Stephen Hawking Kaun Tha?

एक औसत दर्जे का छात्र/स्टूडेंट दुनिया का दूसरा बड़ा वैज्ञानिक बन गया। 21 साल की उम्र में इसे कहा गया कि वो ज्यादा से ज्यादा 2 साल तक ही जिन्दा रहेगा, लेकिन इसने मेडिकल साइंस को गलत साबित कर दिया। इसने बीमारी के साथ आधी सदी से ज्यादा जिंदगी गुजारी। इसने कायनात (ब्रह्मांड/यूनिवर्स) के कई एक (गुप्त/छुपे) राजों से पर्दा उठाया, लेकिन इसकी अपनी दुनिया सिर्फ एक व्हीलचेयर तक सीमत रही। इसने अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाया, रुकावट नहीं। वो चलने-फिरने यहाँ तक कि बोलने तक में भी असक्षम था, लेकिन वो समय भी आया जब इसका एक-एक शब्द सुनने के लिए दुनिया भर के कान फरियाद करते थे। आज के इस आर्टिकल में हम आपको जमाना-ए-मशहूर (विश्व प्रसिद्ध) Scientist, Stephen Hawking की कहानी बताएँगे।

Stephen Hawking Biography In Hindi | स्टीफन हॉकिंग का शानदार जीवन परिचय 

नाम स्टीफन हॉकिंग
जन्म स्टीवन विलियम हौकिंग
8 जनवरी 1942
ऑक्सफोर्डइंग्लैण्ड
मृत्यु 14 मार्च 2018 (उम्र 76)
आवास यूनाइटेड किंगडम
राष्ट्रीयता ब्रिटिश
क्षेत्र

सामान्य आपेक्षिकता, क्वांटम गुरुत्व

संस्थान कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय

कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी

पेरिमीटर इंस्टिट्यूट फॉर थ्योरेटिकल फिजिक्स

शिक्षा यूनिवर्सिटी कॉलेज, ऑक्सफ़ोर्ड

ट्रिनिटी हॉल, कैम्ब्रिज

डॉक्टरी सलाहकार डेनिस स्कियमा
प्रसिद्धि

हौकिंग विकिरण

विचित्रता प्रमेय

अ ब्रीफ़ हिस्ट्री ऑफ टाइम (1988) (समय का संक्षिप्त इतिहास)

उल्लेखनीय सम्मान आल्बर्ट आइन्स्टाइन पुरस्कार (1978)

वॉल्फ प्राइज़ (1988)

प्रिंस ऑफ ऑस्टुरियस अवाडर्स (1989)

कोप्ले मेडल (2006)

प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम (2009)

विशिष्ट मूलभूत भौतिकी पुरस्कार (2012)

दूसरे वर्ल्ड वार के दौरान 08 जनवरी 1942 को Stephen Hawking ने इंग्लैंड के यूनिवर्सिटीज के शहर ऑक्सफोर्ड में आँख खोली। इसके माता-पिता दोनों ऑक्सफोर्ड से ग्रेजुएट थे। Stephen Hawking के घर में सबको किताबें पढ़ने का शौक था। माता-पिता दोनों लायक थे, लेकिन स्टीफन को पढ़ाई से कुछ ज्यादा लगाव नहीं था। अपने तालीमी सफर (शैक्षिक यात्रा) के पहले साल में पूरी क्लास में तीसरे नंबर पर आया, लेकिन यह तीसरी पोजीशन फर्स्ट, सेकंड, थर्ड नहीं, बल्कि बॉटम थर्ड थी।

इसे पढ़ाई से ज्यादा खेल-कूद से लगाव था। वो अपने दोस्तों के साथ साइकिलिंग करता, बोट गेम खेलता और कभी-कभार कश्ती रानी (नाव खेने) में भी हिस्सा लिया करता था। पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था, लेकिन वो बुद्धिमान तो वो बचपन से था।

अपने दोस्तों के साथ मिलकर Stephen Hawking ने घड़ी, टेलीफोन और स्विच बोर्ड के रीसाइकिलेबल पार्ट्स से एक कंप्यूटर भी तैयार किया था, जो इसे मैथ के सवाल हल करने में मदद देता था।

इसके दोस्त इसे आइंस्टीन के निक नेम से बुलाते थे। 17 साल की उम्र में इसने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। वो मैथ्स सब्जेक्ट में डिग्री लेना चाहता था, लेकिन ऑक्सफोर्ड में ऐसी कोई डिग्री उस वक्त नहीं थी। इसीलिए उसने फिजिक्स और कॉस्मोलॉजी की फील्ड को चुना।

1962 में इसने नेचुरल साइंसेज में डिग्री हासिल की और कॉस्मोलॉजी में पीएचडी करने के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया, लेकिन इस दौरान इसकी बायोलॉजी खराब होना शुरू हो गई। इसका सब्जेक्ट नहीं। इसकी अपनी बायो-केमिस्ट्री में प्रॉब्लम आना शुरू हो गया।

वो यूँ कि Stephen Hawking कभी-कभार चलते-चलते गिर जाता था। बात करते-करते इसकी आवाज लरजने लगती थी। स्टीफन ऐसी तब्दीलियों (चैंजेस) को सीरियस नहीं लेता था, लेकिन यह कमजोरी इतना बढ़ गई थी कि इसे इन सबको सीरियस लेना पड़ा।

वो पीएचडी कर रहा था, जब एक दिन वो चलते-चलते अचानक गिर गया। इसे भागम-भाग क्लिनिक ले जाया गया। जहाँ डॉक्टर में जाँच की। चंद टेस्ट किये और फिर इसकी जाती जिंदगी का वो दर्दनाक राज खुला, जिसने इसे हमेशा के लिए बदलकर रख दिया।

उस वक्त Stephen Hawking 21 साल का था, लेकिन इसे वो पेचीदा और रेयर बीमारी हुई जो आमतौर पर 50 साल के बाद होती है और जिंदगी लेकर छोड़ती है। डॉक्टर्स ने स्टीफन को बताया कि वो “Motor neuron diseases” का शिकार हो चुका है। मेडिकल लैंग्वेज में इसे (ALS) कहा जाता है। इस बीमारी के शिकार मरीज आहिस्ता-आहिस्ता माजूर (लाचार) होते जाते हैं। इनके आसाब (मस्तिष्क से शरीर में जाने वाली नसें) नाकारा हो जाती हैं और दिमाग से इनका कनेक्शन कट जाता है।

इस बीमारी की खबर Stephen Hawking और इसके घर वालों पर बिजली बनकर गिरी। डॉक्टर ने स्टीफन को बताया कि इसकी जिंदगी के सिर्फ 2 साल बाकी हैं। वो ज्यादा देर जिन्दा नहीं रह पायेगा। स्टीफन ने उन्ही दिनों एक डरावना ख्वाब देखा। इसने देखा कि इसे फाँसी पर लटकाया जा रहा है।

Stephen Hawking के मुताबिक इस ख्वाब ने इसे मौत का एहसास दिलाया तो इसे जिंदगी की ज्यादा कदर महसूस हुई। इसे लगा कि अभी तो जिंदगी खत्म नहीं हुई। अभी तो बहुत कुछ ऐसा है जो इसने करना है। इस बीमारी से स्टीफन एक औसत दर्जे का छात्र था।

डॉक्टर की दी गई 2 साल की मोहलत ने स्टीफन को एहसास दिलाया कि शायद वो पीएचडी कम्पलीट होने तक जिन्दा ना रह पाए। इसलिए इसने अपना पूरा फोकस रिसर्च की तरफ कर दिया।

Stephen Hawking की बीमारी ने इसे पहले से ज्यादा कमजोर कर दिया था। वो अब एक छड़ी की मदद से चलता था, लेकिन इसने हिम्मत नहीं हारी थी। वो नार्मल लोगों की तरह ही जिंदगी गुजार रहा था। उसने 1965 में Jane wilde से शादी की जिससे उनके 3 बच्चे भी हैं, लेकिन जालिम बीमारी ने स्टीफन को कमजोर से कमजोर तर करना शुरू कर दिया था।

वो 1969 तक स्टिक (छड़ी) से होते हुए व्हीलचेयर पर आ बैठा था, लेकिन यह कोई आम व्हीलचेयर नहीं थी। इसे खासतौर पर सइंटिफिकली डिजाइन व्हीलचेयर मिली थी। इसी पर वो लिखता भी था, लेकिन इसके साथ एक मसला भी था। वो यह कि हॉकिंग अपनी व्हीलचेयर को इधर-उधर दौड़ता रहता था और अक्सर इसे कंट्रोल नहीं कर पाता था, लेकिन एक बार इसने तेज रफ्तारी में व्हीलचेयर बर्तानवी शहजादा चार्ल्स के पांव पर भी चढ़ा दी थी।

एक बार तो एक कॉन्फ्रेंस में व्हीलचेयर दौड़ते हुए, वो गिर गया। उस हादसे में इसके कूल्हे की हड्डी टूट गई थी। इस हादसे को याद करके हॉकिंग अक्सर हँसता था। वो कहता था कि मै एक बहुत बुरा ड्राइवर हूँ।

बीमारी की वजह से इसे बोलने में भी मुश्किल पेश आई थी, लेकिन 1985 में Stephen Hawking को निमोनिया हुआ और फेफड़ों के इन्फेक्शन की वजह से इसे साँस लेने में भी मुश्किल पेश आने लगी। इसके लिए एक फौरी ऑपरेशन करना पड़ा। इस ऑपरेशन से स्टीफन की जान तो बच गई, लेकिन बीमारी की वजह से इसकी आवाज पूरी तरह से बंद हो गई।

यह Stephen Hawking के लिए एक बहुत बड़ा धचका था, लेकिन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने इसका हल भी निकाल लिया। यूनिवर्सिटी में Stephen Hawking के लिए खासतौर पर टॉकिंग कंप्यूटर बनाया गया। यह कंप्यूटर इसकी व्हीलचेयर के साथ में इन्स्टॉल कर दिया गया। यह टॉकिंग कंप्यूटर दर असल हॉकिंग की ही इलेक्ट्रॉनिक वॉइस थी।

स्टीफन अपने गाल के एक मसल की हलकी सी जुम्बिश (कम्पन) से इस पर टाइपिंग करता था। शुरू में एक लफ्ज लिखते हुए इसकी सांस फूल जाती थी, लेकिन रफ्ता-रफ्ता वो इसका एक्सपर्ट होता चला गया। इस पर वो पहले अपने मतलब के अल्फाज सिलेक्ट करता फिर कंप्यूटर की मदद से यह अल्फाज इलेक्ट्रॉनिक वॉइस में तब्दील होकर एक स्पीकर से सुनने वालों तक पहुँच जाते थे।

Stephen Hawking ने इसी कंप्यूटर की मदद से बेहद मशहूर किताबें लिखी थीं। इसी टॉकिंग कंप्यूटर के जरिये ही वो अपने लेक्चर तैयार करता और डिलीवर भी किया करता था।

स्टीफन एक नजरियती (दृष्टिकोण) वैज्ञानिक के तौर पर जाना जाता था। इसे साइंसी खयालों और शर्तें लगाने और हार जाने पर कमाल हासिल था। इस वजह से इसके दोस्त अक्सर इसका मजाक उड़ाते थे। स्टीफन ने बहुत से साइंसी दावे किये जिनमे से कुछ सच सबित ना हो सके, लेकिन कुछ ऐसे थे जिन्होंने साइंस की दुनिया में तहलका भी मचाया।

Stephen Hawking जिश्मानी (शारीरिक) तौर पर तो मुकम्मल मफ़लूज (लकवाग्रस्त) था, लेकिन उसका दिमाग गैर मामूली (आसाधारण) तौर पर काम करने के काबिल हो गया था। व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे इसने फिजिक्स और स्पेस साइंसेज में कई नए नजरियात (दृष्टकोण) पेश किये।

Stephen Hawking को थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट खुसूसन (विशेषकर) कॉस्मोलॉजी में खुसूसी (विशेष) दिलचस्पी थी। थ्योरेटिकल फिजिक्स मतलब बगैर तजुर्बे के मैथमेटिक्स के फॉर्मूलों से किसी साइंसी नतीजे पर पहुँचना। याद रहे “आइंस्टीन” भी एक थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट ही था।

हॉकिंग ने ब्लैक होल्स की थ्योरी भी पहले रियाजी (गणित) के फॉर्मूले से अपने ब्लैक बोर्ड पर ही साबित की थी। जिसने साइंस की दुनिया में हलचल मचा दी थी। ब्लैक होल्स मतलब स्पेस में घूमते ऐसे दायरे (गोल घेरा) जो पूरे के पूरे निजाम-ए-शम्सी (सौर प्रणाली) सितारों, सय्यारों और जमीनों को हड़प कर जाते हैं। यहाँ तक कि वक्त और तवानाई (टाइम और रौशनी) को भी।

तो स्टीफन ने कहा था कि ब्लैक होल में सैयारे (नक्षत्र या ग्रह) गायब भी होते हैं और नए सैयारे जन्म भी लेते हैं। ब्लैक होल्स ऐसी सुवायें (रेडिएशन) खारिज करते हैं जो कायनात (ब्रह्माण्ड) में बड़ी तब्दीलियो (चैंजेस) का सबब (कारण) बनते हैं। इन Radiations को Hawking radiation का नाम दिया गया।

Hawking radiation को कायनात की दरियाफ्त (ब्रह्माण्ड की खोज) में एक बहुत बड़ी दरियाफ्त (खोज) समझा जाता है, लेकिन जब पहली बार Stephen Hawking ने Black Holes की रेडिएशन का नजरिया (Scientific point of view) पेश किया, तो इसके अपने साथियों ने ही इसकी बात मानने से इनकार कर दिया था। जबकि बाद में मजीद तहकीक (अधिक जाँच-पड़ताल) करने के बाद यह सबित हो गया कि हॉकिंग का नजरिया (Scientific point of view) दुरुस्त था।

स्टीफन हॉकिंग ने फॉर्मूलों से सबित किया कि ब्लैक होल्स इतने भी ब्लैक नहीं, जितने दिखाई देते हैं। इनसे कुछ सफेद जर्रात (पार्टिकल्स) भी हर वक्त खारिज होते रहते हैं, लेकिन यह पार्टिकल्स ना होने के बराबर रौशनी मुनक्किस (Refraction of Light) करते हैं। इसी वजह से अभी तक इन पार्टिकल्स का अमली मुशाहिदा (व्यावहारिक अध्ययन) नहीं किया जा सका। स्टीफन हॉकिंग के कुछ साइंसी नजरियात (Scientific point of view) बहुत विवास्पद भी रहे और चंद एक बार वो साइंसी नजरियात (Scientific point of view) पर लगाई गई शर्तें हारा भी था।

1975 में Stephen Hawking अपने दोस्त Physicist Kip Thorne के साथ शर्त लगाई कि Cygnus X-1 ‘Black Holes’ में बदलेगा या नहीं? Kip Thorne का दावा था कि ब्लैक होल बन जायेगा। जबकि स्टीफन हॉकिंग का दावा था कि ब्लैक होल नहीं बनेगा और ब्लैक होल बनने पर हॉकिंग 1990 में शर्त हार गया।

फिर 1997 में Stephen Hawking ने Kip Thorne को अपने साथ मिलाया और दोनों ने साझा तौर पर John Preskill से इस बात पर शर्त लगाई कि ब्लैक होल्स में Gravitational collapse की वजह से Information जाया (बर्बाद) हो जाती है या नहीं?

Stephen Hawking का दावा था कि Information जाया (बर्बाद) हो जाती है। जबकि John Preskill का कहना था कि ऐसा नहीं होता। यहाँ भी स्टीफन हॉकिंग की बात दुरुस्त साबित ना हुई और 2004 में वो अपनी ही मशहूर रिसर्च यानि Hawking radiation’s पर लगी शर्त हार गया।

स्टीफन हॉकिंग ने 15 के लगभग किताबें लिखीं, जिनमे इसकी सबसे पहली किताब “A Brief History of Time” 4 साल तक बेस्ट सेलर रही। फिर कायनाती मौजूआत (ब्रह्मांडीय विषयों) पर इसकी दूसरी किताबें जैसे – The Universe in a Nutshell भी बेस्ट सेलर सबित हुई।

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इस किताब के प्रकाशित होने के बाद स्टीफन हॉकिंग दुनिया भर शोहरत की बुलंदियों पर पहुँच गया। इस किताब में हॉकिंग ने Big Bang (महा विस्फोट) से लेकर Black Holes के बनने तक सब मौजूआत की भरपूर वजाहत (हर टॉपिक्स की बिस्तार से चर्चा) की थी। स्टीफन हॉकिंग ने अपनी बेटी Lucy Hawking के साथ मिलकर साइंस और एडवेंचर के मौजूआत (टॉपिक्स) पर बच्चों के लिए भी 5 किताबें लिखीं।

2007 में प्रकाशित होने वाली इसकी किताब George’s Secret Key to the Universe में उसने बच्चों के लिए उनकी इल्मी (ज्ञान) और जेहनी (दिमागी) सतह को पेश-ए-नज़र (in view of) रखते हुए चर्चा की कि यह सब निजाम-ए-शम्सी (सोलर सिस्टम), सितारे, सैयारे और ब्लैक होल्स वगैरह क्या हैं और किस तरह ब्रह्मांड में यह अपना-अपना किरदार अदा करते हैं? इस किताब का मरकजी (मुख्य) किरदार जॉर्ज नामी एक छोटा लड़का है जो आस-पास का सफर करके कायनात (Universe) के बारे में सीखता चला जाता है।

जहाँ Stephen Hawking खुद नई-नई खोजें और दावे कर रहा था, वहीं वो एक साइंसी तरक्की से परेशान भी था, बल्कि यूँ कहना चाहिए कि किसी हद तक खौफजदा (डरा हुआ) था।

Stephen Hawking को Artificial Intelligence पर सख्त ऐतराज था। जब अमेरिका ने मैदान-ए-जंग में खुदगार (Self-employed) रोबोट्स के इस्तेमाल पर तजुर्बात (एक्सपेरिमेंट्स) किये तो हॉकिंग का ख्याल था इसके नताएज (परिणाम) तबाहकुन (तबाह करने वाला) हो सकते हैं। हॉकिंग ने एक बार यहाँ तक कह दिया मसनुई ज़ेहानत (Artificial Intelligence) की तरक्की इंसानी नस्ल का खात्मा कर देगी।

स्टीफन हॉकिंग खुद तो आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के खिलाफ था, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वो सारी जिंदगी इसी आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का मोहताज (जरूरतमंद) भी रहा। वो जिस टॉकिंग कंप्यूटर की मदद से लोगों से बात करता था, वो भी आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के जरिये ही काम करता था।

Stephen Hawking की खराब सेहत और खराब रवैये ने इसकी शादी-शुदा जिंदगी को भी बहुत किया। हालाँकि स्टीफन हॉकिंग की पहली बीबी (पत्नी) Jane Hawking ने इसका बहुत साथ दिया था। वो बीमार शौहर (पति) की तीमारदारी के साथ 3 बच्चों की जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभाती रही, लेकिन अफसोस कि Jane Hawking की इतनी कुर्बानी (Sacrifice) के बावजूद यह शादी एक कामयाब शादी साबित ना हो सकी।

Jane Hawking अपने शौहर (पति) से इतना तंग थी कि इसने Stephen Hawking को एक अना-परस्त (अहंवादी, स्वार्थी) और बद-अख़लाक़ (दुर्व्यवहार करने वाला) बच्चे जैसा करार दे दिया।

1990 में स्टीफन ने अपनी इस बीबी (पत्नी) को तलाक (Divorce) दे दी। जिससे इसने मोहब्बत की शादी की थी। पहली बीबी जैन से तलाक लेने के 5 साल बाद 1995 स्टीफन ने अपनी Nurse ‘Elaine Mason’ से दूसरी शादी कर ली, लेकिन यह शादी भी ज्यादा दिन तक ना चल सकी। 2006 में यह शादी भी तलाक पर खत्म हुई।

बहरहाल Stephen Hawking की पहली मोहब्बत और शादी की कहानी फिल्म मेकर्स के लिए बहुत पुर-कशिश (Attractive) सबित हुई। 2014 में इन दोनों की मोहब्बत पर एक फिल्म The “Theory of Everything” भी बनी। इस फिल्म में Jane Hawking के किरदार को शौहर के लिए मोहब्बत और कुर्बानी की मिसाल बनाकर पेश किया गया, लेकिन अपनी इजदवाजी (अटकल) जिंदगी की नाकामी और माजूरी भी Stephen Hawking को मायूस (निराश) नहीं कर सकी। वो एक जिंदा दिल शख्स था और मायूस लोगों का हौसला पेश-पेश (आगे-आगे) रहता था।

Stephen Hawking 2016 में टीवी होस्ट भी बना। इसने साइंस क्विज पर आधारित जीनियस नामी एक टीवी प्रोग्राम की मेजबानी भी की। इसके अलावा, 2012 में एक अमेरिकी टेलीविजन प्रोग्राम The “Big Bang Theory” में इसकी बतौर मेहमान शिरकत (Attend) करना भी एक यादगार वाकिया था। प्रोग्राम में इसके हँसते, मुस्कुराते जुमले और काट दार तंज से लोग कहकहे लगाने पर मजबूर हो गए।

2007 में 65 वर्ष की उम्र में स्टीफन हॉकिंग ने खलाई सफर (अंतरिक्ष यात्रा) की तरफ एक अहम कदम उठाया। Florida में Kennedy Space Center का दौरा करने के दौरान उसे मौका दिया गया कि जीरो ग्रैविटी वाले सफर का तजुर्बा करे।

Stephen Hawking
Stephen Hawking

खुसूसी (विशेषकर) बोईंग जहाज 727 में कैमरे लगाए गए थे। परवाज (उड़ान) के दौरान जब Stephen Hawking को व्हीलचेयर से निकाला गया तो वो बे वजन हालत में आजाद था। जैसे आप ऊपर तस्वीर में देख रहे हैं। ऐसी परवाजों (उड़ानों) के लिए अमेरिकी कंपनी एक मुसाफिर (यात्री) से $4000 वसूल करती हैं, लेकिन हॉकिंग के लिए यह सफर बिलकुल फ्री था। परवाज (उड़ान) के बाद Professor Hawking ने कहा यह कमाल का तजुर्बा (एक्सपीरियंस) रहा। मै तो अभी और बहुत वक्त ऐसे ही गुजार सकता हूँ।

Stephen Hawking का अगला मिशन अंतरिक्ष की सैर करना था। स्टीफन का कहना था कि अगर इंसानियत ने स्पेस में रहना नहीं सीखा तो शायद नस्ले इंसानी अगली चंद नस्लों में किसी हादसे का शिकार होकर खत्म जाएगी। जैसा कि डायनासोर और बहुत से अलग जानवरों की प्रजातियां लुप्त हो गई हैं।

स्टीफन हॉकिंग का नाम स्पेसशिप पैसेंजर लिस्ट में भी शामिल था। इसे एक तय वक्त पर स्पेस में जाना था, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। स्टीफन हॉकिंग का स्पेस में सफर करने का ख्वाब रास्ते में ही दम तोड़ गया। 14 मार्च 2018 को एक दिन अचानक Stephen Hawking की डेथ हो गई। वो, जिसे डॉक्टर ने जीने के लिए 2 साल का वक्त दिया था। कायनात का तजस्सुस (ब्रह्माण्ड की खोज) और स्पेस साइंस की पेचीदा गुत्थियां सुलझाते-सुलझाते इसने 55 साल और जी लिया।

दोस्तों, Stephen Hawking की शानदार बायोग्राफी आपको कैसी लगी? इस कहानी के बारे में आपका क्या कहना है? कमेंट बॉक्स में लिखकर अपनी राय का इजहार जरूर करें। दोस्तों, अगर आपको स्टीफन हॉकिंग की यह कहानी अच्छी लगी हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना बिलकुल भी ना भूलें, शुक्रिया।

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