Abraham Lincoln Kaun Tha?

Abraham Lincoln कौन था? 1828 की बात है..एक 19 वर्षीय ग्रामीण युवा पहली बार अमेरिका के ट्रेड सिटी न्यू ऑर्लेअंस पहुँचा। इतना बड़ा शहर उसने जिंदगी में पहली बार देखा था। शानदार इमारतें और समुद्र तट पर कतार में खड़े बड़े-बड़े बहरी जहाज देखकर वो बहुत प्रभावित हो रहा था कि फिर उसकी आँखों से एक दृश्य टकराया। फिर यह दृश्य हमेशा के लिए उसके दिमाग के दूर-दराज कोनों में घुस गया। उसने देखा कि शहर की मार्केट में इंसानों को कमोडिटीज की तरह खरीदा-बेचा जा रहा है। जंजीरों में बंधे बेसब इंसानों को बहरी जहाजों से उतारा और चढ़ाया जा रहा है। जुल्म यह था कि न्यू ऑर्लेअंस के बाजारों में विज्ञापन लगे होते कि किस दिन, कितने बजे, कितने इंसानों की बोली लगेगी और इनमे कितने पुरुष, बच्चे और महिलाएं होंगी? यह भी लिखा होता कि खरीदार कैश लेकर आएं क्योंकि गुलाम बेचने वाली कंपनी उधार पर डील नहीं करती।

सितम यह था कि ये सारे के सारे इंसान अश्वेत (Black) थे। सफेद रंग ने काले रंग को गुलाम बनाकर रखा था। यह ग्रमीण युवा बाजार में बिकते इंसान देख रहा था। अन्दर ही अन्दर कुढ़ रहा था, लेकिन वो कर कुछ भी नहीं सकता था क्योंकि वो तो खुद एक छोटी सी कस्ती का मामूली सा कर्मचारी था। फिर भी उसने अपने साथी से कहा “अगर मुझे मौका मिला, तो मै हर कीमत पर यह धंधा बंद करवा दूंगा”। यह कहते हुए 19 साल का ग्रामीण इतना बड़ा सपना देख चुका था, जिसे साकार करने के लिए इसे अपने दौर का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति होना चाहिए था और देखिये कि ऐसा हो भी गया, मगर कैसे?

Abraham Lincoln कौन था?

जन्म 12 फरवरी 1809, लारु काउंटी, केंटकी, संयुक्त राज्य अमेरिका
ऊंचाई 1.93 वर्ग मीटर
हत्या 15 अप्रैल 1865, पीटरसन हाउस, वाशिंगटन, डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका
जीवन-साथी मैरी टॉड लिंकन (एम। 1842-1865)
पार्टी नेशनल यूनियन पार्टी
बच्चे रॉबर्ट टॉड लिंकन, विलियम वालेस लिंकन, एडवर्ड बेकर लिंकन, टैड लिंकन

Sangamon River के किनारे एक बहुत ही छोटा सा और खूबसूरत कस्बा है..New Salem. यह वही जगह है, जहाँ Abraham Lincoln ने अपनी जवानी के शुरुआती 6 साल गुजारे और यहीं जिंदगी की बड़ी-बड़ी असफलताओं के मेडल सीने पर सजाये, लेकिन यहां आने से पहले वो कौन सा एक सफल व्यक्ति था? किस्मत भी उसके साथ लगातार खेल रही थी। जब वो सिर्फ 9 साल का था, तो उसकी माँ दूध में किसी जहरीली बूटी के मिल जाने से मर गई थी। फिर उसका पिता सौतेली माँ ले आया।

सौतेली माँ से उसे कोई शिकायत तो नहीं थी, लेकिन अब्राहम की अपने पिता से कभी ना बन पाई, बल्कि वो अपने पिता को तो पसंद ही नहीं करता था। उसका पिता भी उसे तंज और मार-पीट का निशाना बनाता रहता था। शिक्षा भी वो बस इतनी ही प्राप्त कर पाया था कि लिखना-पढ़ना जानता था। बाइबिल और शेक्सपियर की शायरी के कुछ हिस्से भी उसने खुद से ही याद किये थे, लेकिन हिसाब-किताब उसकी समझ में बचपन से नहीं आता था। चेहरे-मोहरे से भी कोई वो हीरो और सुन्दर व्यक्ति नहीं था। अजीब से नापसंदीदा किस्म के कट्स थे उसके चेहरे पर। इंग्लिश भी वो अच्छी नहीं बोल सकता था। उसके बोलने के ढंग में एक उजड-पन था। उसके पूरे व्यक्तित्व में अगर कोई चीज बहुत कद्दावर थी, तो वो उसका कद ही था। वो 6 फिट 4 इंच लम्बा था और यही चीज उसे हर जगह “सेंटर ऑफ ऑय” बना देती थी और उसके बाद उसकी गुफ्तगू।

New salem, Cabins and cottages
New salem, Cabins and cottages (Photo credit Pinterest)

तो दोस्तों, New Salem (ऊपर तस्वीर में) जिस लकड़ी के केबिन को आप देख रहे हैं। इसी जगह से Abraham Lincoln ने अपने करियर की शुरुआत एक स्टोर कीपर के रूप में की थी। इस बस्ती में थोड़े से लोग रहते थे। बहुत भी हुए तो 100 लोग होंगे। बस यही इसके ग्राहक थे। बाकी कुछ लोग नदी में सफर करते हुए थोड़ी देर के लिए रुकते, तो स्टोर से इक्का-दुक्का चीज खरीद लेते थे। स्टोर में मोमबत्तियां, वाइन की छोटी बोतलें और कुछ बर्तन वगैरह होते थे।
लेकिन, हाय..रे किस्मत “Abraham Lincoln” जो बेहतर करियर के लिए यहाँ आया था, चंद माह बाद ही करियर गवां बैठा क्योंकि स्टोर के मालिक ने लगातार घाटे की वजह से स्टोर बंद कर दिया और अब्राहम लिंकन को नौकरी से निकाल दिया। इसकी छाती पर जाती कमाई हुई असफलता का पहला बैच सज चुका था।

New Salem के पहले 9 माह में हालांकि Abraham Lincoln असफल रहा था, लेकिन एक सफलता उसने प्राप्त कर ली थी। वो थी “Honest Abe” ईमानदार आदमी की शोहरत (प्रसिद्धि)।

हुआ यूँ कि एक दिन लिंकन के स्टोर से एक महिला कुछ सामान लेकर गई। जब वो चली गई और लिंकन ने ध्यान दिया, तो उसके वजन के बाट दुरुस्त नहीं थे। कुछ हलके थे। शो, लिंकन ने यह किया कि जितना वजन कम था, उतना सामान लेकर उस महिला के घर गया और उसे दे आया। यह घटना और इस तरह की और भी कई घटनाएं हुई, जिन्होंने New Salem में Abraham Lincoln को “Honest Abe” का टाइटल दे दिया।

इसी प्रसिद्धि के कारण लिंकन ने 1832 के स्टेट इलेक्शन में हिस्सा लेने का फैसला किया। उसका विचार था कि न्यू सालेम बस्ती के तमाम लोग तो उसे वोट दे ही देंगे और साथ में आस-पास के कुछ और लोग भी उसे वोट देंगे और वो Illinois state assembly का मेंबर बन जायेगा, लेकिन हुआ यह कि वो अपनी अच्छी साख के बावजूद इलेक्शन हार गया। यह जाती कमाई हुई असफलता का दूसरा बैच था, जो उसकी छाती पर लगा था, लेकिन फिक्र काहे कि 6 फिट 4 इंच के इंसान की छाती पर अभी बहुत जगह थी। इस तरह के और बैच लग सकते थे।

पहला इलेक्शन हारने के बाद 23 साल का लिंकन खाली जेब-भूखे पेट था। जिंदगी आगे चलाने के लिए उसने अपनी ताकत का इस्तेमाल किया और लकड़ियाँ काटने की मजदूरी करने लगा। फिर किसी ने सुझाव दिया कि डाकिया बन जाओ अच्छे पैसे कमाओगे। फिर वो डाकिया बन गया और घर-घर चिट्ठी पहुँचाने लगा। यहाँ भी दाल ना गली, तो सर्वे करने वालों के साथ शामिल होकर सर्वे करने लगा। मगर यह रोजगार भी उसकी आवश्यकताएँ और स्वभाव के अनुसार नहीं था। फिर उसने अपनी कद-काठी का फायदा उठाते हुए न्यू सालेम के रेसलिंग चैंपियन “आर्मस्ट्रांग” को चैलेंज कर दिया, लेकिन यहां भी वो जीत ना सका।

ऐसा भी कहते हैं कि वो जानबूझ कर हार गया था ताकि रेसलिंग चैम्पियन और उसके दोस्तों की सहानुभूति प्राप्त कर सके और देखिये कि उसने यह सहानुभूतियां प्राप्त भी का लीं। यह लड़के और रेसलिंग चैंपियन “आर्मस्ट्रांग” उसके गहरे दोस्त बन गये और भविष्य के राजनीतिक मैदान में उसके बहुत काम आये। लेकिन, दोस्ती से पेट तो नहीं भरता था। हाँ..पार्टनरशिप हो सकती थी। शो, Abraham Lincoln ने अपने एक दोस्त William Berry के साथ मिलकर “Berry-Lincoln Store” खोल लिया।

The Berry-Lincoln store in New Salem
The Berry-Lincoln store in New Salem (Photo credit, Pinterest)

थोड़ी बहुत बिक्री होने लगी तो उसने एक बार फिर राजनीति में हाँथ-पाँव मारना शुरू कर दिए। 1834 में स्टेट एसेम्बली का इलेक्शन हुआ और इस बार वो जीत गया।

असफलताओं से भरपूर इस जिंदगी में यह उसकी पहली सफलता थी, लेकिन यह सफलता उसके रोजगार की समस्या को तो फिर भी हल नहीं कर पा रही थी। असेम्बली की बैठक जिस दिन होती, उस दिन उसे 3 डॉलर मिल जाते थे और बस। फिर राजनीति में व्यस्त हो जाने की वजह से वो अपने स्टोर को बिलकुल समय नहीं दे पा रहा था।

अब अगला साल 1835 उसकी जिंदगी का दर्दनाक साल साबित हुआ। पहले तो उसका स्टोर पार्टनर और गहरा दोस्त “William Berry” मर गया। फिर स्टोर भी बंद हो गया। जब स्टोर बंद हुआ, तो स्टोर पर 1800 डॉलर्स का कर्ज चढ़ चुका था। उस दौर के हिसाब से यह एक बड़ी रकम थी। जिसे उतारते-उतारते Abraham Lincoln को 15 साल लग गए। वो इस कर्जे को मजाक में राष्ट्रीय कर्जा कहा करता था, लेकिन कर्ज और विलियम की मौत से भी गहरा एक और जख्म “Ann Rutledge” से उसे मिला।

Ann Rutledge
Ann Rutledge (Photo credit, Wikipedia)

Ann Rutledge “New Salem” की वो लड़की थी, जिससे Abraham Lincoln अपने स्टोर में मिला था। Ann Rutledge इतनी खूबसूरत थी कि लिंकन उसे देखते ही चाहने लगा था, लेकिन समस्या यह थी कि वो किसी और से शादी का वादा कर चुकी थी।

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार “अगर एक बार किसी को किसी से मोहब्बत हो जाय, तो फिर वापसी का रास्ता मुश्किल होता है”। शो, लिंकन स्टोर में और स्टोर के बाहर उससे घंटों बातें करने लगा। दोनों नदी के किनारे पर मिलते भी रहे। मगर ट्रेजेडी यह हुई कि उसी साल टाइफाइड बुखार की महामारी फैली और “Ann Rutledge” बुखार में तप कर मर गई।

ANN RUTLEDGE HOME - O
ANN RUTLEDGE HOME – O (Photo credit, flickr.com)

(ऊपर तस्वीर में) जहाँ आज एक यादगारी बोर्ड लगा है। यहां Ann Rutledge का वो केबिन था, जिसमे लिंकन उससे आखिरी बार मिला था और इसी यादगारी बोर्ड पर लिखा है कि पास ही वो बरगद का पेड़ था, जिसके नीचे लिंकन उसकी मौत पर बुरी तरह रोता रहा था। नेचर ने एक ही साल में असफलता के 3 बैच उसकी छाती पर लगा दिए थे, जिसमे से एक तो कुछ ज्यादा ही गहरा था।

Ann Rutledge Grave - Petersburg Illinois
Ann Rutledge Grave – Petersburg Illinois (Photo credit, The Gayraj)

अब्राहम लिंकन जब तक जिन्दा रहा कई बार Ann Rutledge की कब्र पर आता रहा। “Ann Rutledge और William Berry” की मौत के दो साल बाद उसने ने सामान पैक किया, अपने दोस्तों से गले मिला और “New Salem” की बस्ती को हमेशा के लिए खैराबाद कहकर नजदीकी शरह “Springfield” में चला गया।

वैसे भी उसकी जवानी की उम्मीदों की बस्ती “न्यू सालेम” अब खत्म हो रही थी क्योंकि यह बस्ती सिर्फ इसलिए बसाई गई थी कि “Sangamon River” से स्टीम बोट्स गुजरेगी और यह इलाका रास्ते की व्यापार मंडी सा बन जायेगा, लेकिन Sangamon River में सफाई ना होने के कारण स्टीम बोट्स चल ना सकीं। यह छोटा सा कस्बा “Abraham Lincoln” के जाने के तीसरे साल बाद ही खत्म हो गया। Abraham Lincoln फिर पलट कर कभी न्यू सालेम नहीं आया। हां..कुछ लोग कहते हैं कि वो कभी-कभी “Ann Rutledge की कब्र” पर आया करता था।

Abraham Lincoln and Mary Todd
Abraham Lincoln and Mary Todd (Photo credit, Owlcation)

अब्राहम लिंकन “स्प्रिंगफील्ड” आया तो उसकी दुनिया ही बदल गई। वो स्प्रिंगफील्ड में वकालत करने लगा। अच्छे पैसे कमाने लगा और अपना कर्ज भी धीरे-धीरे उतारने लगा था और तो और उसकी एक बहुत बड़े अमीर घराने की लड़की “Mary Todd” से प्रेम विवाह भी हो गया। यहीं से एक बार वो यू.एस. कांग्रेस का मेंबर बनकर वाशिंगटन भी 2 साल रह आया, लेकिन इस सब कुछ में उसके लिए जल्द ही आकर्षण खत्म हो गया क्योंकि वो अपनी जिंदगी के शुरू में देखे हुए उन गुलामों को नहीं भूल पाया था, जिन्हे जंजीरों में जकड़ कर बेचा जा रहा था।

वो गुलामी के खिलाफ आवाज उठाना चाहता था, लेकिन उसकी अपनी पार्टी “The Big Party” उसके साथ नहीं थी। उसके वोटर्स भी इसके विचारों की वजह से इसे नापसंद करने लगे थे। शो, वो निराश होकर राजनीति से अलग हो गया और सिर्फ वकालत पर ध्यान देने लगा।

खाली समय वह अपने बीबी-बच्चों के साथ गुजारता था, लेकिन अपने पिता और सौतेली माँ को तो जैसे वो बिलकुल भूल चुका था। जिंदगी शायद ऐसे ही गुजर जाती। कोई “Abraham Lincoln” को जानता तक ना होता, लेकिन हुआ यूँ कि लिंकन राजनीति छोड़ रहा था, तो उस टाइम अमेरिका में एक बहस जोरो पर थी। वो यह कि अश्वेतों की गुलामी खत्म की जाय या नहीं?

अमेरिका उन दिनों दो स्पष्ट हिस्सों में बट चुका था। एक तरफ अमेरिका के दक्षिणी राज्य थे, जिनकी अर्थव्यवस्था का दारोमदार खेती-बारी (एग्रीकल्चरल) पर निर्भर था, लेकिन समस्या यह थी कि दक्षिणी राज्यों के लोग खेती-बारी और फॉर्म्स के काम के लिए मजदूर नहीं, बल्कि अश्वेत गुलाम रखते थे। बदले में गुलामों को स्थिर निवास स्थान और खाना उपलब्ध कराया जाता था। इन 24 घंटे के गुलामों के कोई अधिकार नहीं होते थे। इसलिए दक्षिणी राज्यों के जमींदारों को अश्वेत गुलाम ‘श्वेत मजदूरों’ की तुलना में बहुत सस्ते पड़ते थे। यही वजह थी कि दक्षिणी राज्यों के लोग गुलामी को खत्म नहीं करना चाहते थे।

लेकिन, दूसरी तरफ उत्तरी राज्य थे। जहाँ औधोगिक क्रांति आ आ चुकी थी। खेतों की जगह तेजी से फैक्ट्रियां लगने लगी थीं। फैक्ट्रियों में श्वेतों की बड़ी तादात जॉब्स करती थी। जिससे एक मिडिल क्लास जन्म ले रहा था। इस क्लास का अपना फायदा भी खेत से नहीं, बल्कि फैक्ट्री से जुड़ चुका था। अगर इन उत्तरी राज्यों में भी फैक्ट्री मालिकों को गुलाम रखने की इजाजत मिल जाती, तो फैक्ट्री का मालिक श्वेतों को निकाल कर मुफ्त के अश्वेत गुलाम रख सकता था। जिससे जाहिर है ‘श्वेत’ बड़ी तादात में बेरोजगार हो जाते। इसलिए यह एक नैतिक और साथ ही आर्थिक समस्या भी थी, जिसकी वजह से उत्तरी राज्यों में रहने वाले ज्यादातर श्वेत गुलामी को कानूनी तौर पर पूरे अमेरिका से खत्म करना चाहते थे।

शो, 1850 की दहाई में अमेरिका के उत्तरी राज्यों में गुलामी का विरोध और दक्षिणी राज्यों में गुलामी का समर्थन उग्र रूप लेने लगा। होते-होते यह उग्रता इतनी बढ़ी कि इस मामले पर खून-खराबा होने लगा।

1850 की दहाई में अमेरिका में गृहयुद्ध का आगाज हो चुका था। गुलामी के समर्थक और विरोधी दोनों अब बहस-बाजी से आगे बढ़कर एक-दूसरे की जानें भी लेने लगे थे। गुलामी के समर्थक और विरोधी दोनों के लिए बाइबिल से उदाहरण दिए जाते थे। यही वो हालात थे, जिनमे Abraham Lincoln ने वकालत की फाइलें एक तरफ रखीं और सरे बाजार आ गया। बाजार में एक हुजूम था और लोग डेमोक्रेटिक सिनेटर “Stephen A. Douglas” का भाषण सुन रहे थे।

Stephen A. Douglas
Stephen A. Douglas (Photo credit, Google Arts & Culture)

सिनेटर “Stephen A. Douglas” गुलामी स्थापित रखने के हक में बोल रहा था। वो अश्वेतों को श्वेतों के बराबर का इंसान नहीं समझता था। वो कह रहा था “श्वेत अमेरिकियों का हक है कि हर राज्य में वो अपनी मर्जी से फैसला करें कि उन्हें अश्वेत गुलाम रखने हैं या नहीं रखने हैं?”

जब Stephen A. Douglas अपना धुआँधार भाषण खत्म कर चुका था, तो अब्राहम लिंकन आगे बढ़ा। उसने वहां जमा लोगों से कहा “कल मै तुम्हे बताऊँगा कि इस व्यक्ति ‘स्टीफन ए डगलस’ की दलीलें कितनी भौंडी और बे-वजन हैं?”

अब स्प्रिंगफ़ील्ड में लोग अब्राहम लिंकन को जानते तो थे ही, शो वो अगले दिन भाषण सुनने आ गए। लिंकन 3 घंटे तक बोलता रहा और गुलामी के खिलाफ दलीलें देता रहा। उसका मेन पॉइंट यह था कि स्टीफन ए डगलस की दलील सिर्फ एक सूरत में सही सबित हो सकती है कि अगर अश्वेतों को मनुष्य मानने से ही इनकार कर दें, लेकिन अगर आप उन्हें मनुष्य समझते हैं तो फिर किसी एक मनुष्य को यह अधिकार नहीं दिया जा सकता कि वो दूसरे को गुलाम रखने या ना रखने का फैसला करे। अश्वेत भी मनुष्य हैं और आजाद हैं।

अब्राहम लिंकन की दलीलें बहुत से लोगों के दिलों को छू गईं। जिसके बाद तो एक सिलसिला सा चल पड़ा और लिंकन जगह-जगह गुलामी के खिलाफ भाषण देने लगा। गुलामी के विरोधियों में वो तेजी से पॉपुलर होने लगा था। उन दिनों लिंकन की पुरानी पार्टी “The Whig Party” खत्म हो रही थी और अमेरिका में गुलामी के विरोधी राजनीतिज्ञों ने “The Republican Party” के नाम से एक नई पार्टी बना ली थी। लिंकन इस पार्टी में शामिल हो गया। 1858 में उसने इसी पार्टी से एक बार फिर सिनेटर शिप का का इलेक्शन लड़ने की कोशिश की। उसके मुकाबले में उसका वही पुराना प्रतिद्वंद्वी ‘स्टीफन ए डगलस’ था।

अब्राहम लिंकन ने फैसला किया कि वो अपने प्रतिद्वंदी से सीधे तौर पर डिबेट्स करके उसे शिकश्त देगा। यह सोचकर उसने स्टीफन ए डगलस को डिबेट्स का चैलेंज दे दिया। स्टीफन ए डगलस ने यह चैलेंज कबूल कर लिया।

Abraham Lincoln और Stephen A. Douglas के बीच इलिनोइस के अलग-अलग शहरों में तीन-तीन घंटे की 7 डिबेट्स हुईं। एक तरफ 5 फिट 4 इंच का मोटे पेट वाला स्टीफन ए डगलस और दूसरी तरफ 6 फिट 4 इंच का दुबला-पतला अब्राहम लिंकन।

जब दोनों आमने-सामने स्टेज पर आते तो लोग उनके कद का फर्क देखकर मुस्कुराये बगैर नहीं रह सकते थे। लोग स्टीफन ए डगलस को “Little Giant” और अब्राहम लिंकन को “Long Abbey” के नाम से पुकारने लगे थे। उनकी दलीलें, डिबेट्स इतनी मशहूर हो रही थीं कि हजारों लोग उन्हें देखने पहुँच जाते। साथ में फेरी वालों की भी चाँदी हो जाती। वो अब्राहम लिंकन और स्टीफन ए डगलस के नामों वाले बैजेस बेचकर पैसे कमाते। इन मशहूर डिबेट्स को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग तो आ ही रहे थे, लेकिन चुपके-चुपके एक और रेवोल्यूशन (इंकलाब) काम कर रहा था।

दोस्तों, यह रेवोल्यूशन था टिक-टिक-टिक मीडिया (प्रिंट जर्नलिज़्म). उस समय टेलीग्राफ का आविष्कार हो चुका था और अब पूरे अमेरिका में खबरें रेल की रफ्तार से नहीं, तार की रफ्तार से पहुँच जाती थीं। रिपोर्टर्स शॉर्ट हैंड्स में छोटी-छोटी खबरें तक लिख लेते थे और टेलीग्राफ मशीन से टिक-टिक करके दफ्तर पहुँचा देते थे। जहाँ छापाखाने से खबरें छप कर अगले ही दिन पूरे अमेरिका में रेलवे के जरिये फैल जाती थी।

कैमरे का भी आविष्कार हो चुका था, जिससे ली गई तस्वीर भी अखबारों में छपती रहती थीं। यह दुनिया में एक नई चीज थी। इसने अब्राहम लिंकन की गुलामी के खिलाफ दलीलें और डिबेट्स की दिलचप्स घटनाओं को पूरे अमेरिका में फैलाना शुरू कर दिया। गुलामी के समर्थक डगलस की बातें और गुलामी के विरोधी लिंकन की दलीलें, लोग मजे ले लेकर पढ़ते और एक दूसरे से राजनीतिक नोक-झोक में इस्तेमाल करते रहते।

इसी दौरान सिनेटर शिप का इलेक्शन हुआ तो अब्राहम लिंकन ‘स्टीफन ए डगलस’ से हार गया, लेकिन हार के बावजूद अब उसका नाम अश्वेतों की गुलामी के खिलाफ पूरे अमेरिका में एक पहचान बन चुका था। वो इतना प्रसिद्ध हो चुका था कि यु. एस. प्रेसिडेंट कैंडिडेट के तौर पर कहीं-कहीं उसका नाम लिया जाने लगा था।

जाहिर है..हाल ही में सिनेटर शिप का इलेक्शन हारने वाला व्यक्ति इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था। मगर यह कल्पना उसे जल्द ही करनी पड़ी क्योंकि पहले उसके राज्य इलिनोइस ने उसे अमेरिकी प्रेसिडेंट कैंडिडेट डिक्लेयर कर दिया। फिर शिकांगो के नेशनल कन्वेंशन में भी उसका नाम बतौर यु. एस. प्रेसिडेंट कैंडिडेट संजीदगी से लिया गया और यही वो जगह थी, जहाँ असल में फैसला होना था कि रिपब्लिकन पार्टी का यु. एस. प्रेसिडेंट कैंडिडेट कौन होगा?

नई-नई पार्टी थी। इसे कोई ऐसा उमीदवार चाहिए था, जिस पर वो जीत के लिए दांव लगा सकें क्योंकि पिछला यु. एस. प्रेसिडेंट इलेक्शन वो हार चुके थे। अब वो हर कीमत पर वाइट हाउस में अपना प्रेसिडेंट देखना चाहते थे।

अब्राहम लिंकन के नाम पर शिकांगो कन्वेंशन में बहस हुई। कुछ दूसरे उम्मीदवारों पर भी बात हुई, लेकिन अब्राहम लिंकन की खूबी यह थी कि कोई भी उसके विरोध में नहीं था। शो, बहस के बाद आपसी राय बन गई और एक असफल बिजनेसमैन, असफल प्रेमी और असफल सिनेटर ‘यु. एस. प्रेसिडेंट उमीदवार’ नामजद कर दिया गया।

जब यह नॉमिनेशन हुआ तो Abraham Lincoln इस सम्मेलन में शामिल ही नहीं था। वो सैकड़ों मील दूर घर में बैठा हैंडबॉल खेल रहा था। जब इसके एरिया में यह खबर पहुंची, तो खुशी प्रकट करने वालों की भारी भीड़ इसके घर के सामने जमा हो गई। लोग खुशी से नारे लगा रहे थे।

रिपब्लिकन पार्टी का नॉमिनेशन दरअसल ‘इलेक्शन जीतने’ जैसा ही मामला था क्योंकि इसके मुकाबले में डेमोक्रेट्स कोई एक सहमत उम्मीदवार नहीं ला सके थे। इसके मुकाबले में डेमोक्रेट्स पार्टी ही के दो उम्मीदवार थे। एक उसका पुराना विरोधी सिनेटर स्टीफन ए डगलस और दूसरा दक्षिणी राज्यों से जॉन ब्रैकन रिज।

डेमोक्रेट्स के इस बंटवारे ने Abraham Lincoln को बहुत फायदा दिया। 06 नवंबर 1860 को इलेक्शन हुए। पूरे अमेरिका में वोटिंग हो रही थी, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि दक्षिणी राज्यों में अब्राहम लिंकन की मामूली सी भी तरफ़दारी हुई। यहाँ तक कि उसका नाम तक बैलेट पेपर पर मौजूद नहीं था। इसके बावजूद जब चुनाव के नतीजे आये, तो अब्राहम लिंकन जीत गया।

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