Galileo Galilei Kaun Tha?

Galileo Galilei (गैलीलियो गैलिली) को “सुकरात” की तरह जहर का प्याला तो नहीं पीना पड़ा, लेकिन इसे उम्र कैद की सजा जरूर भुगतना पड़ी। इसे कहा गया कि बोलो पृथ्वी गति नहीं करती। इसने ऐसा ही कहा, लेकिन फिर कानाफूसी में बोला कि मगर वो गति तो करती है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको दूरबीन (Telescope) के द्वारा ब्रह्मांड के राज पता करने वाले विश्व प्रसिद्ध खगोल शास्त्री, दार्शनिक, गणितज्ञ गैलीलियो गैलिली की दिलचस्प बायोग्राफी/कहानी बता रहे हैं।

गैलीलियो गैलिली कौन था?

जन्म 15 फ़रवरी 1564 (Julian)[1][2]
पीसा[2][3]
मृत्यु 8 जनवरी 1642[1][4]
आवास पीसा, पडुआ, फ़्लोरेन्स
व्यवसाय खगोल विज्ञानी,[5][4] दार्शनिक,[5] गणितज्ञ,[5] भौतिक विज्ञानी,[5][6][4] आविष्कारक, बहुश्रुत, विश्वविद्यालय शिक्षक, वैज्ञानिक,[7][8] अभियन्ता, दार्शनिक
प्रसिद्धि कारण गैलिलियो रूपांतरण
धार्मिक मान्यता कैथोलिक धर्म[9]
जीवनसाथी None

 

Pisa Tower (Photo Credit Patrika.com)
Pisa Tower (Photo Credit Patrika.com)

इटली के प्रसिद्ध शहर “पिसा (Pisa)” का नाम आपने जरूर सुना होगा, जिसकी पहचान ऊपर तस्वीर में यह टेढ़ा सा टावर है। जिसे Pisa Tower कहा जाता है।

Galileo Galilei Birth Place (Photo Credit tripadvisor.com
Galileo Galilei Birth Place (Photo Credit tripadvisor.com

पिसा शहर के इस घर (ऊपर तस्वीर) में 1564 में Galileo Galilei का जन्म हुआ था। गैलीलियो के पिता विन्सेन्ज़ो गैलीली एक इतालवी लुटेनिस्ट, संगीतकार और संगीत सिद्धांतकार थे। गैलीलियो ने भी बचपन में अपने पिता से संगीत सीखा। वो गिटार से मिलता-जुलता यंत्र “Lute” भी बजाया करता था

Lute 'musical-instrument' (Photo credit dlpgn.com)
Lute ‘musical-instrument’ (Photo credit dlpgn.com)

जब Galileo Galilei 8 वर्ष का था, तो उसका परिवार इटली के दूसरे शहर Florence में शिफ्ट हो गया। 1581 में गैलीलियो ने मेडिसिन की पढ़ाई करने के लिए पिसा यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया, लेकिन फिर यूँ हुआ कि मेडिसिन में गैलीलियो का दिल नहीं लगा। इसलिए इसने अपने पिता के विरोध के बावजूद यह सब्जेक्ट छोड़कर फलसफा (दर्शन शास्त्र) और गणित पढ़ना शुरू कर दिया। पढ़ाई के साथ वो बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाता था। ट्यूशन पढ़ाने के दौरान ही गैलीलियो ने छोटी-छोटी चीजों का वजन मापने के लिए एक तराजू भी बनाया। Galileo Galilei को “अरस्तू” का फलसफा (दर्शनशास्त्र) बहुत पसंद था, लेकिन वो नहीं जानता था कि भविष्य में इसे अपने पसंदीदा फिलॉस्फर के पॉइंट ऑफ व्यू को ही गलत साबित करना होगा।

1588 में Galileo Galilei ने University of Bologna में मैथ डिपार्टमेंट के हेड की पोस्ट पर अप्लाई किया, मगर नाकाम रहा। फिर भी एक मैथमेटिशियन और साइंटिस्ट के तौर पर अब इसकी प्रसिद्धि लगातार बढ़ रही थी। गैलीलियो एक सोशल व्यक्ति था और राजनीतिक तौर पर शक्तिशाली लोगों से जान-पहचान बनाने में आगे-आगे रहता था। ऐसे ही कुछ दोस्तों की मदद से गैलीलियो 1589 में University of Pisa में मैथमेटिक्स डिपार्टमेंट का हेड बन गया। इस जॉब के दौरान इसने फिजिक्स के एक्सपेरिमेंट्स शुरू किये। इसने यह साबित किया कि “हलकी और भारी वस्तुएं एक ही स्पीड से पृथ्वी पर गिरती हैं”। भार के कारण गिरने की स्पीड पर कोई फर्क नहीं पड़ता। यह गैलीलियो की अरस्तू के पॉइंट ऑफ व्यू से पहली बगावत थी क्योंकि “अरस्तू मानता था कि कोई भी वस्तु अपने भार के अनुसार पृथ्वी पर गिरती है”।

लोग कहते हैं कि Galileo Galilei अपनी थ्योरी को सही साबित करने के लिए पिसा टावर पर चढ़ गया और इसने एक भारी और एक हलकी वस्तु को पृथ्वी पर गिराया। यह दोनों वस्तुएं एक ही समय में पृथ्वी पर गिरीं, लेकिन गैलीलियो की इस खोज पर पिसा यूनिवर्सिटी में इसके सारे कलीग्स इससे नाराज हो गए क्योंकि वो लोग अरस्तू के पॉइंट ऑफ व्यू का सपोर्ट करते थे। इन्ही लोगों के दबाव के कारण पिसा यूनिवर्सिटी ने 1592 में गैलीलियो का कॉन्ट्रैक्ट री-न्यू करने से मना कर दिया। यह गैलीलियो के लिए बहुत ही कठिन समय था। एक साल पहले यानि 1591 में इसके पिता की मौत हो चुकी थी और परिवार में बड़ा भाई होने के नाते अब अपने परिवार की सारी जिम्मेदारी गैलीलियो को ही उठाना पड़ रही थी। ऐसे में गैलीलियो ने अपने शक्तिशाली दोस्तों से मदद मांगी। इन दोस्तों ने इसे पिसा से 284 किलोमीटर दूर University of Padua में मैथ डिपार्टमेंट का इंचार्ज बनवा दिया। यहाँ इसकी सैलरी भी University of Pisa से ज्यादा थी।

यूनिवर्सिटी के अलावा Galileo Galilei ने ट्यूशन भी पढ़ाना शुरू कर दिया। इसके अलावा इसने दिक्सूचक यानि Compass का भी एक बेहतर वर्जन तैयार करके इसे भी मार्केट में बेचना शुरू कर दिया। इस सब से गैलीलियो की ठीक-ठाक कमाई हो जाती थी। फिर 1609 में इसकी लाइफ में एक हैरतअंगेज इंकलाब आया।

निःसंदेह आप जानते होंगे कि दूरबीन (Telescope) का आविष्कार Galileo Galilei ने नहीं किया था, बल्कि इसे बेहतर बनाया था। गैलीलियो ने यह दूरबीन इसलिए बना ली थी क्योंकि उस समय दूरबीन का कोई कॉपी राइट नहीं था।

Hans Lippershey
Hans Lippershey (Dutch inventor) Photo credit britannica.com

Galileo Galilei से पहले नीदरलैंड के एक वयक्ति Hans Lippershey ने दूरबीन का पेटेंट अपने नाम पर रजिस्टर करवाने की कोशिश की थी, लेकिन दो और लोगों ने भी दावा कर दिया कि दूरबीन का आविष्कार तो उन्होंने किया है। इस तरह वैज्ञानिक अविष्कारों को रजिस्टर्ड करने वाले ऑफिसर्स यह तय ना कर सके कि इसे किसके नाम पर रजिस्टर्ड किया जाय? क्योंकि, दूरबीन का डिजाइन इतना सिंपल था कि कोई भी इसकी नकल बना सकता था। इसलिए यह आविष्कार किसी के नाम पर रजिस्टर्ड ना हो सका।

इस दौरान गैलीलियो को भी दूरबीन के आविष्कार का ज्ञान हो गया। वो एक दुकान से ऐनक वाले लेंस खरीद लाया और इनकी मदद से एक दूरबीन तैयार कर ली। यह दूरबीन नीदरलैंड में तैयार होने वाली दूरबीनों से बहुत बेहतर थी। यह आकाश में मौजूद ग्रह, नक्षत्रों को भी आम इंसानी आँख से 20 गुना बड़ा करके दिखा सकती थी। Galileo Galilei ने वेनिस के शाही दरबार में अपना यह अविष्कार प्रस्तुत कर दिया और वहां इसकी बहुत तारीफ हुई। वेनिस की सरकार ने खुश होकर यूनिवर्सिटी में गैलीलियो की सैलरी डबल कर दी और इसकी नौकरी भी लाइफ टाइम तक कर दी गई।

1609 के अंत में Galileo Galilei ने दूरबीन की मदद से आकाश की गहराईयाँ देखना शुरू कर दीं और वहां एक हैरतों का समुन्दर इसकी प्रतीक्षा में था। “अरस्तू” ने ब्रह्मांड के बारे में दो बड़े पॉइंट ऑफ व्यू प्रस्तुत किये थे। एक यह कि “पृथ्वी इस ब्रह्मांड का केंद्र है और बाकी सारी चीजे इसकी परिक्रमा करती हैं”। दूसरा यह कि “पृथ्वी तो असमतल, खराब और ऊँची-नीची है, लेकिन आकाश बिलकुल समतल (स्मूथ) है और उसमे को परिवर्तन नहीं होता। लेकिन, अरस्तू के लगभग 2 हजार वर्ष बाद इटली में बैठा एक साइंटिस्ट “गैलीलियो गैलिली” जब दूरबीन से आकाश को देख रहा था, तो इसे लगा कि “ना तो आकाश बिलकुल समतल है और ना ही पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र है”।

गैलीलियो ने देखा कि चन्द्रमा की सतह ऊँची-नीची है। वहां पहाड़ हैं, खाईयां हैं। जब इसने Venus (शुक्र) ग्रह पर नजर डाली, तो इसे पता चला कि यह ग्रह तो वास्तव में सूर्य की परिक्रमा कर रहा है। फिर इसने Jupiter (बृहस्पति) ग्रह पर नजर की तो हैरत का एक झटका लगा कि वहां चार चन्द्रमा साझा तौर पर इसकी परिक्रमा कर रहे थे। फिर इसने बृहस्पति ग्रह के चारों ओर मौजूद रिंग्स को भी देखा। इसके बाद इसने अपनी इस पूरी रिसर्च की ड्राइंग्स तैयार की और हर चीज की जाँच-पड़ताल करने के बाद वो समझ गया कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र नहीं है, बल्कि इसमें कई केंद्र हैं और हर चीज अपने-अपने सेंटर यानी केंद्र की परिक्रमा कर रही है। आकाश समतल नहीं है, बल्कि इसमें मौजूद चीजों में भी पृथ्वी की तरह असमता मौजूद हैं।

इन बातों के अलावा Galileo Galilei को ये भी विश्वास हो गया था कि पृथ्वी भी स्थिर (स्टैटिक) नहीं है, बल्कि गति कर रही है। गैलीलियो की यह कल्पना नई नहीं थी क्योंकि गैलीलियो से पहले पोलैंड का साइंटिस्ट Nicolaus Copernicus भी यह थ्योरी प्रस्तुत कर चुका था कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर रही है।

Nicolaus Copernicus
Nicolaus Copernicus (Photo credit, famousscientists.org)

दूरबीन की मदद से ब्रह्मांड की जाँच-पड़ताल करके Galileo Galilei को Nicolaus Copernicus की थ्योरी पर विश्वास होने लगा था, लेकिन इस थ्योरी के साथ एक समस्या यह थी कि ये थ्योरी ईसाईयों के पवित्र ग्रन्थ “बाइबिल” से मेल नहीं खाती थी क्योंकि “बाइबिल” में लिखा था कि “ईश्वर ने पृथ्वी को अपनी बुनियाद (नीव) पर फिक्स कर दिया है और ये कभी गति नहीं करेगी”।

Cosimo II de' Medici
Cosimo II de’ Medici (Photo credit, italyonthisday.com)

गैलीलियो गैलिली ने चन्द्रमा और अन्य ग्रहों के बारे में जो खोज की थी। इस पर इसने एक किताब “Siderevs Nvncivs” लिख दी। इस किताब को Galileo Galilei ने अपने पुश्तैनी राज्य Tuscany के साशक Grand Duke Cosimo II de’ Medici के नाम कर दिया। Cosimo II को, गैलीलियो किसी ज़माने में ट्यूशन भी पढ़ा चुका था।

Medician Stars
Medician Stars (Photo credit, Phys.org)

गैलीलियो गैलिली ने एक काम और यह किया कि इसने Jupiter (बृहस्पति) की परिक्रमा कर रहे जिन चार साझा चंद्रमाओं को खोज की थी। इनको इसने Cosimo के घराने यानि कुल ‘Medici’ के नाम पर “Medician Stars” का नाम दे दिया। Cosimo II ने इस बात पर खुश होकर Galileo Galilei को अपने दरबार में दार्शनिक और गणितज्ञ का सरकारी पद दे दिया। अब गैलीलियो, खुशी-खुशी Florence पहुँचा और शाही दरबार में अपना पद संभाल लिया, लेकिन इसकी लगातार सफलताओं ने इसके कई शत्रु पैदा कर दिए थे, जो गैलीलियो को तबाह करने का मौका ढूंढ रहे थे। फिर ये मौका उन्हें मिल भी गया।

Galileo Galilei के बारे में एक बात शायद आपके लिए आश्चर्यजनक हो, वो यह कि गैलीलियो धर्म विरोधी नहीं था, बल्कि इस पर विश्वास करता था। यहाँ तक कि इसने अपनी दोनों पुत्रियों Maria Celeste और Livia Galilei को ईसाई परंपरा के अनुसार नन (Nun) बनाया था। इसके अलावा इसका एक बेटा Vincenzo Gamba भी था। गैलीलियो गैलिली की यह तीनों संतानें एक महिला Marina Gamba की खोख से थी, जिससे गैलीलियो ने कभी शादी नहीं की। इसके बावजूद वो धर्म विरोधी नहीं था। इसे धर्म से लगाव तो था, लेकिन इसका यही लगाव इसके दुश्मनों के लिए एक हथियार बन गया और उन्होंने गैलीलियो को चर्च की नजरों से गिरा दिया।

हुआ यूँ कि गैलीलियो गैलिली ने 1613 में पीसा में अपने एक स्टूडेंट को पत्र लिखा। इस पत्र में गैलीलियो गैलिली ने यह बात लिखी थी कि पृथ्वी की गति वाली थ्योरी को “बाईबिल” से कैसे चुकता किया जाय?

अब आपको याद होगा कि पीसा शहर में गैलीलियो गैलिली के कई दुश्मन थे, जो अरस्तू की थ्योरी के खिलाफ इसके एक्सपेरिमेंट्स से नाराज थे। गैलीलियो का दुर्भाग्य कि इसका भेजा हुआ पत्र भी इसके दुश्मनों के हाँथ लग गया और उन्होंने इस पत्र की गलत कापियाँ तैयार करके रोम में चर्च को भेज दीं। इन कापियों में धर्म और चर्च के खिलाफ ऐसी बातें की गई थीं, जो Galileo Galilei ने नहीं कही थीं।

अब Galileo Galilei को रोम जाकर अपना बचाव करना पड़ा और वहां इसने अपने पत्र की ओरिजनल कॉपी भी प्रस्तुत कर दी। जिससे सबित हो गया कि इस पर धर्म का अपमान करने का आरोप गलत था, लेकिन कुछ वर्ष बाद गैलीलियो के सामने एक और बड़ी समस्या खड़ी हो गई।

हुआ यूँ कि 1616 में रोमन चर्च ने Nicolaus Copernicus की पृथ्वी के गति करने वाली थ्योरी को धर्म विरोधी बताकर, इसे ब्लैकलिस्ट कर दिया यानि अब इस थ्योरी पर बात करना एक अपराध था। जिसकी सजा मृत्यु दंड भी हो सकती थी। चर्च ने Galileo Galilei को भी चेतावनी दी कि वो Nicolaus Copernicus की थ्योरी को फॉलो करना और इसका बचाव करना छोड़ दे।

Galileo Galilei ने खुलेआम Nicolaus Copernicus के बारे में बात करना तो छोड़ दिया, लेकिन वो खुफिया तौर पर पृथ्वी के गति करने के बारे में डीप रिसर्च करता रहा। इसने समुद्र के टाइड यानि पानी के उतार-चढ़ाव पर भी शोध किया और इस नतीजे पर पहुँचा कि यह सब कुछ पृथ्वी की गोलाई में घूमने की वजह से ही मुमकिन है। फिर रोमन चर्च में एक दिलचस्प घटना हुई।

Pope-Urban-VIII
Pope-Urban-VIII (Photo credit Popular Bio)

हुआ यूँ कि गैलीलियो गैलिली का एक पुराना पादरी मित्र “Pope Urban VIII” कैथोलिक ईसाई धर्म का नया पोप बन गया। Galileo Galilei के समर्थकों ने Pope Urban VIII को गैलीलियो गैलिली की धूमकेतु (Comets) पर लिखी गई एक किताब The Assayer भी गिफ्ट में भेजी।

The Assayer
The Assayer (Photo credit, YouTube)

Pope Urban VIII को गैलीलियो गैलिली से सहानुभूति थी। इसलिए इसने 1624 में गैलीलियो को रोम बुलाया और उससे 6 मुलाकातें की। इन मुलाकातों के बाद इसने गैलीलियो को यह अनुमति दे दी कि वो ब्रह्मांड के बारे में किताब लिख सकता है, लेकिन साथ ही इसने गैलीलियो को चेतावनी भी दी कि वो अपनी किताब में Nicolaus Copernicus की थ्योरी को सिर्फ काल्पनिक अंदाज में प्रस्तुत करे। इसे वास्तविक करार ना दे। गैलीलियो ने ऐसा ही किया और जल्द ही एक किताब लिखी, जिसका नाम था ” दो प्रमुख विश्व प्रणालियों के संबंध में संवाद (Dialogue Concerning the Two Chief World Systems)”.

Dialogue Concerning the Two Chief World Systems
Dialogue Concerning the Two Chief World Systems (Photo credit, Wikipedia.org)

इस किताब को फ़्लोरेंस में धार्मिक सेंसर्स बोर्ड ने पास कर दिया और 1632 में यह प्रकाशित हो गई। इस किताब के दिवाचे यानी पूर्व चरण में Galileo Galilei ने यह स्पष्ट कर दिया था कि इसमें लिखी गई सारी बातें काल्पनिक हैं। इन्हे तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत नहीं किया गया है। अब यह किताब प्रकाशित हो चुकी थी। इस किताब में अलग-अलग लोगों के बीच इस बात पर बहस दिखाई गई थी कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र है या सूर्य? लेकिन इस किताब को पढ़ने वालों को जल्द ही अहसास हुआ कि गैलीलियो ने बड़ी ही चतुराई से काल्पनिक तौर पर ही Nicolaus Copernicus की थ्योरी को सही साबित कर दिया है यानि सूर्य को ब्रह्मांड का केंद्र साबित कर दिया है।

अब इटली में धार्मिक लोगों ने गैलीलियो गैलिली के खिलाफ एक हंगामा खड़ा कर दिया। अब Pope Urban VIII भी गैलीलियो का मित्र होने के बावजूद इसके खिलाफ कार्यवाही पर मजबूर हो गया। इसने फौरी तौर पर गैलीलियो की किताब की जाँच-पड़ताल करने के लिए एक कमेटी बना दी। कमेटी ने भी इस किताब की जाँच-पड़ताल करने के बाद Galileo Galilei को मुजरिम करार दिया और उसके खिलाफ धार्मिक अदालत में मुकदमा चलाने की सिफारिश कर दी। इस प्रकार रोम में Galileo Galilei का ट्रायल शुरू हुआ।

ट्रायल के दौरान पहले तो गैलीलियो गैलिली ने यह स्वीकार्य करने से ही मना कर दिया कि वो Nicolaus Copernicus की थ्योरी पर विश्वास करता है। फिर इसने कहा कि इसने Nicolaus Copernicus की थ्योरी के समर्थन में जो कुछ भी लिखा, वो अनजाने में लिखा गया, जानबूझकर नहीं। धार्मिक अदालत ने इसे मजबूर किया कि वो पश्चाताप करे और इस पॉइंट ऑफ़ व्यू पर धिक्कार करे कि पृथ्वी गति करती है। गैलीलियो ने ऐसा ही किया। लीजेंड के अनुसार पृथ्वी के गति वाले पॉइंट ऑफ व्यू पर धिक्कार करने के बाद गैलीलियो ने दबी आवाज में कहा था, मगर पृथ्वी तो गति करती है।

गैलीलियो गैलिली को पश्चाताप और धिक्कार करने के बाद चर्च ने ताउम्र घर में ही नजरबंदी का आदेश सुना दिया। इसलिए इसे फ्लोरेंस लाकर इसके घर में नजरबंद कर दिया गया। गैलीलियो के शक्तिशाली मित्र इसे इस उम्र कैद से तो रिहाई नहीं दिला सके, लेकिन गैलीलियो को अपने घर में हर सुविधा मिलती रही। सजा के समय गैलीलियो की उम्र 69 वर्ष थी। इसके बाद नजरबंदी में गैलीलियो लगभग 8 साल जिन्दा रहा। इसने नजरबंदी के दौरान ही गति पर अपने एक्सपेरिमेंट्स की समरी भी लिखी। यह इसका आखिरी वैज्ञानिक कार्य था। मृत्यु से कुछ समय पूर्व वो अंधा भी हो गया था। जुलाई 1642 को 77 वर्ष की उम्र में Galileo Galilei को तेज बुखार हो गया। इसकी हृदय गति भी बेकाबू होने लगी और 08 जुलाई को गैलीलियो गैलिली ने दम तोड़ दिया।

गैलीलियो गैलिली को Florence के Santa Cruz Church में एक अस्थायी ग्रेव (कब्र) में दफन किया गया। मार्च 1737 में Galileo Galilei की ग्रेव खोली गई और इसके अस्थि-पंजर को चर्च के अन्दर ही इसकी वर्तमान ग्रेव में विस्थापित (ट्रान्सफर्ड) कर दिया गया।

लास्ट ट्रान्सफर्ड करने वालों ने गैलीलियो गैलिली के हाँथ की तीन उँगलियाँ काट लीं। उस समय शव के मुँह में एक दाँत भी बाकी था। इसे भी इन लोगों ने निकाल लिया। इनमे से एक ऊँगली फ्लोरेंस में गैलीलियो गैलिली के नाम पर बनाये गए म्यूजियम में रखी है। जबकि गैलीलियो की बाकी दो उँगलियाँ और दाँत, जिन्हे एक जार में सुरक्षित किया गया था, वो 1905 में गायब हो गए थे। यह जार 100 वर्ष तक इतिहासकारों की नजर से ओझल रहा, लेकिन 2009 में एक व्यक्ति यह जार लेकर फ्लोरेंस के हिस्ट्री ऑफ साइंस म्यूजियम में पहुंचा। इसने एक नीलामी में यह जार खरीदा था और यह जानना चाहता था कि इसके अंदर मौजूद चीजों की ऐतिहासिक कीमत क्या है?

जब म्यूजियम के विशेषयज्ञों ने जार की जाँच-पड़ताल की, तो उन्हें Galileo Galilei की दोनों उँगलियाँ और दाँत मिल गए। यह जार अब भी इस व्यक्ति के पास मौजूद है और इसकी पहचान खुफिया रखी गई है।

Galileo Galilei की मौत के लगभग 350 वर्ष बाद 1989 में रोमन कैथोलिक चर्च यानी Vatican City (वैटिकन सिटी) ने गैलीलियो गैलिली का मुकदमा दुबारा खोला। पोप ने एक जाँच-पड़ताल कमेटी का गठन किया, जिसने 13 साल तक इस मामले की जाँच की। अन्तः 1992 में कमेटी ने यह स्वीकार्य कर लिया कि चर्च का गैलीलियो के प्रति व्यवहार गलत था, यानि वैटिकन सिटी ने यह बात पहली बार स्वीकार्य कर ली कि पृथ्वी “सूर्य” का चक्कर लगाती है। वैटिकन सिटी के मार्गदर्शक Pope John Paul II ने भी बयान दिया कि “अब धर्म और विज्ञान की लड़ाई, भूतकाल का हिस्सा बन चुकी है”।

Galilei International Airport
Galilei International Airport (Photo credit, TravelUpdate)

गैलीलियो गैलिली की मौत के बाद कई तरह से उसकी स्तुति और प्रशंसा की गई। पीसा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम भी Galileo Galilei के नाम पर “Galilei International Airport” है। फ्लोरेंस में गैलीलियो गैलिली के नाम पर एक रिसर्च इंस्टिट्यूट भी स्थापित है। इसके अलावा, NASA (नासा) ने Jupiter (बृहस्पति) पर भेजे गए अपने स्पेस मिशन को भी Galileo Galilei का नाम दिया था।

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दोस्तों, Galileo Galilei (गैलीलियो गैलिली) की यह दिलचस्प बायोग्राफी आपको कैसी लगी? गैलीलियो के बारे में आपका क्या कहना है? कमेंट बॉक्स में लिखकर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें। दोस्तों, अगर आपको गैलीलियो गैलिली की यह शानदार बायोग्राफी/कहानी पसंद आई हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना बिलकुल भी ना भूलें, धन्यवाद।

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