24 जनवरी 1955 को अमेरिकी शहर सैन फ्रांसिस्को में एक बच्चे ने आँख खोली, लेकिन इस बच्चे के माता-पिता इसे अपना नहीं सकते थे। इसका पिता ‘Abdul Fattah al Jandali’ मुस्लिम होने की वजह से बच्चे की ईसाई माँ ‘Joanne Schieble’ से शादी नहीं कर सकता था। अब यह दोनों इस बच्चे को किसी पढ़े-लिखे बे-औलाद जोड़े को सौंपना चाहते थे, जो इसकी अच्छी परवरिश कर सके। फिर यह जोड़ा इन्हे मिल गया। सैन फ्रांसिस्को के एक मोटर मैकेनिक Paul Jobs और इसकी अकाउंटेंट पत्नी Clara Jobs ने इस बच्चे को एडॉप्ट कर लिया। दोनों पति-पत्नी ने अपने अडॉप्टेड बेटे को Steve Paul Jobs का नाम दिया और आज दुनिया इसे Steve Jobs के नाम से जानती है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको Apple Inc के पहले CEO Steve Jobs की दिलचश्प बियोग्राफी बता रहे हैं।
Steve Jobs कौन था?
जन्म | 24 फरवरी 1955, सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका |
मृत्यु | 05 अक्टूबर 2011, पालो ऑल्टो, कैलिफ़ोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका |
जीवनसाथी | लॉरेन पॉवेल जॉब्स (एम। 1991–2011) |
शिक्षा | रीड कॉलेज (1972-1974), अधिक |
बच्चे | लिसा ब्रेनन-जॉब्स, ईव जॉब्स, रीड जॉब्स, एरिन सिएना जॉब्स |
माता-पिता | अब्दुलफत्ताह जॉन जंडाली, जोआन शिएबल सिम्पसन, क्लारा जॉब्स, पॉल जॉब्स |
Steve Jobs कुछ बड़ा हुआ तो अपने पिता Paul Jobs को गाड़ियां ठीक करते देखकर, इसे इलेक्ट्रॉनिक्स में दिलचस्पी पैदा हो गई। पढ़ाई में इसका दिल नहीं लगता था और वो हर वक्त शरारतें करता रहता। एक बार तो इसने अपने टीचर की कुर्सी के नीचे पटाखा भी फोड़ दिया था, लेकिन फिर इसकी एक टीचर ने इसे मैथ्स के सवाल हल करने पर लॉलीपॉप इनाम देना शुरू किया। लॉलीपॉप की लालच में Steve Jobs ने पढ़ाई में इतनी दिलचस्पी ली कि क्लास में टॉप कर लिया। स्कूल वालों ने तो इसे अगली दो क्लासेज छोड़कर 8th क्लास में प्रोमोट करने की पेशकश भी कर दी, लेकिन इसके माता-पिता ने इसे सिर्फ 7th क्लास में प्रोमोट होने की इजाजत दी।
स्टडी के साथ Steve Jobs की इलेक्ट्रॉनिक्स की योग्यताएं भी निखर रही थीं। एक बार इसने पूरे घर में खुफिया तौर पर स्पीकर लगाकर तार से यूँ जोड़ा कि घर में की जाने वाली सारी बातें इसे अपने कमरे में सुनाई देती थी। इसे एक्सपेरिमेंट्स का इतना शौक हो गया था कि इसने एक वैज्ञानिक उपकरण बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी HP के सीईओ को फोन कर दिया। सीईओ ने इस कॉल से प्रभावित होकर Steve Jobs को अपने यहाँ Internship पर एम्प्लॉई रख लिया।
Steve Jobs ने अपने एक दोस्त Steve Wozniak की मदद से एक ऐसा बॉक्स भी बनाया, जिसे टेलीफोन लाइन से जोड़कर कॉल का बिल बचाया जा सकता था। यह बॉक्स $40 में बनता था, मगर यह दोनों दोस्त इसे $150 में बेचते रहे। Steve Jobs ने बाद में यह कहा था कि इसे बॉक्स की कामयाबी से इतना हौंसला मिला था कि इसने बाद में Apple Inc जैसी बड़ी कंपनी बना दी।
हाई स्कूल में Steve Jobs की लाइफ में एक मुश्किल मोड़ भी आया। वो चरस, हेरोइन और दूसरे मादक पदार्थों का सेवन करने लगा। इस पर इसका अपने पिता से झगड़ा भी हुआ, लेकिन नशे की आदत के बावजूद वो 1972 में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने में कामयाब हो गया। फिर इसने बहुत जिद करके Reed College में एडमिशन ले लिया, लेकिन जब इसने देखा कि वहां इसके मन-पसंद सब्जेक्ट नहीं पढ़ाये जा रहे, तो उसने पहले ही सेमेस्टर में कॉलेज छोड़ दिया। लेकिन, कॉलेज छोड़ने से पहले इसकी हिप्पीज से दोस्ती हो चुकी थी।
Steve Jobs के दौर में हिप्पी कल्चर ऊंचाई पर था। इस कल्चर के पैरोकार नौजवान बालों का एक खास स्टाइल बनाते थे, आवारागर्दी करते थे और नशे में डूबे रहते थे। Steve Jobs ने भी हिप्पीज की देखा-देखी नॉनवेज खाना छोड़ दिया और वेजिटेरियन बन गया। इसका मानना था कि वेजिटेरियन बनने से इसे ना पसीना आ सकता है, ना इसके शरीर से दुर्गन्ध आएगी। इसलिए वो वर्षों तक नहाने से परहेज करता रहा, जिससे इसके शरीर से दुर्गन्ध आने लगी। सोने पर सुहागा यह कि वो बहुत ही चिड़चिड़ा और बुरे स्वभाव का था और इसके करीबी लोग भी इससे दूर रहने की कोशिश करते थे।
कॉलेज छोड़ने के बाद Steve Jobs ने वीडियो गेम्स बनाने वाली मशहूर कंपनी ATARI में $5 प्रति घंटा पर टेक्नीशियन की जॉब कर ली। यह जॉब भी Steve Jobs को अपने जिद्दी स्वाभाव की वजह से मिली थी। वो कंपनी के ऑफिस में जाकर बैठ गया और धमकी दी कि जब तक इसे जॉब नहीं मिलेगी, वो यहाँ से किसी सूरत नहीं जायेगा। कंपनी वालों ने टेक्नोलॉजी से इसका लगाव देखते हुए इसे जॉब दे दी, लेकिन Steve Jobs के बुरे स्वाभाव और इसके शरीर से उठने वाली दुर्गन्ध की वजह से कंपनी के दूसरे कर्मचारियों ने इसे नौकरी से निकालने की डिमांड कर दी। कंपनी ने Steve Jobs को नौकरी से तो नहीं निकला, मगर इसे नाईट शिफ्ट में रख लिया, जिसमे वो अकेला ही काम करता था।
अपनी नौकरी के दौरान ही Steve Jobs ने एक किताब “Remember” पड़ी। इस किताब में मादक पदार्थों के फायदे लिखे थे।
यह किताब एक अमेरिकी शहरी Richard Alpert ने लिखी थी, जो “बाबा रामदास” के नाम से प्रसिद्ध था। यह किताब राम दास ने एक भारतीय साधु “बाबा नीम करौली” से प्रभावित होकर लिखी थी।
Steve Jobs इस किताब से इतना प्रभावित हुआ कि “बाबा नीम करौली” की तलाश में भारत पहुँच गया, लेकिन भारत में इसे परेशानी यह थी कि यहाँ अमेरिका की तरह मिनिरल वाटर नहीं मिलता था। Steve Jobs यहाँ का पानी पीकर इतना बीमार हुआ कि एक सप्ताह में ही इसका वजन 40 पाउंड तक गिर गया।
फिर हिमालया के एक छोटे से गांव जाकर इसे पता चला कि “बाबा नीम करौली” का स्वर्गवास हो चुका है। यह खबर मिलने के बाद भी Steve Jobs कुछ समय भारत में ठहरा और कुम्भ के मेले में भी शामिल हुआ। इसके बाद वो अमेरिका लौट गया और अपनी पुरानी कंपनी में फिर से नौकरी शुरू कर दी, लेकिन इसकी हिप्पीज वाली आदतें खत्म नहीं हुईं। इनमे एक आदत यह थी कि वो ऑफिस में अपने जूते उतारकर काम करता था और अक्सर जगहों पर नंगे पाँव जाता था।
स्टीव जॉब्स के जीवन में टर्निंग पॉइंट तब आया, जब इसने और इसके दोस्त स्टीव वोज़नियाक ने एक बार Homebrew Computer Club में Intel का Altair Microprocessor C 4004 N 5832 देखा। इसे देखकर स्टीव वोज़नियाक ने एक ऐसा बोर्ड डिजाइन कर लिया, जिसमे यह प्रोसेसर लगाकर बहुत ही कम मूल्य/लागत में कंप्यूटर तैयार हो सकता था।
स्टीव जॉब्स ने स्टीव वोज़नियाक को समझाया कि क्यों ना वो एक कंपनी स्थापित करें और बोर्ड बेचने के बजाय पूरा सर्किट ही तैयार करके बेचें? यह आईडिया स्टीव वोज़नियाक को भी पसंद आया। फिर यूँ हुआ कि स्टीव जॉब्स ने अपनी गाड़ी और स्टीव वोज़नियाक ने अपना कैलकुलेटर बेचकर $1300 जमा कर लिए। इन डॉलर से इन्होंने अपनी एक कंपनी बना ली। Steve Jobs ने इस कंपनी को Apple Computer Co का नाम दिया। ये नाम देने का कारण यह था कि स्टीव जॉब्स के एक दोस्त का सेबों का बाग था, जहाँ वो अक्सर जाता रहता था।
स्टीव जॉब्स ने अपने घर का गैराज खाली करवा कर, वहां कंप्यूटर तैयार करना शुरू कर दिए। इन्होंने अपने पहले तैयारकर्ता कंप्यूटर को Apple 1 का नाम दिया। एप्पल-1 की पहली प्रदर्शनी Homebrew Computer Club में हुई। इस प्रदर्शनी में एप्पल -1 को कोई खास अटेंशन तो नहीं मिला, लेकिन Steve Jobs का एक कंप्यूटर स्टोर वाले से मेल-मिलाप जरूर हो गया। इस स्टोर से एप्पल कंपनी को 50 असेम्बल्ड सर्किट बोर्ड्स बनाने का पहला आर्डर मिला, लेकिन इस आर्डर को पूरा करने के लिए $15000 की जरुरत थी। स्टीव जॉब्स ने कुछ कर्ज लेकर और कुछ सामान क्रेडिट पर हासिल करके 30 दिन में यह आर्डर पूरा कर दिया।
इस सफलता के बाद एप्पल-1 की मार्केटिंग बेहतर होने लगी। एप्पल कंपनी लगभग 200 एप्पल-1 बनाये, जिन्हे $6666 में बेचा गया। आज भी दुनिया में लगभग 66 एप्पल-1 मौजूद हैं। 2014 में तो न्यूयॉर्क में एप्पल-1 की बोली $905,000 लगाई गई।
एप्पल-1 की सफलता के बाद Steve Jobs ने Apple-2 लांच किया। यह एक ऐसा कंप्यूटर पैकेज था, जिसमे एक कीबोर्ड, मॉनिटर और माउस भी कंप्यूटर के साथ ही बेचा जाना था। इस काम के लिए $2,00000 की इन्वेस्टमेंट चाहिए थी। इस दौरान स्टीव जॉब्स की मुलाकात एक मार्केटिंग एक्सपर्ट “माइक मार्ककुला” से हो गई। माइक मार्ककुला को स्टीव जॉब्स के आईडियाज पसंद पाए और इसने एप्पल कंपनी में $250000 की इन्वेस्टमेंट कर दी। यूँ 03 जुलाई 1977 को The Apple Computer Corporation का विधिपूर्वक आरंभ हो गया।
अब Steve Jobs ने एप्पल कंपनी का नया लोगो तैयार कराया। नए लोगो के साथ कंपनी का नया कंप्यूटर एप्पल-2 लांच किया गया। यह प्रोजेक्ट इतना सफल हुआ कि 16 वर्ष तक कंपनी को प्रॉफिट देता रहा। इस प्रॉफिट के कारण एप्पल कंपनी ने Stevens Creek Boulevard में एक बिल्डिंग किराये पर ले ली और एप्पल का प्लांट स्टीव जॉब्स के गैराज से कंपनी के नए ऑफिस में शिफ्ट हो गया।
स्टीव जॉब्स की सफलताएं बहुत प्रभावी थीं, लेकिन इसकी अशिष्टता और मैला-कुचैला रहने की आदत नहीं बदली थी। वो अपनी टीम के मेहनत से बनाये हुए डिजाइन्स को बकवास बताता और अपने कर्मचारियों का अपमान करता था। हद तो यह हो गई कि एप्पल कंपनी ने माइक स्कॉट को कंपनी का प्रेसिडेंट बना दिया ताकि वो Steve Jobs को कंट्रोल में रखें। माइक ने स्टीव जॉब्स को नहाने और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए कहा, मगर स्टीव जॉब्स को अपनी जीवन शैली उत्तम बनाने में बहुत समय लग गया। लेकिन, वो अपने स्वास्थ्य और निकटतम लोगों के प्रति लापरवाह ही रहा।
Steve Jobs इस सीमा तक असंवेदनशील हो गया था कि जब 1977 में इसकी गर्ल फ्रेंड क्रिसैन ब्रेनन ने एक बेटी को जन्म दिया, तो स्टीव जॉब्स ने इस बच्ची को अपनी बेटी मानने से अस्वीकार कर दिया। इसलिए क्रिसैन ब्रेनन ने स्टीव जॉब्स के विरुद्ध कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया।
कोर्ट के आदेश पर मेडिकल टेस्ट कराये गए, जिससे यह सिद्ध हो गया कि बच्ची का पिता स्टीव जॉब्स ही है। इस प्रकार कोर्ट के आदेश पर स्टीव जॉब्स इस बच्ची को अपनाने पर विवश हो गया। इस बच्ची का नाम लिसा ब्रेनन-जॉब्स रखा गया, लेकिन स्टीव जॉब्स ने अपनी बेटी की माँ क्रिसैन ब्रेनन से विवाह नहीं किया, बल्कि 1991 में इसने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की ग्रेजुएट लॉरेन पॉवेल से विवाह कर लिया और लॉरेन से इसकी दो बेटियाँ और एक बेटा पैदा हुए।
एप्पल-2 की सफलता के बाद Steve Jobs ने एक और कंप्यूटर लांच करने की कोशिश की जिसे इसने अपनी पहली बेटी के नाम पर लिसा (Lisa) का नाम दिया था, लेकिन यह कंप्यूटर असफल हो गया। इसके बाद एप्पल-3 का प्रोजेक्ट भी फेल हो गया।
एप्पल का एक और प्रोजेक्ट Macintosh था। इस प्रोजेक्ट में बिल गेट्स ने भी एप्पल की बहुत मदद की थी। जब Macintosh का पहला विज्ञापन लांच किया गया, तो हॉल में मौजूद तमाम लोग तालियां बजाते हुए खड़े हो गए थे। मगर जब यह प्रोजेक्ट मार्केट में आया, तो इसकी विक्री आशा से बहुत कम रही यानि Macintosh भी फ्लॉप। इन असफलताओं के कारण Steve Jobs और इसके भागीदारों में मतभेद बढ़ने लगा। नौबत यहाँ तक आ गई कि स्टीव जॉब्स के अपने ही दोस्तों ने इसे CEO के पद से हटा दिया।
निःसन्देह स्टीव जॉब्स कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का चेयरमैन अब भी था। इस स्टेटस में इसने अपनी जगह विश्व प्रसिद्ध ब्रांड पेप्सी के सीईओ जॉन स्कली (John Sculley) को एप्पल का नया सीईओ बना दिया। इसने जॉन स्कली को कॉल की और कहा कि “तुम अपना बाकी जीवन मीठा पानी बेचने में बिता दोगे या हमारे साथ मिलकर दुनिया बदलने में अपनी भूमिका अदा करोगे?” जॉन स्कली ने स्टीव जॉब्स की बात मान ली और पेप्सी छोड़कर एप्पल में काम करने लगा।लेकिन, सीईओ का पद छोड़ने के बाद स्टीव जॉब्स का अपने पार्टनर्स से मतभेद कम ना हो सका।
इन्हीं मतभेदों के कारण 1985 में स्टीव जॉब्स ने एप्पल कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन के पद से भी इस्तीफा दे दिया। इसने एप्पल कंपनी में अपने अधिकांश शेयर भी बेच दिए। इन पैसों से स्टीव जॉब्स ने NEXT के नाम से अपनी अलग कंपनी बना ली। इसने एक नया कंप्यूटर बनाने के लिए बिल गेट्स से मेल-मिलाप किया, मगर बिल गेट्स ने कंप्यूटर का डिजाइन देखने के बाद इसे असफल करार दे दिया।
अब Steve Jobs ने एक नई फील्ड में इन्वेस्टमेंट करने का निर्णय किया। इसने 1 करोड़ डॉलर्स में LOCUS ANIMATION STUDIO के शेयर्स खरीद लिए। ये वही स्टूडियो है, जिसे हम और आप PIXAR के नाम से जानते हैं। बाद में पिक्सार स्टूडियो को डिजनी कंपनी ने खरीद लिया, तो इसके शेयर्स भी डिजनी कंपनी के लिखित शेयर्स में शामिल हो गए। इस तरह स्टीव जॉब्स डिजनी कंपनी का सबसे बड़ा शेयर होल्डर बन गया और कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में भी शामिल हो गया। Steve Jobs ने PIXAR के शेयर्स खरीद कर सफलताओं की नई यात्रा आरंभ कर दी थी।
दूसरी तरफ स्टीव जॉब्स के इस्तीफे के बाद एप्पल कंपनी लगातार असफल हो रही थी। Macintosh के बाद इसका हर प्रोजेक्ट बुरी तरह फेल हुआ था। स्टीव जॉब्स को एप्पल कंपनी छोड़ने पर विवश करने वाले इसके पुराने दोस्त अब इससे लज्जित, शर्मसार थे। उन्होंने स्टीव जॉब्स से मेल-मिलाप किया और उससे विनती की कि वो कंपनी को टेक ओवर कर ले। स्टीव जॉब्स ने यह शर्त रख दी कि एप्पल कंपनी में सिर्फ इसकी मर्जी चलेगी। इसमें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
कंपनी वाले मान गए और 1997 में Steve Jobs को दुबरा एप्पल कंपनी का CEO बना दिया गया। एप्पल कंपनी ने 42 करोड़ 90 लाख डॉलर्स में Steve Jobs की कंपनी नेक्स्ट को भी खरीद लिया। अब Steve Jobs पूरे अधिकार के साथ एप्पल में वापस आया और फिर एप्पल कंपनी को वो ऐसी ऊँचाइयों पर ले गया कि माइक्रोसॉफ्ट का जनक बिल गेट्स भी इस पर रश्क (ईर्ष्या) करने लगा।
स्टीव जॉब्स ने दुबारा बिल गेट्स से मेल-मिलाप किया क्योंकि कंपनी के कम्प्यूटर्स के लिए सॉफ्टवेयर तो बहर-हाल बिल गेट्स की कंपनी ने ही उपलब्ध करना थे। फिर Steve Jobs ने 15 करोड़ डॉलर्स की इन्वेस्टमेंट करके एप्पल कंपनी को दिवालिया होने से बचा लिया। इसके बाद स्टीव जॉब्स के निरीक्षण में एप्पल कंपनी ने एक के बाद एक प्रोडक्ट लांच करना शुरू किये।
1998 में iMac, 2001 में iPod और 2007 में iPhone की लॉन्चिंग ने एप्पल को कंप्यूटर और मोबाइल फोन्स की मार्केट में नंबर-1 कंपनी बना दिया। $1300 से शुरू होने वाली एप्पल कंपनी आज 1300 अरब डॉलर्स से अधिक नेटवर्थ की मालिक है, जो माइक्रोसॉफ्ट से भी अधिक है।
स्टीव जॉब्स, एप्पल कंपनी को तो नई ऊँचाइयों पर पहुँचा रहा था, लेकिन खुद इसका स्वास्थ्य गिरता जा रहा था। 2003 में इसे पैंक्रिएटिक कैंसर या अग्नाश्य का कैंसर हो गया। इसने 2004 में सर्जरी भी करवाई और ऐसा लगता था कि वो स्वस्थ हो गया है, लेकिन कैंसर ने जल्द दुबारा सर उठा लिया। इसकी वहज से 2009 में Steve Jobs की तबियत बहुत ज्यादा खराब रहने लगी। इसका वजन भी कम हो रहा था, लेकिन वो मुस्कुरा कर अपनी बीमारी छुपाता रहा।
जनवरी 2011 तक स्टीव जॉब्स इतना बीमार हो चुका था कि वो 6 माह की छुट्टियों पर चला गया। इसने कंपनी के मैटर्स, रीति रिवाज भी टिम कुक (Tim Cook) के सुपुर्द कर दिए और सीईओ के पद से भी रिजाइन कर दिया और फिर 05 अक्टूबर 2011 में अमरीका के प्रान्त कैलिफ़ोर्निया के शहर “Palo Alto” में 56 वर्ष की आयु में Steve Jobs की मौत हो गई। मौत के समय स्टीव जॉब्स की बहन, पत्नी और बच्चे भी इसके पास मौजूद थे। कहते हैं..Steve Jobs के अंतिम शब्द थे “Oh wow, Oh wow, Oh wow”.
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