Newton ने पेड़ से सेब को गिरता देखकर गुरुत्वाकर्षण (Gravity) की खोज कर ली। न्यूटन ने गति के सिद्धांत खोजे, अंतरिक्ष विज्ञान और गणित विद्या में खूब रिसर्च की, लेकिन कम लोग जानते हैं कि न्यूटन ने राजनीति में भी हिस्सा लिया था। बर्तानिया में सिक्कों की तैयारी की नई व्यवस्था भी न्यूटन ही लेकर आया था। न्यूटन ने जालसाजों को फाँसियाँ दिलवाईं, लेकिन खुद दूसरों की रिसर्च छीनकर अपने नाम से प्रकाशित करता रहा। आज के इस आर्टिकल में हम आपको इसी विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक सर आइज़ैक न्यूटन की जिंदगी के कुछ दिलचस्प सत्य; तथ्य तथा बायोग्राफी/कहानी बता रहे हैं, जिन्हे शायद आप पहले नहीं जानते थे।
Newton कौन था?
जन्म | 4 जनवरी 1643 [OS: 25 दिसम्बर 1642][1] वूलस्ठोर्पे बाय कोलस्तेरवर्थ लिंकनशायर, इंग्लैंड |
मृत्यु | 31 मार्च 1727 (उम्र 84) [OS: 20 मार्च 1727][1] केंसिंग्टन, मिडलसेक्स, इंग्लैंड |
आवास/नागरिकता | इंग्लैंड |
राष्ट्रीयता | इंग्लिश (1707 से ब्रिटिश) |
क्षेत्र | भौतिक विज्ञान, गणित, खगोल, प्राकृतिक दर्शन, alchemy, theology |
संस्थान | कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय रॉयल सोसायटी रॉयल मिंट |
शिक्षा | Trinity College, Cambridge |
प्रसिद्धि | चिरसम्मत यांत्रिकी गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त कलन न्यूटन के गति नियम प्रकाशिकी न्यूटन विधि प्रिंसिपिया |
प्रभाव | योहानेस केप्लर गैलीलियो गैलिली अरस्तु रॉबर्ट बॉयल |
टिप्पणी | His mother was Hannah Ayscough. His half-niece was Catherine Barton |
Newton का बचपन बहुत अकेला और उदास बीता। पूर्वी इंग्लैंड का एक इलाका है ‘लिंकनशायर’ और इस इलाके का एक कस्बा है ‘ग्रांथम’. इस कसबे के करीब ‘ऊपर तस्वीर में’ जिस घर को आप देख रहे हैं, इसे “Woolsthorpe Manor” कहते हैं। आज से लगभग 350 वर्ष पूर्व 25 दिसम्बर 1642 क्रिसमस के दिन, इसी घर ‘ऊपर तस्वीर’ में “Sir Isaac Newton” ने आँख खोली थी, लेकिन न्यूटन को अपने जन्म से भी पहले एक बड़े आघात का सामना करना पड़ा था। हुआ यूँ कि न्यूटन का अनपढ़ किसान पिता, इसके जन्म से तीन माह पहले ही दुनिया छोड़ गया। न्यूटन का जन्म भी असामयिक (Premature) था। जन्म के समय वो इतना कमजोर था कि इसकी माँ और अन्य लोगों को लगता था कि वो एक दिन भी जिन्दा नहीं रहेगा, लेकिन Newton जिन्दा रहा।
न्यूटन, बचपन से ही गरीबी और अनाथ होने का दुख झेलता रहा, लेकिन अभी 3 वर्ष का ही था कि इसे एक और आघात से वास्ता पड़ गया। हुआ यूँ कि इसकी माँ ने एक धनी पादरी से विवाह कर लिया और न्यूटन को इसके दादा-दादी के पास छोड़कर ‘पिया देश’ सिधार गई। न्यूटन अकेला रह गया। माता-पिता की जुदाई ने इसकी साइकोलॉजी पर गहरा प्रभाव डाला। वो सोशल लाइफ, घूमने-फिरने और लोगों से मेल-जोल बढ़ाने से दूर रहने लगा। न्यूटन ने तनहाई को ही अपना दोस्त बना लिया और जीवन भर अविवाहित रहा।
न्यूटन, अयोग्य विद्यार्थी था। Newton, जैसे साइंटिस्ट के बारे में यह विश्वास करना काफी कठिन है कि वो शुरू में एक अयोग्य विद्यार्थी था। पढ़ने से ज्यादा इसकी रूचि मशीनी खिलौने बनाने में थी।
1655 में 12 वर्ष के Newton का एडमिशन Grantham के The King’s School में कराया गया। ऊपर तस्वीर में जिस बिल्डिंग को आप देख रहे हैं, यह इसी द किंग्स स्कूल ग्रान्थम की असल बिल्डिंग है, लेकिन यह जगह इसके घर से इतनी दूर थी कि वो रोजाना वहां आ-जा नहीं सकता था। इसलिए इसे घर छोड़कर एक फार्मासिस्ट के घर पर रहना पड़ा।
न्यूटन ने The King’s School, Grantham की प्रथा के अनुसार यहाँ की एक दिवार पर अपने सिग्नेचर भी किये थे। यह सिग्नेचर जिस दीवार पर किये गए थे, यह स्कूल के साइड हॉल का हिस्सा है। न्यूटन ने 1660 तक लगभग 5 साल इस स्कूल में शिक्षा प्राप्त की, जिसके बाद उसने 1661 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज में एडमिशन ले लिया।
नोट: अगर आप कभी बर्तानियाँ के कसबे “ग्रांथम” जाएं, तो Brook street में इस ऐतिहासिक स्कूल को विजिट करना ना भूलें।
कहते हैं कि Newton ने 19 वर्ष की उम्र में अपने पापों की एक लिस्ट भी बनाई थी। इसमें एक पाप यह भी था कि इसने अपनी माँ और सौतेले पिता को धमकी दी थी कि वो इनका घर जला देगा। इसी तरह इसने ये भी लिखा कि “मै मरना चाहता हुँ, मैंने दूसरे लोगों के मरने की भी चाह की है, मै लालची व्यक्ति हुँ, मुझे पैसों से प्यार है” इत्यादि।
न्यूटन की माँ इसे किसान बनाना चाहती थी। आजकल, माता-पिता अपने बच्चों को डॉक्टर, पायलट या इंजीनियर बनाना चाहते हैं, लेकिन Newton जैसे बड़े साइंटिस्ट की माँ तो इसे पढ़ाना ही नहीं चाहती थी।
हुआ यूँ कि जब Newton ‘The King’s School’ में पढ़ रहा था, तो इसकी माँ एक बार फिर विधवा हो गई। वो अपने पति का घर छोड़कर न्यूटन के पैतृक घर वापस आ गई। इसने न्यूटन को स्कूल से उठाकर “किसान” बनाने का निर्णय किया। जब इसने अपनी इच्छा न्यूटन से बताई तो वो बहुत परेशान हो गया। इसे खेतों में हल चलाने में कोई रूचि नहीं थी। वो पढ़ना चाहता था।
फिर यूँ हुआ कि न्यूटन का पूर्व हेड मास्टर इसकी मदद को आगे आया और इसने न्यूटन की माँ को समझाया कि वो न्यूटन को पढ़ाई जारी रखने दे। न्यूटन को अगर यह मदद ना मिलती, तो वो सिर्फ एक किसान बनकर रह जाता और विज्ञान का इतिहास शायद भिन्न होता।
प्लेग की महामारी ने गुरुत्वाकर्षण (Gravity) की खोज करवा दी। हुआ यूँ कि जब 1665 में इंग्लैंड में प्लेग की महामारी फैली तो कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने अपना कैंपस बंद कर दिया।
Newton के युग में प्लेग की महामारी के कारण पूरा देश लॉक डाउन हो जाता था। Newton भी अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर “Woolsthorpe Manor” चला गया। इसके घर के आस-पास बहुत से सेब के पेड़ थे। वो एक दिन ऐसे ही एक पेड़ के नीचे बैठा था कि एक सेब को गिरता देखकर, इसने गुरुत्वाकर्षण (Gravity) की थ्योरी खोज ली।
अगर इंग्लैंड में प्लेग की महामारी ना फैली होती, तो शायद न्यूटन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के कैंपस में ही बैठा रहता और कभी गुरुत्वाकर्षण (Gravity) की खोज ना कर पाता। बाद में Newton ने अपने तीन विश्व प्रसिद्ध गति के नियम या Laws of motion भी प्रस्तुत किये जोकि मॉडर्न फिजिक्स की बुनियाद हैं।
न्यूटन का एक और प्रशंसनीय कार्य, जिससे कम लोग परिचित हैं, वो यह है कि इसने यह खोज की कि प्रकाश विभिन्न रंगों से मिलकर बना है। इससे पहले प्रकाश के बारे में यह समझा जाता था कि इसका रंग सफेद है और इसमें कोई और रंग शामिल नहीं है, लेकिन न्यूटन ने खोज किया कि प्रकाश यानि लाइट बहुत जटिल है और इसमें कई तरह के रंग शामिल हैं। इस काम के लिए इसने एक अँधेरे कमरे में प्रकाश की एक किरण को प्रिज्म से गुजार कर दिवार पर इसकी परछाई देखी। दीवार पर बहुत से रंग प्रकट हो गए।
यूँ पहली बार विज्ञान को पता चला कि प्रकाश विभिन्न रंगों से मिलकर बना है। इसके बाद प्रकाश पर ज्यादातर रिसर्च न्यूटन की इसी खोज के अनुसार की गई, लेकिन प्रकाश पर अपनी रिसर्च के कारण Newton की कुछ लोगों से लड़ाई भी हो गई। इनमे रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन का एक अहम लीडर Robert Hooke भी शामिल था।
Robert Hooke का आरोप था कि न्यूटन ने इसकी रिसर्च चोरी की है। Newton को Robert Hooke के आरोप पर इतना गुस्सा आया कि इसने एकांत रहना पसंद कर लिया और काफी समय तक लोगों से मिलना-जुलना बिलकुल ही बंद कर दिया। इस तरह अपने रिसर्च वर्क के मामले पर इसका एक धार्मिक संगठन से भी पत्राचार हुआ। इस संगठन का विचार था कि Newton की रिसर्च इनकी धार्मिक मान्यताओं से मेल नहीं खाती। कई वर्ष तक इस संगठन से पत्राचार के बाद न्यूटन इतना हताश हो गया कि इसे तंत्रिका अवरोध (Nervous breakdown) हो गया और इसने एक बार फिर एकाकीपन और ख़ामोशी की चादर ओढ़ ली।
न्यूटन एक महान वैज्ञानिक था, लेकिन वो दूसरे वैज्ञानिकों को खुद से आगे निकलते हुए नहीं देख सकता था। इसने धोखे से एक और साइंटिस्ट की रिसर्च अपने नाम कर ली। यह रिसर्च गणित विद्या के एक लेख कैलकुलस से संबंधित थी। कैलकुलस के महत्त्व का अंदाजा यूँ लगाएं कि यह आज की तमाम कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, इंजीनियरिंग और इकोनॉमिक्स की बुनियाद है।
1670 की दहाई में प्रसिद्ध स्कॉलर Gottfried Wilhelm Leibniz ने कैलकुलस पर रिसर्च करके इसका एक विकसित वर्जन तैयार किया था, जो आज भी इस्तेमाल होता है। लेकिन, जब Newton को इस रिसर्च की जानकारी हुई तो इसने एक हंगामा खड़ा कर दिया और घोषणा कर दी कि कैलकुलस पर तो सारी रिसर्च मैंने की थी। मगर अब Gottfried Wilhelm Leibniz मेरी रिसर्च चोरी करके सारा क्रेडिट खुद ले रहा है। यह हंगामा जब बहुत बढ़ गया, तब Gottfried Wilhelm Leibniz ने रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन में न्यूटन के खिलाफ अपील दायर कर दी। यह सोसाइटी वैज्ञानिक विकास के लिए स्थापित की गई थी और इसे विज्ञान पर अथॉरिटी समझा जाता था। मगर इस सोसाइटी की मजबूरी यह थी कि न्यूटन इसका प्रधान (चीफ) था।
न्यूटन ने बाह्य रूप से निष्पक्षता दिखाने के लिए कैलकुलस वाले मामले की जाँच-पड़ताल करने के लिए अलग से एक कमेटी बना दी, लेकिन यह कमेटी निष्पक्ष नहीं थी, बल्कि इसमें न्यूटन के समर्थक भरे हुए थे। इन लोगों ने न्यूटन के पक्ष में फैसला दे दिया और Newton ने Calculus की रिसर्च को अपने नाम कर लिया।
न्यूटन 1703 से 1727 तक यानि अपनी मौत तक रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन का प्रधान (चीफ) रहा। इस सोसाइटी को अब सिर्फ रॉयल सोसाइटी कहा जाता है।
न्यूटन सोना बनाने का तरीका ढूंढता रहा। न्यूटन को भी बहुत से लोगों की तरह धनवान बनने का जूनून था। इसके दौर में Philosopher’s Stone की कहानियाँ बहुत प्रसिद्ध थीं यानि एक ऐसा चमत्कारिक पत्थर या केमिकल जो लोहे और शीशे को सिर्फ छूकर सोना बना दे।
वैज्ञानिक हजारों वर्ष से Philosopher’s Stone तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कभी सफल नहीं हो सके। न्यूटन भी Philosopher’s Stone प्राप्त करने का प्रयास करता रहा, लेकिन जाहिर है अन्य वैज्ञानिकों की तरह इसे भी कोई सफलता नहीं मिली।
न्यूटन 2 बार पार्लियामेंट का सदस्य भी बना, लेकिन इसके लिए इसने कोई चुनाव नहीं लड़ा। दरअसल ब्रिटिश पार्लियामेंट में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की सीट आरक्षित थी। यूनिवर्सिटी का कोई भी प्रतिनिधि एक साल के लिए पार्लियामेंट का सदस्य भी सकता था।
न्यूटन 1689 और फिर 1701 में दो बार पार्लियामेंट का सदस्य बना, लेकिन वो अपनी आदत के अनुसार पार्लियामेंट में सदैव मौन ही रहता था। जब वो 1689 में पहली बार पार्लियामेंट का सदस्य बना, तो इसने एक साल में सिर्फ एक वाक्य बोला था, वो भी यह कि “इसने एक कर्मचारी से कहा था ‘खिड़की’ बंद कर दो मुझे ठंड लग रही है”। इसके अलावा वो पार्लियामेंट की कार्यवाही में बिलकुल मौन रहा।
न्यूटन शाही टकसाल (रॉयल मिंट) का इंचार्ज भी बना। न्यूटन को 1700 में इंग्लैंड की सिक्के तैयार करने वाली शाही टकसाल का इंचार्ज बना दिया गया। वो अपनी मौत तक इस पद पर काम करता रहा। इस हैसियत में इसने इंग्लैंड में करेंसी की पद्धति वैज्ञानिन आधारों पर पक्की कर दी।
न्यूटन की टकसाल में सर्विस के दौरान ही 1707 में इंग्लैंड और स्कॉटलैंड एक देश बन गए। न्यूटन ने इंग्लैंड और स्कॉटलैंड की करेंसी को मिलाकर करेंसी की नई पद्धति बनाई। ब्रिटिश की आधुनिक करेंसी की पद्धति भी इसी पद्धति पर आधारित है, जो Newton ने बनाई थी।
न्यूटन के दौर में गुणात्मक (स्टैंडर्ड) सिक्के तैयार होने के कारण इंग्लैंड की रॉयल मिंट या शाही टकसाल यूरोप की उत्तम टकसाल बन गई। यूरोप के लोग ब्रिटिश करेंसी पर अधिक विश्वास करने लगे क्योंकि इनके विचार में इसके जाली सिक्के बनाना असंभव था।
न्यूटन ने जाली सिक्कों की तैयारी रोकने के लिए बहुत से प्रबंध किये। जो जालसाज पकड़े जाते थे, उनसे न्यूटन खुद भी इन्वेस्टीगेशन करता था। कई जालसाजों को फाँसी भी हुई। उनमे एक कुख्याति सिक्का जालसाज विलियम चालोनेर (William Chaloner) भी शामिल था। न्यूटन के प्रयासों से वो भी पकड़ा गया और इसे फाँसी हो गई।
सिक्का जालसाजों के विरुद्ध कार्यवाही के दौरान न्यूटन का बहुत से पेशेवर अपराधियों से वास्ता पड़ा। इसे कत्ल की धमकियाँ भी मिलती रहीं, मगर वो टस से मस नहीं हुआ और जालसाजों के विरुद्ध कार्यवाही जारी रखी। लेकिन, एक बार Newton पर यह आरोप भी लगा कि इसके निरीक्षण में बनने वाले सिक्के स्टैंडर्ड के अनुसार नहीं हैं। लेकिन, जब ज्यूरी ने इस आरोप की जाँच-पड़ताल शुरू की तो न्यूटन ने ज्यूरी के सामने वैज्ञानिक आधारों पर साबित कर दिया कि सिक्के स्टैंडर्ड के अनुसार हैं, बल्कि इसने यह भी साबित कर दिया कि जिस मशीन से सिक्कों को चेक करके नॉन स्टैंडर्ड बताया जा रहा है, वो मशीन ही खराब है। इस प्रकार इस मशीन को हटा दिया गया और Newton के तैयारकर्ता सिक्के बर्तानिया में राइज रहे।
1705 बर्तानवी मल्लिका “Anne” ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का दौरा किया। इस दौरे में “Queen Anne” ने Newton को नाईट की उपाधि दी। इसके बाद Isaac Newton को “Sir, Isaac Newton” कहा जाने लगा। कहा जाता है कि न्यूटन को नाईट का टाइटल इसकी वैज्ञानिक सेवाओं के लिए नहीं मिला था, बल्कि न्यूटन के राजनीतिक सम्बंधों की वजह से दिया गया था।
सर की उपाधि, रॉयल सोसाइटी का प्रधान (चीफ) और रॉयल मिंट का इंचार्ज होने के अलावा”Sir, Isaac Newton” के पास एक और पद भी था। वो 1669 में सिर्फ 26 वर्ष की आयु में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में गणित विद्या का “Lucasian Professor” बना। यह पद शिक्षा के क्षेत्र में विश्व का सबसे सम्मान जनक पद समझा जाता है। विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक “स्टीफन हॉकिंग” भी 1979 से 2009 तक इस पद पर विराजमान रह चुके हैं।
Newton ने Lucasian Professor बनने के बाद लगभग 30 वर्ष कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में गुजारे, मगर इस दौरान इसने बहुत कम लेक्चर्स दिए। वो ज्यादातर अपने रिसर्च वर्क में ही लगा रहता था। इसने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी तब छोड़ी, जब इसे लंदन की रॉयल मिंट में जॉब मिली।
1720 की दहाई में Newton की आयु 80 वर्ष से अधिक हो चुकी थी और बुढ़ापे के साथ इसका स्वास्थ्य भी गिर रहा था। आखिरी आयु में न्यूटन मैनचेस्टर में अपनी भांजी Catherine Barton और इसके पति के साथ रहता था। इसके बावजूद न्यूटन अपनी जिंदगी के आखिर तक रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन की मीटिंग्स की अध्यक्षता करता रहा। यह और बात है कि वो इन मीटिंग्स के दौरान अक्सर ऊँघता रहता था। इसके अलावा इसने रॉयल मिंट में भी अपना काम जारी रखा।
31 मार्च 1727 को न्यूटन ने सोने के लिए आँखें बंद की और फिर कभी नहीं खोली। इसने नींद में ही प्राण त्याग दिया था। वो बच्चा, जिसके घर वाले डर रहे थे कि ये एक दिन भी जिन्दा नहीं रह पायेगा, वो 84 वर्ष भरपूर जिंदगी जी कर दुनिया से चला गया।
न्यूटन को विश्व प्रसिद्ध “Church, Westminster Abbey” में दफन किया गया है। इसी चर्च में बाद में Charles Darwin (चार्ल्स डार्विन) और Stephen Hawking ( स्टीफन हाकिंग) भी दफन हुए।
न्यूटन ने जिस सेब के पेड़ की वजह से गुरुत्वाकर्षण (Gravity) की खोज की, वो आज मौजूद नहीं है। 1820 में एक तूफान के दौरान यह पेड़ गिर गया था, लेकिन ठीक उसी जगह पर एक और पेड़ उग आया, जो आज भी मौजूद है। यह पेड़ ग्रांथम में Newton के घर के बिलकुल करीब है।
2002 में मौजूदा बर्तानवी मल्लिका “Queen Elizabeth II” ने इस पेड़ समेत 50 पेड़ों को इंग्लैंड की धरोहर घोषित करते हुए इनकी सुरक्षा का आदेश दिया था। इस पेड़ के चारों तरफ बाग लगाकर सुरक्षित कर दिया गया है और आज भी टूरिस्ट इसे देखने आते हैं। इसके अलावा कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज में भी न्यूटन के पुराने ऑफिस के बाहर सेब का एक पेड़ है। इस पेड़ को भी Newton’s Apple Tree कहा जाता है। यह कहा जाता है कि ये पेड़ भी उसी पेड़ की लकड़ी या बीजों से ऊगा है, जिसके नीचे न्यूटन ने बैठकर गुरुत्वाकर्षण (Gravity) की खोज की थी। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में कुछ और पेड़ों के बारे में भी ऐसी ही बातें प्रसिद्ध हैं।
Newton ने अंतरिक्ष की सैर भी की है। जी..हाँ, यह कोई मजाक नहीं है। आप कहेंगे कि न्यूटन के दौर में तो कोई अंतरिक्ष यान नहीं होते थे। दरअसल न्यूटन को अंतरिक्ष की सैर का करिश्मा अपनी मौत के बाद प्राप्त हुआ।
हुआ यूँ कि 2010 में NASA ने STS-132 के नाम से एक शटल मिशन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भेजा। इस शटल में यात्रा करने वाला अंतरिक्ष यात्री Piers Sellers अपने साथ Newton की एक तस्वीर और इसके सेब के पेड़ का एक टुकड़ा भी स्पेस स्टेशन पर ले गया। रास्ते में इसने शटल में Zero Gravity का माहौल बना दिया, जिसमे न्यूटन की तस्वीर और पेड़ का टुकड़ा इसी तरह उड़ते रहे, जैसे आपने अंतरिक्ष यात्रियों को उड़ते देखा होगा। अंतरिक्ष यात्री ने इस तरीके से Newton की स्तुति, प्रशंसा की थी क्योंकि गुरुत्वाकर्षण (Gravity) की खोज आखिर Newton ने ही तो की थी।
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Newton एक महान वैज्ञानिक था, जिसकी थ्योरीज से मानवता-इंसानियत आज भी फायदा उठा रही है। क्या आपने अपने जीवन में कोई ऐसा काम किया है जिससे मनुष्यों को फायदा पहुँच रहा हो या पहुँचता रहे? कमेंट बॉक्स में लिखकर हमे जरूर बताएं, धन्यवाद।