक कैसे पकड़ लिए?

Nikola Tesla भी गुस्से में था। उसने कई दिन बताया ही नहीं कि उसने अपनी एक फिशिंग रॉड खुद से बना ली है। हाँ, जब उसका गुस्सा ठंडा हो गया, तो उसने सब दोस्तों को अपने इस नए अविष्कार को दिखाया भी और वो सबको बनाकर भी दी।

बस फिर क्या था दोस्तों, अगली बार बरसात का मौसम आया, तो हर बच्चे के पास अपनी फिशिंग रॉड थी और इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि वो साल मेढकों के लिए बहुत बुरा साल था।

मेढक या मछलियां पकड़ना और झीलों में तैरना उसके लिए फितरी (स्वाभाविक) चीजें थी। वो अपने बारे में कहता है कि उसे स्विमिंग सीखनी नहीं पड़ी। वो स्वाभाविक तौर पर बहुत अच्छा तैराक था। पानी और पानी की ताकत उसकी अनकही मोहब्बतें थीं।

उसे किसी ने कह दिया कि अमेरिका में एक Niagara Falls (नायग्रा फॉल्स) है, जिसका पानी सैकङों फिट बुलंदी (ऊँचाई) से नीचे गिरता है। तो उसने सोचा क्यों ना इस पानी की ताकत से एक बड़ा सा पहिया घुमाया जाय और फिर इससे बिजली पैदा की जाय।

आसमानी बिजली से इसका रिश्ता जन्म के पहले लम्हे से था और अब वो अपने आस-पास से बिजली पैदा करने और इसे इस्तेमाल करने के बारे में सुनता, पढ़ता भी रहता था।

14 साल की उम्र से उसकी हाई स्कूल की पढ़ाई भी शुरू हो चुकी थी। इसी दौरान दुनिया में बिजली और बिजली से चलने वाली चीजें साइंटिस्ट बहुत डिस्कस करते थे। खबरें छपती थीं और जैसे आजकल आईटी सेक्टर में नए-नए आईडियाज आते हैं। कुछ छा जाते हैं, कुछ पिट जाते हैं। बिलकुल उसी तरह Nikola Tesla के स्कूल के दिनों में बिजली के बारे में और इसके इस्तेमाल के बारे में ऐसी ही गुफ्तगू होती रहती थी।

Nikola Tesla का दिमाग भी बिजली के मौजू (विशेषण) पर बहुत तेज था। सभी स्टूडेंट और टीचर उसकी तारीफ करते थे, लेकिन मसला यह था कि उसका बाप Milutin Tesla ठहरा एक मुकामी (स्थानीय) पादरी।

वो अपने बेटे को भी चर्च ही में लाना चाहता था, बल्कि बचपन में तो उसने Nikola Tesla की तर्बियत (शिष्टाचार की शिक्षा) के लिए इसकी ड्यूटी लगाई थी कि चर्च की घंटी वो बजाया करे।

दर असल Nikola Tesla का बाप कुछ साल पहले अपना बड़ा बेटा जो बहुत ही बुद्धिमान और इंजीनियरिंग माइंड सेट का था, एक खतरनाक हादसे में खो चुका था। इसलिए अब शायद वो इंजीनियरिंग और इन्वेंटर के नाम ही से भयभीत हो गया था और कहता था कि हमारे परिवार में एक इन्वेंटर ही काफी था और नहीं चाहिए।

अपने पिता के सख्त रवैये के बावजूद Nikola Tesla को यकीन था कि वो अपने पिता को मना ही लेगा। दोस्तों, Nikola Tesla हाई स्कूल की पढ़ाई के बाद जब अपने पिता को मनाने घर आया, तो हैजे की बीमारी से ग्रसित हो गया।

अब यह उस दौर की एक खतरनाक बिमारी थी। आज की तरह इसका इलाज इतना आसान और आम नहीं था। बेशुमार लोग उस वक्त इस बीमारी से मर जाते थे। Nikola Tesla के माता-पिता के पैरों तले से जमीन निकल गई। एक बेटा वो पहले खो चुके थे दूसरा बिस्तर-ए-मर्ग (मृत्युशय्या) पर पड़ा है।

8 महीने तक जब Nikola Tesla के सेहतमंद होने के कोई आसार नजर नहीं आये, तो उसका पिता उम्मीद छोड़ने लगा। उसमे मायूसी में कहा अगर मेरा यह बेटा बच गया, तो इसे दुनिया के बेहतरीन इंस्टीटूशन में इसकी मर्जी की एजुकेशन दिलाऊंगा।

शायद इस बात ने Nikola Tesla के दिमाग में उम्मीद जगा दी और इसमें बीमारी से लड़ने की (सलाहियत) इम्युनिटी कई गुना बढ़ गई। नवें या दसवें महीने में उसने बिस्तर छोड़ दिया और उसके पिता ने उसे पादरी बनाने की जिद छोड़ दी।

निकोला टेस्ला, इंजीनियरिंग पढ़ने 1870 में Austria की Graz University of Technology में आ गया। उस अमेरिका समेत दुनिया के कुछ हिस्सो में बिजली का इंडस्ट्रियल इस्तेमाल शुरू हो चुका था। इससे मशीनें चलाई जाती थीं, लेकिन अभी इससे घरों में कोई काम नहीं लिया जाता था।

यह वैसे भी Direct Current था यानि सर्किट के एक तरफ से चलता और दूसरी तरफ जाकर खत्म हो जाता यानि बिजली जाया (खराब) हो जाती। यहाँ Nikola Tesla का जीनियस दिमाग फिर ख्यालों में गुम हो जाता। वो सोचता क्यों ना कोई ऐसा तरीका निकाला जाय कि यह करंट खराब ना हो, बल्कि वापस आये और दुबारा इस्तेमाल हो सके।

जब उसने यह थ्योरी अपने क्लास में उस्ताद (शिक्षक) से डिस्कस की तो इसका खूब मजाक उड़ा। इसे मुर्ख, स्टुपिड तक कहा गया। सबने इसकी हिम्मत तोड़ने की कोशिश की, लेकिन इसके दिल ने इसे कहा आपने घबराना नहीं। इसलिए वो नहीं घबराया। उसने खुद पर भरोसा किया और इस थ्योरी पर काम करता चला गया।

इस थ्योरी को उसने “Alternating Current,” का नाम दिया, जिसे हम AC Current कहते हैं। यह एक इंकलाबी (क्रांतिकारी) थ्योरी थी, लेकिन इसे प्रैक्टिकल करना एक मसला था।

इस मसले के हल के लिए Nikola Tesla को इन्वेस्टमेंट चाहिए थी क्योंकि अगर वो करंट को व्यर्थ (जाया) होने से बचाने वाली मोटर बना लेता, तो जाहिर है यह मोटर बिजली के हर नए अविष्कार में इस्तेमाल होना थी और इससे टेस्ला और इसका इन्वेस्टर इतने पैसे कमा सकते थे कि दुनिया में शायद उस वक्त इनसे दौलतमंद और कोई ना होता। मगर निकोला एक नौजवान लड़का था और कोई इसके आईडियाज पर भरोसा करके एक बड़ी रकम दांव पर नहीं लगाना चाहता था।

फिर भी इस दौरान भाग-दौड़ से उसे अपने तौर पर यह फायदा जरूर हुआ कि वो लोग जो बिजली से जुड़े थे। इस बिजनेस के बारे में काम कर रहे थे, उन्हें टेस्ला के बारे में पता चल गया और यह भी पता चल गया कि एक एनर्जेटिक नौजवान कुछ कर गुजरना चाहता है और उसके पास कोई आईडिया भी है। शो, ऐसे ही एक शख्स ने 1882 में 26 साला Nikola Tesla को अपने पास नौकरी दे दी।

अब यहाँ से वो कहानी शुरू होती है, जो मॉडर्न दौर की एक लीजेंड है। जिसे आप और हम “War of the currents” के नाम से जानते हैं क्योंकि यह नौकरी थी मशहूर-ए-जमाना (विश्व प्रसिद्ध) साइंटिस्ट “Thomas Alva Edison” की The Edison Continental Company in Paris में।

इस कंपनी में काम करते हुए टेस्ला ने अपने तौर पर Induction motor, जैसा कि पानी खींचने वाली मोटर आजकल हर घर में लगी होती है। इसकी एक सादा सी शक्ल बना दी, लेकिन उसे पूरे यूरोप में अपने अपने आईडियाज पर पैसे लगाने वाला अब भी नहीं मिल रहा था।

शो, इसी दौरान एक दिन उसे पेरिस ऑफिस के हेड Charles Batchelor ने न्यूयॉर्क में Edison की कंपनी Edison Machine Works में करने की पेशकश (ऑफर) की और एक सिफारिशी खत एडिसन के नाम लिखकर उसे दिया। टेस्ला यह खत लेकर 1884 में न्यूयॉर्क पहुँचा। उसने एडिसन को खत दिखाया और एडिसन ने टेस्ला को 100 डॉलर महीना पर इलेक्ट्रिक इंजीनियर की जॉब दे दी।

Nikola Tesla की जॉब यह थी कि इसे वर्क शॉप के तमाम जनरेटर्स को री-डिजाइन करना था। ऐसा कहा जाता है कि टेस्ला से उसने वादा किया था कि सैलरी के अलावा, इस काम के लिए वो उसे 50 हजार डॉलर बोनस भी देगा।

टेस्ला को अपने एक्सपेरिमेंट और इन्वेंशन के लिए पैसे तो चाहिए थे। इसलिए वो खुशी-खुशी, दिन-रात एक करके काम करने लगा। वो रोजाना सुबह 10:30 बजे काम शुरू करता और अगले रोज सुबह 5 बजे तक काम करता रहता यानि लगातार 17-17 घंटे वो काम करता। फिर 2 या 3 घंटे सोकर दुबारा काम शुरू कर देता।

निकोला खुद कहता है कि वो कभी लगातार 2 घंटे से ज्यादा 1 दिन में नहीं सोया। उसके ख्याल में किसी इन्वेंटर के लिए इससे ज्यादा खुशी की कोई और बात नहीं हो सकती कि उसके दिमाग में सोचे हुए ख्याल एक नई मशीन की शक्ल में ढल रहे हों। ऐसे में इंसान खाना, सोना, दोस्तियाँ, मोहब्बत, सब भूल जाता है।

तो दोस्तों, उसने 6 महीनों के अंदर-अंदर तमाम जनरेटर्स री-डिजाइन कर दिए। मगर जब उसने एडिसन से बोनस माँगा, तो एडिसन ने कहा..अरे वो तो मैंने मजाक किया था। तुम अमेरिकी मजाक, अमेरिकी रयूमर्स को नहीं समझते क्या? टेस्ला तो अपने इन्वेंशन के लिए बड़ी रकम की उम्मीद लगाए बैठा था, शो यह जवाब उसके लिए एक धचके कम नहीं था।

जनवरी 1885 में उसने अपनी डायरी में कैपिटल लेटर में एक लाइन लिखी “Good Bye to the Edison Machine Works”. वो बेरोजगार हो चुका था। उसके पास एक दुनिया बदल देने वाला आईडिया यानि एसी करंट को प्रैक्टिकल करने का आईडिया तो था, लेकिन इस पर पैसे लगाने के लिए अमेरिका में भी कोई इन्वेस्टर तैयार नहीं था।

इसके मुकाबले में मंहगे और कम सलाहियत वाले डीसी करंट पर एडिसन की इजारादारी (एकाधिकार) था और उसके पास इन्वेस्टमेंट बहुत थी। वैसे भी एडिसन अमेरिका में एक डार्लिंग सिलेब्रिटी था। वो टेस्ला के आने से 2 साल पहले अमेरिकी घरों में बल्ब की रौशनी पहुँचाकर दुनिया भर में नाम, इज्जत और पैसा काम चुका था और कमा रहा था। इसके मुकाबले में क्रोएशिया से आने वाले नाकाम बेरोजगार की बात कौन सुनता?

Nikola Tesla, अपने AC Current का आईडिया लेकर इन्वेस्टर्स ढूंढ रहा था, लेकिन उसे कोई मिल नहीं रहा था। हाँ, एक छोटी से नौकरी उसे मिल गई। इसमें 2 डॉलर रोज के मिलते थे और काम यह था कि न्यूयॉर्क की सड़कों पर आर्क लाइट्स लगाने के लिए गढ़े खोदने थे। यानी एक मजदूरी थी यह और गलियों में लाइट्स लगाने का ठेका एडिसन की कंपनी को मिला था। यानी यह काम भी एक नर्क से कम नहीं था उसके लिए। मगर पेट तो भरना था।

Nikola Tesla के मुताबिक 1886 और 1887 की शर्दियां उसकी जिंदगी के भयानक सिरदर्द और कड़वे आंसू यानि तल्ख़ तरीन साल थे। उसे 2 डॉलर रोजाना के लिए काम करना पड़ता था और दौरान उसे अपनी सारी शिक्षा एक मजाक लगने लगी थी। इस इंतहाई मायूसी (अत्यधिक निराशा) में भी उसने अपना ख्वाब नहीं छोड़ा।

दोस्तों, ख्वाब जरूर देखने चाहिए। उन्हें जिंदा रखना चाहिए क्योंकि मौका हर इंसान की जिंदगी में आता है। अगर आप तैयार हों, तो आप इस मौके से भरपूर फायदा उठा सकते हैं, लेकिन अगर आप तैयार ना हों, तो मौका जाया (Waste) हो जाता है और आपके पास पछताने के सिवा कुछ नहीं बचता। शो, एक ऐसा ही मौका, ऐसा ही चांस टेस्ला को मिल गया।

हुआ यूँ कि Nikola Tesla ने एक दिन अपने फोरमैन को अपने इंडक्शन मोटर के बारे में बताया। यह वही मोटर थी, जिसका डिजाइन वो यूरोप में तैयार कर चुका था और इसमें AC Current ही इस्तेमाल होता था।

फोरमैन पता नहीं कितना इस आईडिया को समझा? लेकिन वो टेस्ला से प्रभावित जरूर था कि यह मजदूर बाकियों से बहुत ही अलग था। उसने इस मजदूर ने Nikola Tesla की मुलाकात एक Engineer Alfred Browne’s से करा दी। जब टेस्ला ने Alfred Browne’s को अपनी मोटर और एसी करंट के कामयाब प्रैक्टिकल इस्तेमाल के बारे में बताया, तो उसे कुछ बात समझ आ गई।

अप्रैल 1887 में यानि एडिसन को छोड़ने के 2 साल 2 महीने बाद Nikola Tesla ने Alfred Browne’s के साथ पार्टनरशिप पर एक कंपनी Tesla Electric कायम कर ली। इसमें टेस्ला को 250 डॉलर सैलरी भी मिलती थी।

Nikola Tesla मेहनती तो था ही, उसने जल्द ही AC Current से बिजली पैदा करने का एक मुकम्मल निजाम (कपम्लीट सिस्टम) तैयार कर लिया। उसने एसी करंट और इससे रिलेटेड पावर जनरेटर्स, ट्रांसफॉर्मर्स और पावर सप्लाई का अधिकार भी अपने नाम रजिस्टर्ड करवा लिया। अब वो अपने सबिक (मैत्रीपूर्ण) बॉस का कॉम्पिटिटर भी बन चुका था।

अमेरिका में बिजली सप्लाई की बहुत सी कम्पनीज थीं, लेकिन सब Direct Current (DC) के वसूल पर कायम थीं। अब जब डीसी करंट सबको अच्छा पे कर रहा था, तो नई टेक्नोलॉजी पर पैसे क्यों लगाए जायें? यह सोच बहुत से इन्वेस्टर्स की थी।

अब ऐसे में Nikola Tesla अपने कॉम्पिटिटर से इसी सूरत में जीत सकता था, जब वो एसी करंट को सस्ते में जोकि वो था भी हर गली और घर तक कामयाबी से पहुँचाने का यकीन दिला सके। इसके लिए उसे बड़ी इन्वेस्टमेंट चाहिए थी। इसलिए उसने बड़े-बड़े इन्वेस्टर्स को अपनी वर्क शॉप में डेमोज देना शुरू किये ताकि उन्हें यकीन दिलाये कि “Tesla ideas work more than Edison” (टेस्ला के विचार एडिसन से अधिक काम करते हैं।)इन्ही डेमोज में उसे पहला बड़ा इन्वेस्टर मिला जिसका नाम था George Westinghouse.

George Westinghouse, AC Current पर कर रहा था, लेकिन वो इसे ज्यादा सस्ता और प्रैक्टिकल करने में कामयाब नहीं हो पा रहा था। बस छोटे पैमाने पर इससे मशीनें वगैरह तैयार हो रही थीं, लेकिन George Westinghouse ने देखा कि Nikola Tesla उसका मसला हल कर रहा है और उसके पास मौका है कि वो पूरे अमेरिका में अपने कॉम्पिटिटर को टेस्ला की मदद से शिकश्त दे दे।

तो उसने 10 लाख डॉलर्स से ज्यादा में टेस्ला से एसी करंट के अधिकार का सौदा कर लिया। यही नहीं, यह भी तय किया गया कि एसी करंट के जनरेटर से पैदा होने वाले हर एक हार्स पावर पर टेस्ला को 2.50 डॉलर रॉयल्टी भी मिलेगी यानि जब तक George Westinghouse की कंपनी एसी करंट से बिजली बनाती रहेगी, टेस्ला को यह रॉयल्टी मिलती रहेगी। अब आप अंदाजा कर सकते हैं कि Nikola Tesla कितना अमीर होने वाला था। वो रातों-रात कखपती से लखपती बन चुका था।

George Westinghouse ने Westinghouse Electric के नाम से कंपनी बनाई। अब George Westinghouse ने Nikola Tesla की एसी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करके बिजली के ठेके हासिल करना शुरू कर दिए। यह डीसी करंट की शिकश्त का आगाज था क्योंकि डीसी करंट कम वोल्टेज का करंट था, जो लम्बे फासले तक नहीं जा सकता था।

किसी बड़े शहर में बिजली पहुँचाने के लिए हर 1 मील पर एक नया बिजली घर बनाना जरुरी होता था यानि डीसी करंट पर भारी-भरकम इन्वेस्टमेंट की जरुरत होती थी। जबकि टेस्ला का एसी करंट हाई वोल्टेज था, लेकिन इसे तारों और खम्भों की मदद से हजारों किलोमीटर दूर तक पहुँचाया जा सकता था।
सिर्फ एक बिजली घर से पूरे शहर को बिजली दी जा सकती थी। यूँ, एसी करंट डीसी करंट के मुकाबले में बहुत सस्ता और बेहतर था।

यह एडिसन और डीसी करंट की दूसरी कम्पनीज के लिए एक बुरी थी। अगर टेस्ला का आईडिया कामयाब हो जाता तो इन सबका धंधा बंद हो जाना था, लेकिन एडिसन तो अमेरिकियों का डार्लिंग बॉय था, उनका हीरो था। उसके सामने टेस्ला क्या बेचता था?

तो एडिसन ने टेस्ला के आईडिया को नाकाम करने के लिए हर वो गलत हथकंडा इस्तेमाल किया, जो वो कर सकता था। उसने अमेरिकी जनता से कहा कि एसी करंट बहुत खतरनाक है और Westinghouse Electric यानि टेस्ला की कंपनी अपने किसी भी कस्टमर को बिजली सप्लाई के 6 महीने में ही हलाक (नष्ट) कर देगी, बल्कि उसने यह मुजाहरा (प्रदर्शन) करना भी शुरू कर दिया और न्यूयॉर्क के चौक-चौराहों पर कुत्तों और घोड़ों को एसी करंट लगाकर मारना शुरू कर दिया।

वो आम लोगों और सरकारी अफसरान और इन्वेस्टर्स में यह खौफ पैदा करने की कोशिश कर रहा था कि वो एसी करंट से दूर रहें। वर्ना मारे जाएंगे। एडिसन इस लड़ाई में इस हद तक चला गया कि उसे सजा-ए-मौत के एक मुजरिम को एसी करंट से मारने का मशवरा दिया।

जब ऐसा किया गया, तो बेचारा मुजरिम बहुत तड़पा। सजा-ए-मौत वाले मुजरिम विलियम कैमरन को मरने में पूरे 4 मिनट लगे, बल्कि कहा जाता है अखबारों में लिखा गया कि उसका जिस्म पूरी तरह जल गया था और लाश को ठंडा होने में कई घंटे लगे।

अखबारों में इस तकलीफ देह मौत का जिक्र करते हुए विलियम कैमरन को बेचारा मुजरिम करार दिया, लेकिन जब यह खबरें एडिसन तक पहुँची, तो उसे कोई पछतावा नहीं था, बल्कि उसने कहा कि चूँकि यह पहली बार था कि एसी करंट से लोगों को मारा जा रहा है, तो जोश में उनसे कुछ गलतियां हो गई होंगी। उसने निर्देश दिया कि अगली बार किसी सख्स को बिजली की कुर्सी पर बिठाया जाय, तो उसके दोनों हाँथ पानी से भरे बर्तन में डुबो दिए जाय और फिर करंट छोड़ा जाय।

तो अब सूरत-ए-हाल (सिचुएशन) यह थी कि अमेरिकन पब्लिक एसी करंट से जानवरों और इंसानों के मरने का दर्दनाक मंजर अपनी आँखों से देख रही थी। फिर उनका हर दिल अजीज (सबका प्यारा) साइंटिस्ट एडिसन भी एसी करंट का विरोध कर रहा था। चुनाचे (इस तरह) प्रोपेगेंडा काम करने लगा और उसने पब्लिक ओपिनियन में आग दी और लोग एसी करंट के खिलाफ होने लगे। इसी दौरान एक और हादसे ने भी एसी करंट और Nikola Tesla की साख को और उसके बिजनेस को बहुत नुक्सान पहुँचाया।

हुआ यह कि 1891 में न्यूयॉर्क में एक लाइन मैन एसी करंट के खम्भे पर करंट लगने से मर गया। इस घटना के बाद न्यूयॉर्क शहर की इन्तिजामिया (एडमिनिस्ट्रेशन) ने हुक्म दिया कि एसी करंट की तारों को जेरे जमीन (जमीन के नीचे) अंडर ग्राउंड वायरिंग करके बिछाया जाय। खम्भे खत्म कर दिए जाएं और सारी वायरिंग और तारें जमीन के नीचे दबाई जाएं।

अब एडिसन के डीसी करंट की वायरिंग को पहले ही अंडर ग्राउंड थी। मगर Westinghouse Electric को अपनी पहले से बिछाई हुई तारों को खम्भों से उतार कर जमीन के नीचे बिछाना पड़ा। जिससे कंपनी पर इजाफी माली (अतिरिक्त खर्चे) का बोझ पड़ा और इन्हे बिजली की कीमत भी थोड़ी-बहुत बढ़ाना पड़ी।

War of the currents में Nikola Tesla को शिकश्त (हार) हो रही थी। आम लोग एसी करंट से डरने लगे थे। यूँ लगता था कि एसी करंट मार्केट से गायब हो जायेगा, लेकिन कुदरत (नेचर) ने Nikola Tesla को एक मौका और दिया।

1893 में शिकांगो में The World’s Columbian Exposition (विश्व की कोलंबियाई प्रदर्शनी) हो रही थी। इसमें लाखों लोगों ने शामिल होना था। इस प्रदर्शनी में कई मशीनों की नुमाइश होना थी और बिजनेस कम्युनिटी ने बड़ी तादात में यहाँ आना था।

यह दुनिया में पहली आलमी नुमाइश (सांसारिक प्रदर्शनी) थी, जिसे बिजली से रौशन करने का फैसला किया गया। इसके लिए नुमाइश (प्रदर्शनी) की जगह पर 1 लाख से ज्यादा बल्ब रौशन (जलाये) जाने थे।

अब यह बहुत बड़ा ठेका था। इसके लिए Thomas Alva Edison और Nikola Tesla की कंपनी ने भी बोलियां लगाई थीं। अब यह सिर्फ ठेके की ही लड़ाई नहीं रही थी। इस बात की भी जंग थी, इस बात का भी फैसला होना था कि कौन सा करंट बाकी रहेगा? टेस्ला का एसी या एडिसन का डीसी।

तो दोस्तों, इस नुमाइश (प्रदर्शनी) के लिए टेस्ला की कंपनी Westinghouse Electric ने 5 लाख डॉलर और एडिसन की कंपनी General Electric ने 10 लाख डॉलर की बोली लगाई।

नुमाइश (प्रदर्शनी) के आर्गेनाइजर ने तमाम प्रोपोगेंडा के बावजूद टेस्ला के एसी करंट के लिए ठेका अलॉट कर दिया। बस एक बात थी, जो एडिसन के ही प्रोपोगेंडे से फैली थी कि इस करंट से लोग मर जाएंगे।

इस बात को रद्द करने के लिए टेस्ला नुमाइश में पहुँचा। उसने बहुत से लोगों के सामने बिजली के टर्मिनल पर हाँथ रखा और करंट उसके जिस्म में दाखिल हुआ। उसका जिस्म एक बल्ब की तरह चमकने लगा। मगर करंट ने टेस्ला को कोई नुक्सान नहीं पहुँचाया क्योंकि वो काठ के तलवे वाले जूते पहन हुए था यानि वो दिखा रहा था कि थोड़ी सी सावधानी बरती जाय, तो यही करंट दुनिया का मुस्तकबिल (भविष्य) है और महफूज (सुरक्षित) है।

लेकिन दोस्तों, यहां यह बात जरूर मद्दे नजर (ध्यान में) रखनी चाहिए कि हो सकता है एडिसन सिर्फ टेस्ला के विरोध ही में व्यापार प्रतिद्वंद्विता में ही यह सब कुछ ना कर रहा हो, बल्कि अच्छी नियत से यही समझता हो कि एसी करंट वाकई इंसान की जान के लिए यह ज्यादा खतरनाक है डीसी की निस्बत (तुलना). इसलिए उसे इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आज भी हमारा आम मुशहदा (अवधारणा) है कि जरा सी लापरवाही से एसी करंट लोगों को जला देता है या इनकी जान ले लेता है।

तो बहरहाल (जैसा भी हो) 1893 तक Nikola Tesla ने अपने पहले बॉस एडिसन को तारीखी “War of the currents” में चारों खाने चित कर दिया, लेकिन इसके बाद की कहानी थोड़ी मुख्तलिफ (अलग) है। टेस्ला, जिसे अब अरबों पति हो जाना चाहिए था कौड़ी-कौड़ी का मोहताज हो गया..क्यों? रिमोट कंट्रोल, फ्लाइंग कार, रेडियो और वायरलेस टेक्नोलॉजी डिजाइन करने वाला साइंटिस्ट नाकाम क्यों हुआ? आखिर दुनिया की दो बड़ी ताकतें उसके लिखे कागजात पर क्यों लड़ रही थीं? Nikola Tesla गुमनामी में क्यों चला गया? और आज उसे एडिसन से बड़ा इंसान और उससे बड़ा साइंटिस्ट क्यों माना जाता है? आइये जानते हैं।

अमेरिकी होटल NEW YORKER के 3327 कमरे में एक बूढ़े साइंटिस्ट का जिस्म (शरीर) पड़ा था। इसके साथ वाले कमरे में जो उसी के इस्तेमाल में था, वहां दर्जनों संदूक पड़े थे। जिनमे उसके वो कागजात थे, जो दुनिया की दो सुपर पावर एक-दूसरे से पहले हासिल कर लेना चाहती थीं। लेकिन, यह कागजात फौरन ही अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI ने जप्त कर लिए। फिर इनमे से कुछ कागजात चोरी हो गए। इस घटना को 77 साल हो चुके हैं, लेकिन हम नहीं जानते कि उसके चोरी किये गए कागज कहाँ हैं?

उसके कुछ पेपर्स जो पब्लिक किये गए, वो जगह-जगह से सेंसर हैं। वहां क्या लिखा था? शायद कुछ ही लोग यह बात जानते हों, लेकिन सवाल यह है कि आखिर इन कागजात की इतनी अहमियत (महत्त्व) क्यों था?

1890 की दहाई तक Nikola Tesla दुनिया को एक जबर्दस्त टेक्नोलॉजी एसी करंट की शक्ल में ट्रांसफर कर चुका था। वो सिर्फ इसकी रॉयल्टी से कई पुश्तों (जनरेशन) तक शहाना (राजसी) जिंदगी गुजार सकता था, लेकिन हुआ यह कि इसकी Westinghouse Electric Company को नुक्सान होने लगा।

यह नुक्सान उन्हें किसी और वजह से हो रहा था, लेकिन टेस्ला एक भला मानस इंसान था। वो लालची हरगिज नहीं था। उसने अपनी कंपनी को नुकसान से बचाने के लिए वो रॉयल्टी माफ कर दी, जिसमे एसी करंट के हर एक हार्स पावर पर उसे 2.50 डॉलर मिलना थे, लेकिन इसकी यही फराख-दिल (Large-Hearted) बेहद मंहगी पड़ी क्योंकि आगे चलकर जब उसके नए प्रोजेक्ट्स कमर्शियल नहीं हो सके, तो इसके पास आमदनी का कोई जरिया भी नहीं बचा।

फिर यह हुआ कि 1895 में न्यूयॉर्क में उसकी खुद की लेबोरेटरी में आग लग गई। इसका बहुत कुछ जल कर भस्म हो गया। वो रेडियो के अविष्कार और वायरलेस टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा था, जिसका बहुत ज्यादा रिकार्ड्स जल गया और इस जल जाने का फायदा हुआ Guglielmo Marconi को क्योंकि जब उसकी लेबोरेटरी जल गई, तो उसे दुबारा सेटल होने में कुछ वक्त लगा।

इस दौरान उसके Arrival Guglielmo Marconi ने उसकी और कुछ दूसरे माहिरीन (विशेषज्ञों) की थ्योरीज का इस्तेमाल किया और उनकी मदद से 12 मील तक रेडियो सिग्नल्स भेजने का तजुर्बा करने में कामयाब हो गया और यूँ रेडियो के अविष्कार का शेहरा Guglielmo Marconi के सर पर सज गया।

Nikola Tesla ब-जाहिर (वास्तव में) Guglielmo Marconi से पीछे रह गया था, लेकिन इस टेक्नोलॉजी में वो अब भी Guglielmo Marconi से बहुत आगे था। बहुत एक्सपर्ट था। वो 12 मील से कहीं ज्यादा फासले तक रेडियो सिग्नल्स भेजने की सलाहियत (योग्यता) रखता था।

इस टेक्नोलॉजी का सबसे ज्यादा फायदा यह था कि उस वक्त टेलीफोन का भी अविष्कार हो चुका था, लेकिन इसकी तारें बिछाने पर बहुत सा पैसा और मेहनत खर्च होती थी।

अगर टेस्ला थोड़ी हिम्मत करता, तो अपनी टेक्नोलॉजी को कमर्शियल करके बेपनाह फायदा और मुनाफा कमा सकता था, लेकिन हुआ यह कि इसके दिमाग में मुख्तलिफ (भिन्न) आईडिया समा गया। उसने Guglielmo Marconi से मुकाबले के बजाय यह सोचना शुरू कर दिया कि अगर आवाज की लहरों को बगैर तार के एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाया जा सकता है, तो बिजली के करंट को क्यों नहीं पहुँचाया जा सकता? उसने सोचा क्यों ना ऐसी टेक्नोलॉजी बनाई जाय, जिससे बिजली को बगैर किसी तार के पूरी दुनिया में पहुँचाया जा सके।

Nikola Tesla ने अपनी लेबोरेटरी में वायरलेस बिजली से बल्ब रौशन करने के कामयाब तजुर्बे भी किये। वो बगैर तार के कम फासले तक आसमानी बिजली की तरह बिजली ट्रांसफर करता और करीब ही बैठा किताब पढ़ता रहता।

Nikola Tesla
Nikola Tesla

जैसा कि आप ऊपर तस्वीर में में देख रहे हैं। यह फोटो शॉप हरगिज नहीं है। असल तस्वीर है। वो अपनी इस कामयाबी का डेमो यूनिवर्सिटीज और अलग-अलग जगहों पर भी दे रहा था ताकि उसे इन्वेस्टमेंट मिल सके, लेकिन मसला यह था कि उसके यह तजुर्बात (एक्सपेरिमेंट्स) बिजली को बगैर तार के पहुँचा तो रहे थे, लेकिन बहुत कम फासले तक। लम्बे फासले तक वायरलेस बिजली पहुँचाने का कामयाब तजुर्बा, उसने अब तक नहीं किया था।

शो, इसी मकसद के लिए 1899 में उसने अमेरिकी रियासत Colorado में एक लेबोरेटरी बनाई और अपनी सारी दौलत लम्बे फासले तक बगैर तार के बिजली पहुँचाने में लगा दी। वो दिन-रात इस टेक्नोलॉजी पर काम करने लगा। वो कभी-कभार दो-एक घंटे के लिए सो भी जाता, लेकिन इस दौरान अपनी टीम से भी बेतहाशा काम लेता।

इसके खयालात (विचारों) और इतने ज्यादा काम की वजह से वो साइंटिफिक कम्युनिटी में पागल साइंटिस्ट मशहूर हो गया था..Mad Scientist. इसी पागल साइंटिस्ट की लेबोरेटरी में लकड़ी का एक बुलंद (ऊँचा) टावर था, जिस पर एक एंटीना लगा हुआ था।

एक शाम को Colorado के शहरियों ने देखा कि एंटीने से बिजली की एक कई सौ फुट ऊँची लहार बुलंद हो रही है। टेस्ला लम्बे फासले तक बिजली बगैर तार के मुंतकिल (एक जगह से दूसरी जगह) भेज रहा था। इस बिजली की घन-गरज भी बादलों की बिजली की तरह 20 मील तक सुनाई दी, लेकिन जैसे ही यह नजारा थमा Colorado City का पावर स्टेशन झटके से उड़ गया।

पूरा शहर अँधेरे में डूब गया। पागल साइंटिस्ट पर तनकीद (आलोचना) और भी तेज हो गई, लेकिन वो बाज नहीं आया और लगतार नाकाम तजुर्बात (एक्सपेरिमेंट्स) करता चला गया। इन तजुर्बात का सिलसिला तब रुका जब इसकी जेब में आखिरी सिक्का भी खत्म हो चुका था।

1900 की शुरुआत में जब वो कोलोराडो से न्यूयॉर्क वापस आया, तो उसका दिवाला निकल चुका था। बिजली की रॉयल्टी वो पहले ही छोड़ चुका था। अब उसके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं रहा था। वो एडिसन के Investor ‘J.P Morgan’ के पास पहुंचा और कहा कि वो उसे वायरलेस बिजली के तजुर्बात (एक्सपेरिमेंट्स) के लिए फंडिंग करे क्योंकि वो कामयाबी के बहुत ही करीब है।

J P Morgan
J P Morgan

J.P Morgan मान गया, लेकिन बिजली के लिए नहीं, बल्कि वायरलेस कम्युनिकेशन के लिए क्योंकि Guglielmo Marconi जिसने रेडियो का आविष्कार कर लिए था। अब इस कोशिश में कोशिश में लगा हुआ था कि किसी तरह यूरोप से सिग्नल्स को अटलांटिक ओसियन के पार अमेरिका भेज सके और वो भी बगैर किसी तार के।

Nikola Tesla के लिए यह काम बहुत आसान था क्योंकि वो तो वायरलेस टेक्नोलॉजी में Guglielmo Marconi से बहुत आगे था, बल्कि बिजली को बगैर तार के आगे पहुँचाने के कामयाब तजुर्बे, थोड़े फासले तक ही सही कर चुका था। इसलिए J.P Morgan चाहता था कि अगर टेस्ला जल्दी-जल्दी यह टेक्नोलॉजी प्रैक्टिकल शक्ल में ले आये, तो वो ना सिर्फ लम्बा-चौड़ा मुनाफा कमा सकता है, बल्कि टेस्ला भी एक बार फिर बहुत अमीर हो सकता है।

वायरलेस कम्युनिकेशन पर रिसर्च के लिए J.P Morgan ने Nikola Tesla को $1,50,000 देने का प्लान बना लिया। उसने न्यूयॉर्क शहर के करीब ही Long Island पर Nikola Tesla को एक टावर और लेबोरेटरी बनाकर दी। मगर टेस्ला ने इस लेबोरेटरी में रेडियो सिग्नल्स भेजने के बजाय एक बार फिर वायरलेस इलेक्ट्रिक पर एक्सपेरिमेंट्स शुरू कर दिए।

Guglielmo Marconi
Guglielmo Marconi

इस सब का नतीजा यह हुआ कि Guglielmo Marconi को एक बार वक्त मिल गया। उसने समंदर पार बगैर तार के सिग्नल भेज दिए और Nikola Tesla का Investor ‘J.P Morgan’ मुँह देखता रह गया।

अब J.P Morgan के Nikola Tesla से बिगाड़, मतभेद शुरू होने लगे। टेस्ला ने उसे समझने की कोशिश की कि वो बगैर तारों के बिजली पूरी दुनिया में पहुँचाने की टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है और कामयाबी के बहुत करीब है। J.P Morgan ने जवाब में तारीखी फ़िकरा (कटाक्ष, जुमला, व्यंग्यपूर्ण बात) कहा। वो बोला “अगर बगैर तार के हर घर में बिजली जाएगी, तो हम मीटर कहाँ लगाएंगे?”

अब चूँकि Nikola Tesla के पास इसका कोई जवाब नहीं था, तो J.P Morgan के पास Nikola Tesla के लिए कोई फंड भी नहीं था, बल्कि अब उसके फंड Guglielmo Marconi के लिए वक्फ (समर्पित) हो चुके थे।

J.P Morgan ने हाँथ खींच लिया, तो Nikola Tesla एक बार फिर कौड़ी-कौड़ी का मोहताज हो गया। वो बिजनेस कम्युनिटी में अपनी साख भी खो रहा था। यहाँ तक कि 1909 तक टेक्नोलॉजी की दुनिया से टेस्ला का नाम गायब होने लगा।

Thomas Alva Edison
Thomas Alva Edison

उसके कॉम्पिटेटर Thomas Alva Edison और Guglielmo Marconi अपने काम से शोहरत और दौलत दोनों कमा रहे थे। मगर Nikola Tesla रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी परेशान रहता था। हद तो यह है कि जिस Westinghouse Electric को नुकसान से बचाने के लिए उसने अपनी रॉयल्टी माफ की थी, वो भी टेस्ला की कोई मदद नहीं कर रहे थे।

उसने अपने दौर के बेहतरीन अविष्कार में हिस्सा डाला था। दुनिया भर में 700 अविष्कार उसके नाम पर थे, लेकिन साइंटिफिक कम्युनिटी भी उसकी माली मदद को नहीं आ रही थी, बल्कि वहां उसके साथ सरे आम ज्यादती हो रही थी।

1909 में टेस्ला के कॉम्पिटेटर Guglielmo Marconi को Nobel Prize दिया गया, लेकिन जिस टेस्ला की थ्योरी से मार्कोनी ने फायदा उठाया था। उसे किसी चमत्कार का पात्र नहीं समझा गया। उसने खुद से अदालत में जाकर कोशिश की कि इस अविष्कार में उसका भी हिस्सा है। उसे भी कुछ रकम दी जाय या कम से कम मान्यता ही दे दी जाय, लेकिन वो यह मुकदमा भी हार गया कि उसके पास कोई अच्छा वकील करने के पैसे ही नहीं थे।

इस घटना के 6 साल बाद एक बार फिर उसका नाम लोगों ने सुनना शुरू किया। वो यूँ कि 1915 में उसे और थॉमस एडिसन को साझा तौर पर फिजिक्स का नोबेल प्राइज देने का फैसला हुआ, लेकिन फिर अचानक ना मालूम कारणों पर दोनों का नाम लिस्ट से निकाल कर एक तीसरे ब्रिटिश फिजिसिस्ट William Henry Bragg का नाम दे दिया गया।

नोबेल प्राइज वापस लेने की कोई वजह नहीं बताई गई, लेकिन लोगों ने यही सोचा कि शायद सनकी टेस्ला ने अरबपति एडिसन के साथ यह अवॉर्ड शेयर करने से इंकार कर दिया था क्योंकि दोनों एक दूसरे के तकरीबन दुश्मन ही थे। इसीलिए यह अवॉर्ड भी उनसे वापस लेकर किसी और को दिया गया।

वजह कुछ भी हो, लेकिन नोबेल प्राइज ना मिलना Nikola Tesla के लिए बहुत तबाहकुन (विनाशकारी) था। पैसा तो कभी भी उसकी मंजिल नहीं था। मगर जब इतनी मेहनत के बाद तारीफ के दो हकीकी बोल भी ना मिले, तो इंसान मायूस हो ही जाता है। टेस्ला भी मायूस होकर अपने व्यक्तित्व की खोल में बंद होने लगा।

वो इंसानों से दूर भागने लगा था। वो पार्क में कबूतरों को दाना डालता रहता, उन्हें ही अपना दोस्त समझता, उन्ही से पागलों की तरह बातें करता रहता। वो शायद पागल-पन ही में मर जाता, लेकिन फिर हिटलर आ गया और Nikola Tesla का नाम एक बार फिर आलमी (सांसारिक) ताकत के सरबराहों (मुखिया) की जुबानों पर चढ़ने लगा।

हिटलर के जंगी तैयारियां देखकर अमेरिका और बर्तानिया ऐसे हथियारों की जरुरत महसूस करने लगे, जिनकी मदद से वो हिटलर के जंगी जूनून का मुकाबला कर सकें। ऐसे में टेस्ला ने यह दावा कर दिया कि उसने एक ऐसा हथियार डिजाइन कर लिया है, जो इतना खतरनाक है कि इसके खौफ से ही सारी जंगें खत्म हो जाएंगी। इस हथियार को बाद में Death ray का नाम दिया गया।

Death Ray
Death Ray

Nikola Tesla के मुताबिक वो Death ray से बिजली की सिर्फ एक ताकतवर लहर पैदा करेगा और इससे 200 मिलोमीटर में उड़ने वाले सैकड़ों जहाज तबाह हो जाएंगे। अब अमेरिका से यूरोप तक टेस्ला के इन नए आविष्कार या डिजाइन के चर्चे होने लगे। मगर हकीकत यह थी कि टेस्ला ने ऐसे किसी हथियार पर कोई तजुर्बा नहीं किया था। यह उसका एक पेपर फार्मूला था, बस।

इस फॉर्मूले की अमली शक्ल (Implemented form) यह हो सकती थी कि टंगस्टन में मरकरी यानि पारे के ज़र्रात (पार्टिकल्स) को चार्ज करके अगर एक गन के जरिये फायर किया जाय, तो बिजली की एक लम्बी से रेज़ निकलेगी, जो अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को तबाह कर देगी। जैसा कि आप फिल्मों में भी इस किस्म की गन्स देखते हैं।

तो Nikola Tesla ने अपनी यह थ्योरी बर्तानिया, सोवियत रूस, योगोस्लाविया और फिर अमेरिका को बेचने की कोशिश की। बर्तानिया ने इसे 30 मिलियन डॉलर्स ऑफर भी किये, लेकिन यह डील फाइनल ना हो सकी क्योंकि टेस्ला चाहता था कि इसे रकम पहले अदा की जाय। शायद इसलिए कि वो जिंदगी में पैसों के मामलात में बहुत मार खा चुका था। इसलिए अब उसे किसी पर ऐतबार नहीं रहा था। जबकि बर्तानिया की मांग थी कि वो अपने कागजात पहले उनके हवाले करे ताकि वो चेक कर सके कि उसका फार्मूला काबिल-ए-अमल है भी या नहीं? सो, बद-एत्मादि (भरोसा ना कर पाने) की इस फिजा में यह मुहायदा (समझौता) टूट गया।

HOTEL NEW YORKER
HOTEL NEW YORKER

Nikola Tesla को 3 के नंबर से जिंदगी भर कोई खास मोहब्बत रही है। 1930 के शुरू में अमेरिकी होटल NEW YORKER के 33 फ्लोर के 2 कमरों 3327 और 3328 में शिफ्ट हो गया। एक में वो खुद रहता, एक में उसका सामान पड़ा रहता। यहाँ वो अकेला ही रहता था। यही वो अलग-अलग साइंस की थ्योरीज पर काम करता था।

इसी दौरान एक दफा वो पार्क की तरफ जा रहा था कि एक टैक्सी से टकरा कर जख्मी हो गया। उसकी कमर पर गंभीर चोट आई और 3 पसलियां भी टूट गईं। इससे भी बड़ी बात यह कि उसने डॉक्टर के पास जाने से भी इंकार कर दिया जैसा कि वो सारी जिंदगी भी यही करता रहा था।

इस हादसे और बुढ़ापे ने उसकी बुरी हालत कर दी थी। उसने एक बार जिंदगी में गलती से समझा था कि उसे एलियंस ने सिग्नल्स भेजे हैं और अब 80 साल की उम्र में 6 फिट 3 इंच के Nikola Tesla की हालत ऐसी थी कि वो खुद एक एलियन सा दिखाई देने लगा था।

बस यही वो वक्त था, जब उसकी पुरानी कंपनी Westinghouse Electric Corporation को भी होश आ गया। कंपनी ने उसका खाने-पीने और होटल के किराये का खर्च अपने जिम्मे ले लिया। जबकि योगोस्लाविया जोकि टेस्ला का आबाई वतन था, इसकी हुकूमत भी टेस्ला को वजीफा देने लगी। इसी पैसे से टेस्ला का गुजरा चलने लगा। Nikola Tesla ने अपनी जिंदगी के आखिरी 10 साल इसी होटल के इन्ही 2 कमरों में गुजारे, जहाँ वो खुद भी रहता था और उसकी रिसर्च के तमाम कागजात और पेपर्स भी यहीं पड़े रहते थे।

1943 में इन्हीं पेपर्स में से कुछ को अमेरिका हासिल करने के लिए बेचैन होने लगा। वो यूँ कि जब सेकंड वर्ल्ड वार (दूसरी जंगे अजीम) यौवन पर थी, तो अमेरिका को ख्याल आया कि क्यों ना टेस्ला से Death ray का फार्मूला ही खरीद लिया जाय।

चुनाचे (इसलिए) वाइट हाउस में इसी हवाले से एक हाई लेवल मीटिंग रखी गई, जिसमे टेस्ला ने शामिल होकर Death ray की Theory पर बात करनी थी, लेकिन होटल में टेस्ला के कमरे के बाहर 2 दिन से Don’t Disturb का Sign लटक रहा था। जब एक मेड ने बिना इजाजत दरवाजा खोलकर देखा, तो 3327 में Nikola Tesla बेसुध पड़ा था। यह 07 जनवरी 1943 का दिन था और 86 साला टेस्ला मर चुका था।

Nikola Tesla की आखिरी रसूमात (RIP) की आदायगी के बाद इसकी लॉस जला कर राख महफूज (सुरक्षित) कर ली गई। मगर टेस्ला की मौत ने एक जबर्दश्त कंट्रोवर्सी पैदा कर दी।

अमेरिकी FBI के एजेंट्स ने Nikola Tesla के होटल वाले कमरे पर धावा बोल दिया और वहां मौजूद सारे कागजात अपने कब्जे में ले लिए। FBI के एजेंट्स इन कागजात का जायजा लेकर Death ray का फॉर्मूला ढूंढते रहे, लेकिन टेस्ला के वारिसों को, उसके रिश्तेदारों को अमेरिकी हुकूमत का ये एक्शन एक आँख नहीं भाया। वो टेस्ला की राख और उसके तमाम कागजात योगोस्लाविया ले जाना चाहते थे क्योंकि क्रोएशिया अब योगोस्लाविया का हिस्सा था।

Nikola Tesla ने चूँकि सारी जिंदगी शादी नहीं की थी। इसलिए इसकी विरासत का दावेदार इसका भतीजा Sava Kosanović था जोकि योगोस्लाविया में रहता था। वहां की हुकूमत भी यही चाहती थी कि Nikola Tesla की राख और इसके छोड़े हुए कागजात उन्हीं को दिए जाएं ताकि एक कौमी हीरो की तरह उसकी यादगारों को महफूज रखा जा सके, लेकिन अमेरिका इसका विरोध कर रहा था क्योंकि योगोस्लाविया उसके मुकाबले में सुपर पावर सोवियत रूस का एलाइंस था।

अमेरिका को शक था कि Nikola Tesla की ड्रॉइंग्स और साइंटिफिक थ्योरी रूस के हाँथ लग गई तो कहीं लेने के देने ना पड़ जाएं, लेकिन इसी दौरान टेस्ला के कुछ कागजात चोरी या गुम हो गए, जिनके बारे में यह ख्याल किया जाता है कि इन्हे सोवियत रूस के जासूसों ने चुरा लिया था।

Nikola Tesla के वारिशों और योगोस्लाविया की कोशिशों से 1952 में अमेरिकी अदालत ने टेस्ला की यादगारें उसके भतीजे के हवाले करने का हुक्म जारी कर दिया, लेकिन यहाँ फिर एक कंट्रोवर्सी पैदा हो गई। वो यह कि FBI के रिकॉर्ड के मुताबिक टेस्ला का छोड़ा हुआ सामान 80 संदूकों में बंद था। मगर वो सामान Sava Kosanović योगोस्लाविया ले गया, वो 60 संदूकों में भरा हुआ था। 20 संदूक गायब थे।

Nikola Tesla की Biography “Wizard: the Life and Times of Nikola Tesla” लिखने वाले Biographer ‘Marc Seifer’ के मुताबिक यह भी मुमकिन है कि वो सारा सामान 60 संदूकों में पूरा आ गया हो और यह भी मुमकिन है कि इसका कुछ हिस्सा अमेरिकियों ने गायब कर दिया हो।

बहरहाल जो भी था Nikola Tesla का भतीजा Sava Kosanović उसकी यादगारें, रिसर्च पेपर्स और टेस्ला की राख लेकर योगोस्लाविया पहुँच गया था। इन कागजात में इसकी तफ्सीली (विस्तृत) ड्रॉइंग्स थी, जिसमे टेस्ला ने ऐसे जहाज बनाने के आईडियाज लिखे थे, जो बगैर Runway के उड़ सके। मौसम में बदलाव करने और मशनूई (आर्टिफीसियल) बारिश बरसाने की थ्योरीज थीं इसमें। बगैर तारों के बिजली ट्रांसफर करने के फॉर्मूले थे। Death ray पर बहुत सा काम था। रमोट कंट्रोल टेक्नोलॉजी की कामयाब टेक्निक्स थी और सूरज की रौशनी से पूरी दुनिया में बिजली पहुँचाने के आईडियाज भी इन्ही कागजात में थे और ना जाने क्या कुछ था क्योंकि कागजात हजारों की तादात में थे।

Nikola Tesla
Nikola Tesla

इन्ही कागजात और इसकी यादगारों को 1952 में योगोस्लाविया में लाकर Capital Belgrade के Nikola Tesla Museum में रख दिया गया। अगर आप इस म्यूजियम में जाएं, तो यहाँ एक ऊंची मेज पर एक सुनहरी गेंद धरी है। सुनहरी गेंद टेस्ला का दिल पसंद डिजाइन था और इसी में आज इसकी राख महफूज (सुरक्षित) है। इसके करीब ही इसकी आखिरी तस्वीर के तौर पर इसका डेथ मास्क भी रखा हुआ है कि जो चाहे आज भी इसका आखिरी दीदार कर सकता है।

Nikola Tesla को अपनी जिंदगी में तो अपने कामों का सिला नहीं मिला, लेकिन मरने के बाद इसकी बहुत इज्जत की गई। इसे “Man of Future” का नाम दिया गया। आज इसके नाम पर आधुनिक गाड़ियां बन रही हैं। कई यूनिट्स इसके नाम पर हैं। अमेरिका, क्रोएशिया, सर्बिया और ना जाने कहाँ-कहाँ इसके यादगारें मुजासम-ए-नज्म हैं।

Nikola Tesla
Nikola Tesla

जब वो जिन्दा था, तो कौड़ी-कौड़ी का मोहताज था, लेकिन जब वो मर गया, तो सर्बिया की करेंसी नोटों पर उसकी तस्वीर छपने लगी। मिर्जा गालिब ने शायद ऐसे ही किसी लम्हे के लिए कहा था कि ” हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे, लेकिन ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक”.

इसे भी पढ़ें: थॉमस अल्वा एडिसन की शानदार बायोग्राफी

दोस्तों, आपके ख्याल में Nikola Tesla एक ग्रेट साइंटिस्ट था या अधूरे प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाला एक Undisciplined (अनुशासनहीन) जीनियस? हमे कमेंट बॉक्स में लिखकर अपनी राय जरूर दें, शक्रिया।

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